कुछ दिन पहले मेरे एक पूर्व सहकर्मी ने मुझसे प्रश्न किया – ऊब से ऊबाऊ होगा या उबाऊ? मैंने कहा – उबाऊ। उसका अगला प्रश्न था – उबाऊ क्यों? ऊब से तो ऊबाऊ ही होना चाहिए। यह एक बड़ा सवाल था और मुझे लगा कि इसपर चर्चा होनी चाहिए क्योंकि और भी कई लोग इस प्रश्न से जूझते होंगे कि ऊब से उबाऊ क्यों होता है, ऊबाऊ क्यों नहीं। आज की क्लास इसी विषय पर है। रुचि हो तो पढ़ें।