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आलिम सर की हिंदी क्लास शुद्ध-अशुद्ध

122. बाढ़ की ‘संभावनाएँ’ सामने हैं – सही या ग़लत?

कुछ दिनों पहले मैंने एक ट्वीट देखा जिसमें हिंदी के एक सीनियर पत्रकार ने इस बात पर चिंता जताई थी कि नई पीढ़ी संभावना और आशंका के अंतर को नहीं समझती और करोना की तीसरी लहर या बादल फटने से बाढ़ आने के मामले में भी संभावना लिख रही है। इस ट्वीट को 30 लोगों ने रीट्वीट किया था और क़रीब 300 लोगों ने लाइक किया था। क्या उस पत्रकार की चिंता जायज़ थी? क्या वाक़ई बाढ़ आने की संभावना लिखना ग़लत है? जानने के लिए आगे पढ़ें।

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