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आलिम सर की हिंदी क्लास शुद्ध-अशुद्ध

92. लैला के आशिक़ का नाम मजनू था या मजनूँ?

लैला के आशिक़ को कौन नहीं जानता? हाँ, उसका असली नाम बहुत से लोग नहीं जानते होंगे। मगर जिस नाम से वह मशहूर है, उसके बारे में भी भ्रम है कि वह कैसे लिखा जाए – मजनू या मजनूँ। इस विषय में फ़ेसबुक पर हुए एक पोल में 62% ने कहा, मजनूँ, 38% ने कहा – मजनू। सही क्या है, जानने के लिए आगे पढ़ें।

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71. आरोपी – जो आरोप लगाए या जिसपर आरोप लगे?

हिंदी में एक शब्द है आरोपी जिसका बहुत ग़लत प्रयोग होता है। इस शब्द पर हुए फ़ेसबुक पोल में 86% के विशाल बहुमत ने कहा, आरोपी का अर्थ है – वह जिसपर आरोप लगा हो। 14% के मामूली अल्पमत ने इसके उलट कहा कि आरोपी उसको कहते हैं जिसने आरोप लगाया हो। सही क्या है और क्यों है, यह हम आगे जानेंगे।

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45. आशीर्वाद के बोल – आयुष्मान् भव: या आयुष्मान् भव?

यह क्लास संस्कृत के एक आशीष वाक्य से जुड़ी है। इसमें एक शब्द आता है – वह भव है या भवः, यही है सवाल। अधिकतर लोग इसे भवः लिखते-बोलते हैं जो कि हमारे पोल से भी सामने आया। एक सीरियल के नाम में भी भवः ही था। लेकिन क्या यह सही है, जानने के लिए आगे पढ़ें।

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44. धुआँ पिया (धूमपान) या धुएँ जैसा (धूम्रपान) कुछ लिया?

धूम्रपान सही है या धूमपान? अधिकतर लोग कहेंगे – धूम्रपान। शायद आप भी। हमारे फ़ेसबुक पोल में भी यही नतीजा आया जब 88% के विशाल बहुमत ने कहा – धूम्रपान। धूमपान के समर्थक केवल 12% थे। सही क्या है, यह जानने के लिए आगे पढ़ें।

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43. सौ-सौ बार नमन करें मगर शत को शत् न करें

कुछ लोगों का शग़ल होता है कि हर महापुरुष की जयंती या पुण्यतिथि पर उनको याद करें, भले ही उन्हें उनके बारे में या उनके विचारों के बारे में रत्तीभर भी पता न हो। इस दौरान वे जिस वाक्य का इस्तेमाल करते हैं, वह है ‘शत-शत नमन’ लेकिन अधिकतर लिखते हैं ‘शत्-शत् नमन’ जो कि ग़लत है। क्यों ग़लत है, यह जानने के लिए आगे पढ़ें।

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