कुछ दिनों पहले मैंने एक ट्वीट देखा जिसमें हिंदी के एक सीनियर पत्रकार ने इस बात पर चिंता जताई थी कि नई पीढ़ी संभावना और आशंका के अंतर को नहीं समझती और करोना की तीसरी लहर या बादल फटने से बाढ़ आने के मामले में भी संभावना लिख रही है। इस ट्वीट को 30 लोगों ने रीट्वीट किया था और क़रीब 300 लोगों ने लाइक किया था। क्या उस पत्रकार की चिंता जायज़ थी? क्या वाक़ई बाढ़ आने की संभावना लिखना ग़लत है? जानने के लिए आगे पढ़ें।
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कोविड 19 के कारण कई परिवारों ने स्वजनों को खोया है और इस कारण उन्हें ….. क्षति हुई है। इस वाक्य में रिक्त स्थान पर क्या लिखा जाएगा – 1.अपूर्णीय या 2.अपूरणीय? जब मैंने यही सवाल फ़ेसबुक पर पूछा तो 32% लोगों ने कहा – पूर्णीय जबकि 68% लोगों के अनुसार पूरणीय होना चाहिए। ऊपर शब्दकोश से ली गई तस्वीर देखकर आप समझ गए होंगे कि अपूरणीय ही सही है। मगर क्यों? क्यों अपूर्णीय ग़लत है? जानने के लिए आगे पढ़ें।
प्रायः शब्द का उपयोग और अर्थ हम सब जानते हैं – अकसर, लगभग, समान। लेकिन जब यह शब्द किसी और शब्द के साथ जुड़कर आएगा तो क्या प्रायः लिखा जाएगा या प्राय? जो लगभग मरे जैसा हो, वह मृतप्रायः है या मृतप्राय? जो लुप्त होने के कगार पर हो, वह लुप्तप्रायः है या लुप्तप्राय? कष्ट से भरे जीवन के लिए कष्टप्रायः लिखेंगे या कष्टप्राय? जानने के लिए आगे पढ़ें।
शेर-ओ-शायरी में यह शब्द बहुत आता है, ख़ासकर परवाने के साथ। लेकिन यह शब्द है क्या – शमा या शमाँ? जब मैंने फ़ेसबुक पर इसके बारे में एक पोल किया तो 90% ने कहा – शमा सही है। 10% का अंदाज़ा था कि शमाँ सही है। सही क्या है, ख़ासकर हिंदी में, यह हम आगे जानेंगे। साथ में यह भी जानेंगे कि उर्दू में इसका जो रूप है, वह इन दोनों से अलग है। न वह शमा है, न ही शमाँ। क्या है वह, जानने के लिए आगे पढ़ें।
शायद पहली या दूसरी क्लास की बात है – मुझे Deer की स्पेलिंग और उसका अर्थ लिखने को कहा गया था। तब मैंने हरिण लिखा था (क्योंकि वागड़ी – जो मेरी मातृभाषा है – उसमें हरिण ही बोला जाता है) लेकिन मेरी टीचर या किसी सीनियर छात्र ने मुझे टोका था कि मैंने जो लिखा है, वह सही नहीं है। मुझे आज तक उलझन भरे वे पल याद हैं – हरिण ग़लत कैसे है? हम तो घर पर यही बोलते हैं। लेकिन मैं छोटा था। सवाल नहीं कर सकता था। मगर आज कर सकता हूँ – हरिण सही है या हिरन? जानने के लिए आगे पढ़ें।