हम सब जानते हैं कि क़लम स्त्रीलिंग है – मेरी क़लम, न कि मेरा क़लम, नीली क़लम, न कि नीला क़लम। लेकिन कमाल अमरोही के लिखे मशहूर गीत ‘कहीं एक मासूम, नाज़ुक-सी लड़की’ में एक लाइन है – क़लम हाथ से छूट जाता तो होगा…। अगर क़लम स्त्रीलिंग है तो यहाँ होना चाहिए था – क़लम हाथ से छूट जाती तो होगी…! तो क्या कमाल अमरोही ने इस गीत में भाषाई ग़लती कर दी? एक ऐसी ग़लती जिसपर किसी और का ध्यान नहीं गया। आइए, जानते हैं, मामला क्या है। क़लम स्त्रीलिंग है या पुल्लिंग?