Beautification का हिंदी क्या होगा – सुंदरीकरण या सौंदर्यीकरण? वेबसाइटों में पर हमें दोनों ही प्रयोग देखने को मिलते हैं। इनमें से कौनसा सही है और कौनसा ग़लत है? क्या दोनों सही हैं या दोनों ग़लत हैं और कोई तीसरा सही है? आज की चर्चा इसी मुद्दे पर है। रुचि हो तो पढ़ें।
जब मैंने फ़ेसबुक पर सुंदरीकरण और सौंदर्यीकरण के बारे में सवाल पूछा तो 86% के विशाल बहुमत ने सौंदर्यीकरण के पक्ष में वोट दिया। 8% ने सुंदरीकरण को सही बताया जबकि शेष 6% के अनुसार दोनों सही हैं।
अब है जवाब की बारी। सही है सुंदरीकरण। क्यों, यह समझने के लिए सबसे पहले हमें करण प्रत्यय के बारे में जानना होगा कि यह कब, क्यों और कहाँ लगता है तथा लगने के बाद शब्द के अर्थ पर क्या असर पड़ता है।
आपने देखा होगा कि जब किसी शब्द के बाद करण प्रत्यय लगता है तो उससे पहले वाले शब्द की अंतिम मात्रा ‘ई’ हो जाती है – जैसे प्रस्तुत से प्रस्तुतीकरण, स्पष्ट से स्पष्टीकरण, सम से समीकरण, शुद्ध से शुद्धीकरण आदि। इन तमाम शब्दों की अंतिम मात्रा के ‘ई’ में बदलने का एक विशेष कारण और अर्थ है।
कारण है ‘च्वि’ प्रत्यय। संस्कृत का एक सूत्र है – अभूततद्भावे सम्पद्यकर्तरि कृ-भू-अस्ति-योगे च्विः। इस सूत्र का विस्तार से अर्थ समझना और समझाना मेरे बूते की बात नहीं है क्योंकि मैं संस्कृत का जानकार नहीं हूँ। लेकिन सशक्तीकरण के मसले पर डॉ. शक्तिधरनाथ पांडेय का मत सुनने के बाद मैं जो-कुछ समझ पाया हूँ, उसके आधार पर कुछ ज़रूरी बातें नीचे रख रहा हूँ।
इस सूत्र के पहले हिस्से में मौजूद ‘अभूततद्भाव‘ का अर्थ है – जो पहले वैसा नहीं था, अब वैसा हो रहा है। जब भी इस अर्थ वाला कोई शब्द बनता हो और उसमें कृ, भू और अस् धातु से बनने वाले प्रत्यय लगते हों तो वहाँ ‘च्वि’ प्रत्यय लगता है। सुनिए, डॉ. पांडेय क्या कहते हैं –
‘च्वि’ प्रत्यय के बारे में कई सूत्र हैं जिनके आधार पर कहा जा सकता है कि ‘च्वि’ प्रत्यय ख़ुद तो नए शब्द में कहीं नज़र नहीं आता लेकिन इसकी वजह से वह मूल शब्द में कुछ अंतर ले आता है। अंतर यह कि (कृ, भू और अस् धातु के प्रत्यय जुड़ने पर) मूल शब्द का अंतिम स्वर लघु से दीर्घ हो जाता है (‘उ’ का ‘ऊ’, ‘इ’ का ‘ई’) और यदि शब्द के अंत में ‘अ’ या ‘आ’ हो तो वह ‘ई’ में बदल जाता है।
आप जानते होंगे कि करण भी ‘कृ’ धातु से बना है। इसलिए जब भी हम ‘करण’ प्रत्यय लगाकर ‘जो पहले वैसा नहीं था, अब वैसा हो रहा है‘ वाले अर्थ का कोई शब्द बनाएँगे तो उस मूल शब्द की अंतिम ध्वनि या तो दीर्घ हो जाएगी (लघु का लघू, इ का ई) या फिर यदि शब्द के अंत में ‘अ’ या ‘आ’ स्वर है तो वह ‘ई’ में बदल जाएगा। आइए, इसे हम कुछ उदाहरणों से समझते हैं।
जैसे कोई वस्तु पहले शुद्ध नहीं थी, आप उसे शुद्ध करते हैं तो ‘अभूततद्भाव’ (जो पहले वैसा नहीं था, अब वैसा हो रहा है) की शर्त पूरी होती है। इसलिए शुद्ध और करण जोड़कर शुद्धीकरण बनता है – शुद्ध के अंत में मौजूद ‘अ’ स्वर ‘ई’ में बदल गया। इसी तरह कोई बात कठिन (यानी असरल) है, उसे मैं सरल बनाने की कोशिश करता हूँ, तब भी ‘अभूततद्भाव’ की शर्त पूरी होती है। सरल और करण के योग से बनेगा है सरलीकरण – ‘ल’ ‘ली’ में बदल जाता है। इसी तरह कोई बात अस्पष्ट है, उसे स्पष्ट किया जाए तो बनेगा स्पष्टीकरण।
ऐसे ही कुछ और उदाहरण देखें –
- जो प्रत्यक्ष नहीं है, उसे प्रत्यक्ष करना (प्रत्यक्ष+करण)=प्रत्यक्षीकरण
- जो मलिन नहीं है, उसे मलिन करना (मलिन+करण)=मलिनीकरण
- जो स्थिर नहीं है, उसे स्थिर करना (स्थिर+करण)= स्थिरीकरण
