गुड्डा का बहुवचन होता है गुड्डे तो गुड़िया का बहुवचन क्या होगा? गुड़िये? या गुड़ियाँ या गुड़ियाएँ? आज की चर्चा गुड़िया तथा इससे मिलते-जुलते अन्य शब्दों के बहुवचन रूपों के बारे में है जिनके अंत में -इया प्रत्यय होता है। यानी गुड़िया के साथ-साथ बुढ़िया, चुहिया, खटिया, लुटिया आदि के बहुवचन रूपों के बारे में बात करेंगे। रुचि हो तो पढ़ें।
आज गुड़िया के बहुवचन रूप के बारे में बात करने से पहले हम संक्षेप में यह जान लें कि हिंदी शब्दों के बहुवचन रूप कैसे बनाए जाते हैं।
हिंदी में किसी शब्द का बहुवचन रूप क्या होगा, यह मुख्यतः दो आधारों पर तय होता है। एक, शब्द पुल्लिंग है या स्त्रीलिंग। दो, शब्द के अंत में कौनसा स्वर है। एक तीसरा उप-आधार भी है कि शब्द के बाद ‘ने, का, से’ जैसा कोई परसर्ग (जिसे कारक चिह्न भी कहते हैं) लगा है या नहीं।
लिंग के आधार पर किसी शब्द का बहुवचन रूप कैसे तय होता है, यह समझने के लिए दो शब्द लें – दिन और रात। दोनों के अंत में ‘अ’ स्वर है। अब दिन का बहुवचन दिन ही होगा – एक दिन, दो दिन, दस दिन। लेकिन रात का बहुवचन रातें होगा यानी शब्द के अंत में मौजूद ‘अ’ का स्वर ‘एँ’ में बदल जाएगा – एक रात, दो रातें, दस रातें।
ऐसे ही नियम लिंग के आधार पर बाक़ी स्वरांत शब्दों के बारे में भी हैं जिनके बारे में हम बहुत पहले चर्चा कर चुके हैं। आप चाहें तो उसे पढ़ने के लिए पोस्ट के अंत में दिए गए लिंक पर जा सकते/सकती हैं।
आज की चर्चा का विषय है गुड़िया। पहली नज़र में गुड़िया लता, कविता, दवा, बला की ही तरह का एक ‘आकारांत स्त्रीलिंग’ शब्द लगता है। ऐसे शब्दों का बहुवचन बनाने का नियम आपको भले ही मालूम न हो, मगर यह तो पता ही होगा कि इनका बहुवचन बनाते समय अंत में ‘एँ’ जोड़ दिया जाता है – जैसे लता का लता+एँ=लताएँ, कविता का कविता+एँ=कविताएँ, दवा का दवा+एँ=दवाएँ और बला का बला+एँ=बलाएँ। इसी हिसाब से गुड़िया का बहुवचन गुड़िया+एँ=गुड़ियाएँ होना चाहिए।
लेकिन गुड़िया जैसे शब्दों के बनने के क्रम में मूल शब्द के अंत में ‘आ’ प्रत्यय नहीं, ‘इया’ प्रत्यय लगा है जिससे गुड्डा से हो जाता है गुड़िया, बूढ़ा से हो जाता है बुढ़िया, चूहा से हो जाता है चुहिया, खाट से हो जाता है खटिया और लोटा से हो जाता है लुटिया।
‘इया’ से अंत होने वाले इन शब्दों का बहुवचन बनाते समय ‘या’ पर चंद्रबिंदु आ जाता है और वे बन जाते हैं – गुड़ियाँ, बुढ़ियाँ, चुहियाँ, खटियाँ और लुटियाँ (देखें चित्र)।
ऐसा क्यों होता है, इसे मेरे भाषामित्र योगेंद्रनाथ मिश्र ने इस पोस्ट में बहुत अच्छी तरह समझाया है। उनके अनुसार बहुवचन बनाते समय इन शब्दों में दरअसल ‘आँ’ जुड़ रहा है। वही ‘आँ’ जो लड़की का बहुवचन करते समय लड़की में जुड़ता है – लड़की+आँ>लड़किआँ>लड़कियाँ।
इसी तरह गुड़िया का बहुवचन बनाने के क्रम में गुड़िया के साथ ‘आँ’ जुड़ता है। बनता है गुड़िया+आँ>गुड़ियाआँ। लेकिन गुड़ियाआँ बोलना मुश्किल है। इसलिए यह ‘आँ’ उससे पहले मौजूद ‘या’ के साथ मिलकर उसे ‘याँ’ कर देता है – (गुड़ि)या+आँ=(गुड़ि)याँ। यही बात बाक़ी इयांत शब्दों पर भी लागू होती है।
लेकिन इसकी देखादेखी भइया का बहुवचन भइयाँ न कर दें। भइया का बहुवचन भइये ही होगा।
कारण, भइया भले ही इयांत शब्द है मगर यह पुल्लिंग है। ऊपर बताया गया इयांत का नियम केवल स्त्रीलिंग शब्दों पर लागू होता है।
जाते-जाते एक अंतिम बात। ऊपर मैंने बहुवचन बनाने के मामले में तीसरे उप-आधार की बात कही। उसका नियम बहुत आसान है। अगर किसी शब्द के बाद ‘ने, का, से’ जैसे परसर्ग लगे हों तो शब्द चाहे स्त्रीलिंग हो या पुल्लिंग, उसके अंत में अ, आ, इ, ई या कोई भी अन्य स्वर लगा हो, उसका बहुवचन रूप बनाते समय अंत में ‘ओं’ प्रत्यय ही लगता है। कुछ उदाहरण देख लें।
- दिन (पुल्लिंग और अंतिम स्वर अ)
कई दिनों से उसका पत्र नहीं आया।
- रास्ता (पुल्लिंग, अंतिम स्वर आ)
रास्तों पर जमा कूड़े से काफ़ी बदबू आ रही थी।
- लड़की (स्त्रीलिंग, अंतिम स्वर ई)
पाकिस्तानी सीरियलों में लड़कियों को पढ़ाने पर काफ़ी ज़ोर दिया जाता है।
- भालू (पुल्लिंग, अंतिम स्वर ऊ)
भालुओं को शहद बहुत पसंद होता है।
- गुड़िया (स्त्रीलिंग, इयांत)
बच्ची ने अपनी सारी गुड़ियों को छुपाकर रख दिया।
हिंदी में एकारांत और ओकारांत संज्ञा शब्द नहीं हैं और उनसे जुड़े कोई नियम भी नहीं हैं। ऐसे में जब विदेशी भाषाओं से कमांडो जैसे ओकारांत शब्द का प्रवेश होता है तो समस्या आती है कि बहुवचन में उसे क्या लिखें। चार कमांडो या चार कमांडों? इसपर अभी कोई आमराय नहीं बनी है।
ऊपर बहुवचन बनाने के नियमों से जुड़ी पुरानी चर्चा का उल्लेख किया था। उस तक जाने का लिंक यह है –