ज़िंदगी में हर कोई वक़्त और ज़रूरत पड़ने पर जोखिम लेता ही है। यानी नुक़सान की आशंका होते हुए भी जानते-बूझते हुए ख़तरे का सामना करता है। कभी कोई अपने ड्राइविंग कौशल का दिखावा करने के लिए गाड़ी हवा में दौड़ाता है तो कभी कोई युवती अपने करियर को दाँव पर लगाते हुए भी अपने ग़लीज़ बॉस की शिकायत करती है। दोनों ही मामलों में जोखिम है। और हमारा आज का सवाल बस यही है कि यह जोखिम ली जाती है या लिया जाता है। जोखिम स्त्रीलिंग है या पुल्लिंग?