अगर मैं पूछूँ कि खोपड़ी सही है या खोंपड़ी, तो आपमें से हर कोई कहेगा – खोपड़ी। लेकिन अगर मैं पूछूँ कि झोपड़ी सही है या झोंपड़ी तो आपमें से कुछ कहेंगे झोंपड़ी तो कुछ कहेंगे झोपड़ी। जब मैंने फ़ेसबुक पर यही सवाल पूछा तो 69% ने कहा, झोपड़ी सही है। शेष 31% ने झोंपड़ी को सही ठहराया। अगर जानना चाहते हैं कि सही क्या है, तो आगे पढ़ें।
फ़ेसबुक पोल में भले ही 69% ने झोपड़ी को सही बताया हो मगर शब्दकोश झोंपड़ा/झोंपड़ी को सही बताते हैं। इन शब्दकोशों में झोपड़ा भी है लेकिन वहाँ लिखा है – देखें झोंपड़ा। इस आधार पर कह सकते हैं कि कोशकार झोंपड़ा को वरीयता देते हैं।
कोशकार झोंपड़ा को क्यों सही मानते हैं, इसका जवाब हमें शब्द के स्रोत में मिल सकता है। मगर कोशकार इसके स्रोत पर ही डाँवाडोल हैं। शब्दसागर में दो संभावनाएँ जताई गई हैं।
पहली, यह छोपना से आया हो सकता है जिसका मतलब है 1. गाढ़ी वस्तु का लेप करना या 2. ढकना।
दूसरी, यह झंप से आया हो जिसका अर्थ है छुपाना।
चूँकि झोंपड़ा/झोपड़ा आम तौर पर मिट्टी की दीवारों से बनता है जिसको ऊपर से घास-फूस से ढकते या नीचे के हिस्से को छुपाते हैं, इसलिए दोनों ही संभावनाएँ अनुकूल प्रतीत होती हैं।
परंतु अगर यह छोपना से बना है तो हमारे हिसाब से पहले झोपड़ा बना होगा और अगर यह झंप से बना है तो पहले झोंपड़ा बना होगा। अब चूँकि कोशकार ही नहीं बता पा रहे कि यह किससे बना तो मैं भला किस खेत की मूली हूँ!
ऐसे में सही यही लगता है कि दोनों शब्दों को सही मान लिया जाए – झोंपड़ा/झोपड़ी भी और झोपड़ा/झोपड़ी भी। मैं ख़ुद सालों से झोपड़ा-झोपड़ी ही लिखता आया हूँ हालाँकि पत्रकार के तौर पर मैंने पिछले तीस-पैंतीस सालों में जिस प्रकार का राजनीतिक लेखन किया है, उसमें इस शब्द का इस्तेमाल नहीं के बराबर हुआ है। वैसे भी झोंपड़ों में रहने वालों की देश में किसको चिंता है? बस चुनावी मौसम में राजनीतिक गिद्धों को उनकी याद आ जाती है और वे अगले पाँच साल में उन सबको पक्के मकान बनाकर देने का हवाई वादा करके चुनाव के बाद फिर अपने डेरों को लौट जाते हैं।
इस शब्द पर खोजबीन करते हुए मुझे एक रोचक जानकारी मिली कि झंप का अर्थ कूदना या छलाँग लगाना भी है। बिल्कुल वही जो अंग्रेज़ी के jump का है (देखें चित्र)। एक बार के लिए मुझे लगा कि क्या यह शब्द एक भाषा से दूसरी भाषा में गया है? फिर लगा कि मामला कुछ और है। चूँकि कूदने से धप्प या झप्प की आवाज़ आती है। इसी कारण संस्कृत में भी इस अर्थ में झंप शब्द बना और अंग्रेज़ी में भी।
ऑक्सफ़र्ड के शब्दकोश में यही लिखा हुआ भी है -probably imitative of the sound of feet coming into contact with the ground. यानी पैरों के ज़मीन के संपर्क में आने पर उत्पन्न होने वाली ध्वनि की नक़ल के तौर पर यह शब्द बना है (देखें चित्र)।
आवाज़ के आधार पर बनने वाले और भी कुछ शब्द होंगे हिंदी में। मुझे तत्काल छींकना और थूकना शब्द याद आ रहे हैं। छींकने के दौरान आँकछीं जैसी ध्वनि पैदा होती है और थूकने में थू जैसी। मेरी समझ से धड़कना भी दिल के धड़-धड़ करने से बना होगा। शब्दसागर में धड़क के स्रोत शब्द के तौर पर ‘धड़’ लिखा भी है परंतु धड़ से कोशकार का क्या मतलब है, मैं समझ नहीं पाया।
झप्प से याद आया, झप्पी शब्द कैसे बना होगा? मुन्नाभाई एमबीबीएस ने हालाँकि जादू की झप्पी को देशभर में लोकप्रिय कर दिया लेकिन हिंदी कोशों में अभी यह शब्द आया नहीं है।