ताला खोलने और बंद करने के लिए हम जिस उपकरण का इस्तेमाल करते हैं, वह चाबी है या चाभी? जब इस विषय पर फ़ेसबुक पर पोल किया गया तो मुक़ाबला क़रीबी रहा। चाभी के पक्ष में 52% और चाबी के पक्ष में 48% वोट पड़े। सही क्या है, यह जानने के लिए आगे पढ़ें।
जब मैंने चाबी और चाभी के बारे में पोल किया तो मुझे लगा कि चाबी के पक्षधर ज़्यादा निकलेंगे क्योंकि मैं ख़ुद भी चाबी ही लिखता हूँ लेकिन परिणाम इसका उलटा निकला। चाभी के पक्षधर चाबी के समर्थकों से 4% ज़्यादा रहे।
चाबी और चाभी – ये दोनों हिंदी के शब्द हैं लेकिन जिस मूल शब्द – Chave – से ये बने हैं, वह पुर्तगाली का है, ऐसा प्लैट्स समेत सभी कोशकार मानते हैं।
हालाँकि हिंदी शब्दसागर इसका जन्म चाप से होने का भी अंदाज़ा लगाता है (देखें चित्र)। शब्दसागर में Chave का उच्चारण चेव लिखा है लेकिन उसका सही उच्चारण शावी है।
आपको मालूम होगा कि सन 1498 में वॉस्को ड गामा (पुर्तगाली उच्चारण : वाश्कु द गामा) के भारत आने के कुछ ही साल बाद पुर्तगालियों में हमारे देश में अपना शासन क़ायम करने का प्रयास किया और 16वीं और 17वीं शताब्दी में भारत के पश्चिम और पूर्वी घाट पर बसे कई इलाक़ों पर उनका क़ब्ज़ा था। गोवा, दमन और दीव पर उनका क़ब्ज़ा आज़ादी के बाद भी कुछ सालों तक रहा।
पुर्तगाली दो-तीन सदियों तक भारत में रहे और इस बीच उनकी भाषा के कई शब्दों का हिंदी में प्रवेश हुआ। इसी क्रम में अनन्नास, बाल्टी, आलपिन, पादरी, आया, फ़ीता, इस्पात, पीपा और संतरा के साथ चाबी/चाभी जैसे शब्द भी हिंदी में शामिल हुए।
आज की हमारी क्लास में हम बाक़ी शब्दों को छोड़ केवल चाबी/चाभी पर बात करेंगे। पुर्तगाली में इसके लिए जो शब्द है, उसकी स्पेलिंग है Chave और उसका उच्चारण है शावी। इस श का हिंदी में च कैसे हुआ, मुझे नहीं मालूम। वैसे पुर्तगाली में Ch के दोनों उच्चारण हैं – च और श। सो हो सकता है, उन दिनों Chave का उच्चारण चावी होता हो। वैसे श और च रिश्तेदार हैं इस मायने में कि दोनों तालव्य हैं। इसलिए जीभ अगर तालू में थोड़ा आगे स्पर्श करे तो श का च हो सकता है।
चाहे जो हो, इस Chave से ही चाबी और चाभी बने हैं। कौन पहले बना, कौन बाद में या दोनों साथ-साथ बने, इसका कोई रेकॉर्ड मुझे नहीं मिला। बल्कि एक रोचक जानकारी जो अपने गुजराती मित्र से मिली, वह यह कि गुजरात में इसे अब भी चावी ही बोलते हैं। अगर ऐसा है तो यह तय है कि शुरुआत में इसका उच्चारण चावी ही रहा होगा और उसी से चाबी और चाभी बने होंगे।
पहले चाबी बना या चाभी?
व की ध्वनि के ब की ध्वनि में बदलने के हमारे पास कई उदाहरण हैं जैसे वन का बन, वानर का बानर, वैराग्य से बैराग, वट का बट, इसलिए चावी का चाबी बनना स्वाभाविक है। दूसरी तरफ़ व से भ में परिवर्तन के उदाहरण गिने-चुने हैं। वेष से भेस, वाष्प से भाप, विभूति से भभूत। हाँ, अंग्रेज़ी के कई शब्द जो व की ध्वनि (V) से शुरू होते हैं, उनका बिहार और बंगाल में भ का उच्चारण देखा गया है जैसे Volunteer का भालंटियर, Vote का भोट, Vanish का भैनिश, Variety का भैराइटी आदि। (ऐसा क्यों है, यह जानने के लिए पढ़ें – गांगुली दा का नाम सौरव है या सौरभ?)
मैं भाषाविज्ञान का जानकार नहीं हूँ इसलिए इसके बारे में अपने भाषामित्र योगेंद्रनाथ मिश्र से सलाह की। उनके अनुसार चावी से पहले चाबी ही बना होगा क्योंकि दोनों घोष ध्वनियाँ हैं (यानी उनके उच्चारण के दौरान गले में कंपन होता है)। उसके बाद ब की ध्वनि महाप्राण होकर (यानी उसमें ह की ध्वनि मिलकर) भ बना होगा। वाष्प के भाप बनने के बारे में भी वे यही क्रम बताते हैं। पहले वाष्प का व ब में बदला (बाष्प) और ब फिर ष् के संपर्क में आकर भ बना।
अपनी चर्चा में हमने ऐसे शब्दों पर भी बात की जहाँ उलटे क्रम में भ ही ब में बदल गया हो। जैसे संस्कृत का भगिनी प्राकृत में बहिणी और हिंदी में बहिन>बहन हो गया। इसमें भगिनी का भ ब और ह में टूटा और ग लुप्त हो गया। क्या आप ऐसे और शब्द खोज सकते हैं जहाँ भ का ब हुआ हो? सोचकर देखिए।