यदि आपको किसी कहानी या नाटक में ऊपर शीर्षक में दिया गया संवाद लिखना पड़े तो आप क्या लिखेंगे? हूँगा या होऊँगा? जब यही सवाल फ़ेसबुक पर रखा गया तो 82% के विशाल बहुमत ने ‘होऊँगा’ के पक्ष में राय दी। क्या वे सही हैं? अगर सही हैं तो क्या मुंशी प्रेमचंद और निराला जैसे लेखक ग़लत थे जिन्होंने अपनी रचनाओं में बीसियों जगह हूँगा लिखा है? आज की चर्चा इन्हीं दो शब्दों पर है। रुचि हो तो आगे पढ़ें।