कुछ लोग मुक़दमा बोलते हैं तो कुछ मुक़द्दमा। इसी तरह कुछ लोगों को रद बोलना सही लगता है तो कुछ को रद्द। हद और हद्द के मामले में भी यही दुविधा है। इन सिंगल और डबल ‘द’ की समस्या सभी के सामने आती है। आज हम इसी पर चर्चा करेंगे कि इन तमाम शब्दों में कौनसा रूप सही है। रुचि हो तो पढ़ें।
किशोरावस्था में मैं रेडियो ख़ूब सुनता था। उन दिनों प्रसिद्ध रेडियो अनाउंसर अमीन सयानी का एक प्रोग्राम आता था जिसमें वे किसी फ़िल्मी हस्ती को बुलाकर उनसे मज़ेदार जिरहनुमा सवाल-जवाब करते थे। उस प्रोग्राम की शुरुआत करते हुए वे कहते थे – एस. कुमार्स का फ़िल्मी मुक़द्दमा। तभी से मैं पसोपेश में रहा हूँ कि सही शब्द मुक़दमा है या मुक़द्दमा। कारण तमाम हिंदी अख़बारों और पत्रिकाओं में मैं मुक़दमा ही लिखा देखता था। मैं भी अपने अख़बार के दिनों में मुक़दमा ही लिखता आया हूँ।
लेकिन आज भी मैं अमीन सयानी का ‘मुक़द्दमा’ बोलना नहीं भूल पाया। इतना बड़ा उद्घोषक ग़लत उच्चारण तो नहीं कर सकता। इसलिए जानने-समझने की कोशिश की कि सही क्या है।
हर बार की तरह इस बार भी मुक़दमा और मुक़द्दमा के बारे में चर्चा से पहले मैंने यह जानना चाहा कि हिंदी जगत में क्या चलता है। मैंने फ़ेसबुक पर किए गए एक पोल में पूछा कि इन दोनों में कौनसा सही है या फिर क्या दोनों सही हैं। वोट में भाग लेते हुए 50% ने ‘मुक़दमा’ के पक्ष में राय दी जबकि 23% ने ‘मुक़द्दमा’ को सही ठहराया। शेष 27% के मतानुसार दोनों सही हैं।
अब आती है फ़ैसले की बारी। तो फ़ैसला करना मुश्किल है क्योंकि उर्दू कोशों की मानें तो मुक़द्दमा सही है। उनमें आम तौर पर मुक़दमा नहीं मिलता। जहाँ मिलता है, वहाँ भी मुक़द्दमा को प्राथमिकता दी गई है (देखें चित्र)।
लेकिन हिंदी शब्दकोशों में मुक़दमा और मुक़द्दमा दोनों मिलते हैं हालाँकि यहाँ मामला उलटा है – यहाँ मुक़दमा को तरजीह दी गई है। मुक़द्दमा की एंट्री पर लिखा होता है – मुक़दमा (देखें चित्र)।
इसका मतलब यह हुआ कि उर्दू कोश शब्द के मूल अरबी रूप को फ़ॉलो कर रहे हैं जिसमें मुक़द्दमा ही है जबकि हिंदी कोश मुक़दमा को स्थान दे रहे हैं जो मुक़द्दमा का ही बदला हुआ रूप है और जिसे हिंदी जगत ने स्वीकार कर लिया है।
एक लाइन में कहें तो मुक़द्दमा मूल अरबी रूप है जिसका बदला हुआ रूप मुक़दमा है।
प्लैट्स का उर्दू और हिंदी शब्दकोश भी यही कहता है – मूल शब्द है मुक़द्दमा जिसके परिवर्तित रूप हैं मुक़दमा (नुक़्ते के साथ) और मुकदमा (बिना नुक़्ते के साथ) (देखें चित्र)।
मुक़द्दमा की ही तरह के तीन और शब्द याद आते हैं जिनके ऐसे ही रूप प्रचलित हैं और लोगों को अक्सर संशय होता है कि कौनसा रूप सही है। ये हैं – रद्द/रद, हद्द/हद, रब्ब/रब।
प्लैट्स के अनुसार इनमें भी द्वित्व वाले रूप मूल हैं और एकल वाले रूप परिवर्तित रूप। वैसे इन शब्दों के मामले में मद्दाह का हिंदी-उर्दू कोश कोई भेदभाव नहीं करता। उसमें दोनों दिए हुए हैं (देखें चित्र)।
यानी हम हद भी लिख सकते हैं और हद्द भी, रद भी लिख सकते हैं और रद्द भी, रब भी लिख सकते हैं और रब्ब भी। लेकिन जब हम इनसे कोई यौगिक शब्द बनाते हैं तो रद्द और हद्द वाले रूप ही चलते हैं। जैसे रद्दोबदल, चौहद्दी आदि।
जाते-जाते आज के शब्द के बारे में। यह तो हमने जान ही लिया कि हिंदी में मुक़दमा चलता है और उसे सही मान लिया गया है लेकिन इस मुक़दमा का बहुवचन बनाते समय जब उसे एकारांत करेंगे (यानी उसके अंत में ‘ए’ लगाएँगे) तो उसमें बिंदी लगेगी या नहीं। यानी मुक़दमे होगा या मुक़दमें? इसके बारे में हम पहले चर्चा कर चुके हैं। रुचि हो तो पढ़ें।