- जो प्रकट नहीं है, उसे प्रकट करना (प्रकट+करण)=प्रकटीकरण
- जो सम नहीं है, उसे सम करना (सम+करण)=समीकरण
- जो प्रस्तुत नहीं है, उसे प्रस्तुत करना (प्रस्तुत+करण)=प्रस्तुतीकरण
इसी तरह जो सुंदर नहीं है, उसे सुंदर बनाना (सुंदर+करण)=सुंदरीकरण
जिन्होंने सौंदर्यीकरण को सही बताया है, वे ऊपर के सूत्र और अब तक की चर्चा के आधार पर सोचें कि क्या कभी सौंदर्यीकरण शब्द बन सकता है। क्या हम जो सौंदर्य नहीं है, उसे सौंदर्य करते हैं? नहीं करते। सौंदर्य भाववाचक संज्ञा है, विशेषण नहीं है और आप ध्यानपूर्वक देखेंगे तो ऊपर के जितने उदाहरण हैं, उनमें करण प्रत्यय से पहले वाले शब्द विशेषण हैं – प्रत्यक्ष, मलिन, स्थिर, प्रकट, सम, प्रस्तुत।
आपमें से कुछ लोग मुझे यहाँ टोक सकते हैं ऐसे उदाहरण देकर जहाँ करण वाले शब्दों के शुरू में संज्ञा शब्द हैं। जैसे कंप्यूटरीकरण, मशीनीकरण, भूमंडलीकरण, उद्योगीकरण, पश्चिमीकरण आदि। मगर आप ध्यान देंगे तो पाएँगे कि ये सारे-के-सारे शब्द नए-नए हैं और -tion प्रत्यय वाले अंग्रेज़ी शब्दों के अनुवाद के मक़सद से बनाए गए हैं।
- Computerisation=कंप्यूटरीकरण
- Mechanisation=मशीनीकरण
- Globalisation=भूमंडलीकरण
- Industrialisation=उद्योगीकरण
- Westernisation=पश्चिमीकरण
जिन लोगों पर इन अंग्रेज़ी शब्दों के हिंदी पर्याय बनाने की ज़िम्मेदारी आई, वे निश्चित रूप से काफ़ी पसोपेश में रहे होंगे। क्या वे इन सभी शब्दों के विशेषण बनाते और उसके बाद नियमानुसार नए शब्द गढ़ते? मसलन उद्योग का विशेषण तो औद्योगिक हो जाएगा मगर फिर सवाल उठेगा कि औद्योगिक से औद्योगिकीकरण बनाएँ या औद्योगीकरण? चलिए, औद्योगीकरण चला लिया मगर कंप्यूटर का विशेषण भला क्या बनेगा?
सो उन्होंने आसान रास्ता खोजा। इन संज्ञाओं में मौजूद अंतिम ‘अ’ स्वर को ‘ई’ स्वर में बदलकर नए शब्द गढ़ लिए। ये शब्द छोटे भी हैं और परिचित भी। इसलिए चल भी गए। यह तो आप भी मानेंगे कि ओद्योगिकीकरण या औद्योगीकरण के मुक़ाबले उद्योगीकरण आसान है।
यहाँ फिर आप मुझे टोक सकते हैं। जब कंप्यूटरीकरण और उद्योगीकरण में संज्ञा शब्दों के साथ करण प्रत्यय लग सकता है तो सौंदर्य के साथ भी लग सकता है। वह भी तो संज्ञा ही है।
जी हाँ, सौंदर्य भी संज्ञा है मगर वह उद्योग, कंप्यूटर, मशीन और भूमंडल से बहुत अलग है। अलग इस मायने में कि वह भाववाचक संज्ञा है जबकि बाक़ी शब्द जातिवाचक संज्ञाएँ हैं। आप शुद्धताकरण नहीं लिख सके, न स्वच्छताकरण लिख सकते हैं। इसी तरह सुंदरताकरण भी नहीं लिख सकते जो सौंदर्यीकरण का ही एक अलग रूप है। इसलिए सौंदर्यीकरण ग़लत है।
कुछ समय पहले हम ऐसे ही विषय में शुद्धिकरण और शुद्धीकरण के बारे में चर्चा कर चुके हैं जिनमें भाषाचिंतक योगेंद्रनाथ मिश्र ने बहुत अच्छी तरह समझाया था कि क्यों शुद्धिकरण ग़लत है और शुद्धीकरण सही है। चाहें तो नीचे दिए गए लिंक पर टैप या क्लिक करके उस चर्चा से लाभ उठा सकते हैं।
2 replies on “202. सुंदर करना यानी सुंदरीकरण या सौंदर्यीकरण?”
एक शब्द याद आया — टीकाकरण
क्या इसको अपवाद माना जाएगा??
नमस्ते। आम तौर पर विशेषणों के साथ ही करण प्रत्यय लगता है। लेकिन जिन शब्दों के विशेषण नहीं होते, वहाँ संज्ञा शब्दों के साथ भी करण प्रत्यय लगाकर शब्द बनाए जाने लगे हैं। जैसे कंप्यूटर से कंप्यूटरीकरण या टीका से टीकाकरण। नियमतः आकारांत शब्दों को भी ईकार किया जाना चाहिए। लेकिन ऐसा कम ही होता है। इसीलिए कंप्यूटर का कंप्यूटरीकरण हो जाता है लेकिन टीका का टीकीकरण नहीं होता।