कोश और कोष – इनमें से कौनसा शब्द सही है? या फिर दोनों सही हैं? अगर दोनों सही हैं तो क्या दोनों का एक ही अर्थ है या दोनों का अलग-अलग मतलब है? आज की चर्चा इसी पर है। रुचि हो तो पढ़ें।
कोश और कोष के बारे में जब फ़ेसबुक पर पोल किया तो 60% ने कहा कि दोनों शब्द सही हैं हालाँकि उनमें से कई का मत था कि ज्ञान के भंडार के रूप में कोश और धन के भंडार के रूप में कोष का प्रयोग सही है। 36% का मत था कि केवल कोष सही है। शेष 4% को कोश सही प्रतीत हुआ।
जवाब एक वाक्य में – दोनों शब्द सही हैं… और दोनों का एक ही अर्थ है। ऐसा नहीं कि धन के मामले में कोष और ज्ञान के मामले में कोश का प्रयोग होगा जैसा कि कई लोगों ने लिखा है। यह एक भ्रांत मान्यता है जो पता नहीं कहाँ और कैसे विकसित हो गई। किसी शब्दकोश/शब्दकोष में ऐसा नहीं लिखा। जी हाँ, आप शब्दकोश भी लिख सकते हैं और शब्दकोष भी। इसी तरक कोशागार भी सही है और कोषागर भी।
जिन साथियों को विश्वास न हो, वे साथ के चित्र में आप्टे के संस्कृत कोश की वह एंट्री देख सकते हैं जिसमें कोश और कोष को एक ही साथ रखा गया है यह बताने कि लिए कि दोनों का एक ही मतलब है – चाहे यह लिखो, चाहे वह लिखो (देखें चित्र)।
यह तो मामला रहा संस्कृत का जहाँ से ये दोनों जुड़वाँ शब्द हिंदी में आए हैं। क्या हिंदी में आने से उनके अर्थ में अंतर आ गया। कोई भी शब्दकोश ऐसा नहीं कहता।
जिन भाइयों और बहनों को अब भी लगता है कि ज्ञान के लिए कोश और धन के लिए कोष लिखना उचित हैं, उनके लिए हिंदी शब्दसागर की दो एंट्रियाँ प्रस्तुत हैं।
पहली जिसमें शब्दकोश और शब्दकोष को एक ही प्रविष्टि के तौर पर दिया गया है जिसका साफ़ मतलब है कि ज्ञान के भंडार के लिए भी दोनों में कोई भी शब्द इस्तेमाल हो सकता है (देखें चित्र)।
दूसरी जिसमें खज़ाने के लिए कोशागार की एंट्री है (देखें चित्र)। यानी यहाँ भी कोई पार्थक्य नहीं है कोश और कोष में।
मेरी समझ से इसके बाद भ्रम की कोई गुंजाइश नहीं रहनी चाहिए।
कोश और कोष की तरह वृहस्पति और बृहस्पति, बाह्य और वाह्य, वाण और बाण जैसे शब्दों पर भी लोगों को भ्रम होता है कि कौनसा शब्द सही है। इसपर पहले चर्चा हो चुकी है। रुचि हो तो पढ़ें।