आप सोच रहे होंगे कि यह भी क्या सवाल हुआ! हर कोई ‘जानता’ है कि दलदल पुल्लिंग है। हमारे फ़ेसबुक पोल में भी 82% साथियों ने दलदल को पुल्लिंग बताया। लेकिन क्या वे सही हैं? आइए, जानते हैं कि प्रामाणिक शब्दकोश दलदल के बारे में क्या कहते हैं।
आप सोच रहे होंगे कि यह भी क्या सवाल हुआ! हर कोई ‘जानता’ है कि दलदल पुल्लिंग है। हमारे फ़ेसबुक पोल में भी 82% साथियों ने दलदल को पुल्लिंग बताया। लेकिन क्या वे सही हैं? आइए, जानते हैं कि प्रामाणिक शब्दकोश दलदल के बारे में क्या कहते हैं।
जो उम्मीदवार, विधायक या सांसद किसी दल से जुड़ा हुआ न हो, उसे निर्दलीय कहते हैं। अब प्रश्न यही है कि इस निर्दलीय का बहुवचन क्या होगा – निर्दलीयों या निर्दलियों। कुछ लोग निर्दलीयों लिखते हैं, कुछ निर्दलियों। सही है ‘निर्दलीयों’ लेकिन कभी-कभी ‘निर्दलियों’ भी सही हो सकता है। कब और क्यों, यही जानेंगे आज की चर्चा में।
यह प्रश्न मुझे स्कूल के ज़माने से ही परेशान किया करता था। मेरे पिताजी आशिर्वाद लिखते थे और माँ आर्शीवाद। कुछ बुजुर्गों की चिट्ठियों में आर्शिवाद भी मिलता था और कहीं-कहीं आशीर्वाद भी। ऐसे में यह समझना मुश्किल हो जाता था कि सही क्या है। तब हिंदी के शब्दकोश भी नहीं होते थे घर में। लेकिन आज यह जानना आसान है कि कौनसा शब्द सही है और क्यों। आज की चर्चा इसी शब्द पर।
कुछ दिन पहले मैंने एक मशहूर कवि के फ़ेसबुक पेज पर यह लिखा देखा – तुम्हें जाना हो तो/ उस तरह जाना/ जैसे गहरी नींद में/ देह से प्राण जाता है (देखें चित्र)। मुझे पढ़कर कुछ खटका। प्राण जाता है या प्राण जाते हैं? बाद में इसके बारे में फ़ेसबुक पर पोल भी किया जिसमें 95% ने कहा – प्राण जाते हैं। क्या वे सही हैं? अगर हाँ तो प्राण का इस्तेमाल बहुवचन जैसा क्यों किया जाता है? आज की चर्चा इसी पर।
ख़ुदकुशी या ख़ुदकशी? यह सवाल थोड़ा मुश्किल है। मुश्किल इसलिए कि उसके दोनों रूप चलते हैं और एकाएक यह तय करना कठिन है कि कौनसा सही है और कौनसा ग़लत। मुश्किल इसलिए और बढ़ जाती है कि ख़ुद के बाद जो शब्द लगा है – कुशी या कशी – इसका अर्थ अधिकतर लोगों को नहीं मालूम होता। अगर मालूम हो तो यह बताना बहुत आसान है कि कौनसा शब्द सही है। आज की इस चर्चा में हम जानेंगे कशी और कुशी का अर्थ और पता लगाएँगे कि कौनसा शब्द सही है।