दिखना या दीखना? यह एक ऐसा सवाल है जिसपर अधिकतर लोग कहेंगे, यह भी कोई पूछने की बात है। दिखना ही सही है। सभी यही लिखते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है। एक समय था जब दीखना ही चलता था। आख़िर कैसे दीख का दिख हुआ, यह जानने के लिए आगे पढ़ें।
दिखना या दीखना? यह एक ऐसा सवाल है जिसपर अधिकतर लोग कहेंगे, यह भी कोई पूछने की बात है। दिखना ही सही है। सभी यही लिखते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है। एक समय था जब दीखना ही चलता था। आख़िर कैसे दीख का दिख हुआ, यह जानने के लिए आगे पढ़ें।
रहस्यमय कथा या रहस्यमयी कथा? आप कहेंगे, रहस्यमयी कथा क्योंकि कथा स्त्रीलिंग है। अगर उपन्यास होता तो होता रहस्यमय उपन्यास। वैसे ही जैसे लड़का के साथ अच्छा और लड़की के साथ अच्छी लगता है! सही कह रहे हैं आप। लेकिन आपने एक बात मिस कर दी। अच्छा के अंत में ‘आ’ की मात्रा है, रहस्यमय के अंत में ‘अ’ है। क्या आपने सुंदरी लड़की कभी सुना है?
बच्ची ने दूध पीने से ‘मना’ कर दिया, यह वाक्य सही है या ग़लत है? ‘मना’ को मैंने हाइलाइट कर दिया है ताकि आपको पता चल जाए कि ध्यान किस शब्द पर देना है। अगर आपको लगता है कि यह ग़लत है तो आगे पढ़ने की ज़रूरत नहीं है। अगर आपको लगता है कि यह वाक्य सही है तो आगे पढ़ें क्योंकि इससे आप जान पाएँगे कि मना और इन्कार के अर्थों में बड़ा अंतर है।
यह क्लास संस्कृत के एक आशीष वाक्य से जुड़ी है। इसमें एक शब्द आता है – वह भव है या भवः, यही है सवाल। अधिकतर लोग इसे भवः लिखते-बोलते हैं जो कि हमारे पोल से भी सामने आया। एक सीरियल के नाम में भी भवः ही था। लेकिन क्या यह सही है, जानने के लिए आगे पढ़ें।
कुछ लोगों का शग़ल होता है कि हर महापुरुष की जयंती या पुण्यतिथि पर उनको याद करें, भले ही उन्हें उनके बारे में या उनके विचारों के बारे में रत्तीभर भी पता न हो। इस दौरान वे जिस वाक्य का इस्तेमाल करते हैं, वह है ‘शत-शत नमन’ लेकिन अधिकतर लिखते हैं ‘शत्-शत् नमन’ जो कि ग़लत है। क्यों ग़लत है, यह जानने के लिए आगे पढ़ें।