Categories
हिंदी क्लास

क्लास 8 – रात का बहुवचन रातें तो दिन का दिनें क्यों नहीं होता?

अंग्रेज़ी में बहुवचन बनाते समय संज्ञाओं और सर्वनामों का रूप कुछेक अपवादों को छोड़कर हमेशा बदलता है। लेकिन हिंदी में ऐसा नहीं है। कभी बदलता है, कभी नहीं। आज की क्लास में हम यही जानेंगे कि कब बहुवचन में शब्दों का रूप बदलता है और कब नहीं।

किसी शब्द का बहुवचन बनाने पर उसका नया रूप क्या होगा, यह तीन बातों पर निर्भर करता है।

  1. शब्द कारक चिह्न के साथ है या कारक चिह्न के बिना।
  2. शब्द पुल्लिंग है या स्त्रीलिंग।
  3. शब्द के अंत में कौनसी मात्रा है।

(क) जब किसी शब्द के साथ कारक चिह्न (जिन्हें कुछ लोग परसर्ग भी कहते हैं) नहीं लगा हो (मसलन ने, को, पर आदि) तो पुल्लिंग शब्दों में आकारांत शब्द (जैसे रास्ता, गधा, घोड़ा आदि) को छोड़कर बाक़ी किसी शब्द में कोई परिवर्तन नहीं होता। जैसे एक घर, दो घर, एक सिपाही, तीन सिपाही, एक डाकू, चार डाकू लेकिन एक रास्ता, पाँच रास्ते।

आपने देखा रास्ता के अलावा किसी भी और शब्द में कोई परिवर्तन नहीं आया। यानी केवल ‘आ’ से अंत होनेवाले पुल्लिंग शब्द ही बदलेंगे। आकारांत शब्दों के और उदाहरण देखिए – एक घड़ा, दो घड़े, एक पराँठा, तीन पराँठे, एक मुक़दमा, चार मुक़दमे (मुक़दमें नहीं। इस पर हम क्लास 2 में बात कर चुके हैं)।

(ख) जब किसी शब्द के साथ कारक चिह्न (जैसे ने, को, पर आदि) न लगे हों तो स्त्रीलिंग शब्दों में इ-ईकारांत शब्दों के अलावा बाक़ी शब्द एँकारांत हो जाते हैं। जैसे एक ग़ज़ल, कई ग़ज़लें, एक लता, कई लताएँ, एक ऋतु, कई ऋतुएँ लेकिन एक त्रुटि, कई त्रुटियाँ, एक लड़की, कई लड़कियाँ।

आपने देखा कि स्त्रीलिंग शब्दों के मामले में अंत की मात्रा या तो ‘एँ’ में बदल रही है (जैसे ग़ज़ल का ग़ज़लें) या फिर एक अतिरिक्त ‘एँ’ उसमें जुड़ जा रहा है (जैसे लता का लताएँ, ऋतु का ऋतुएँ)। केवल इ-ईकारांत शब्दों में ‘एँ’ के बजाय ‘याँ’ आ रहा है और यदि शब्द में बड़ी ई की मात्रा हो तो वह छोटी इ हो जाती है।

तो हमारा नियम नंबर 1 यह बना कि यदि किसी शब्द के साथ कारक चिह्न न हो तो पुल्लिंग शब्दों के मामले में केवल आकारांत शब्दों में परिवर्तन होगा (आ का ए हो जाएगा), बाक़ी किसी में कोई बदलाव नहीं आएगा। स्त्रीलिंग शब्दों में इ-ईकारांत शब्दों के अलावा बाक़ी सभी शब्दों में या तो अंतिम अक्षर ‘एँ’ में बदल जाएगा (सभी अकारांत शब्दों में) या फिर एक अतिरिक्त ‘एँ’ लग जाएगा (सभी आकारांत और उ-ऊकारांत शब्दों में)। इ-ईकारांत शब्दों में अंत में अतिरिक्त ‘याँ’ लग जाएगा और बड़ी ई की मात्रा छोटी इ में बदल जाएगी।

इस सबक़ को और पुख़्ता करने के लिए हम नीचे कुछ और उदाहरण देख लेते हैं। पहले पुल्लिंग शब्द। आप देखेंगे कि केवल आकारांत शब्दों में परिवर्तन हुआ ।

जब कारक चिह्न न हों – पुल्लिंग शब्द

  • घर (पु.) दो घर 
  • महल (पु.) तीन महल
  • चाँटा (पु.) दो चाँटे
  • रास्ता (पु.) तीन रास्ते
  • कवि (पु.) दो कवि
  • पति (पुं.) पाँच पति
  • भाई (पु.) चार भाई
  • खिलाड़ी (पु.) ग्यारह खिलाड़ी
  • गुरु (पु.) चार गुरु
  • साढ़ू (पु.) दो साढ़ू
  • लड्डू (पु.) सात लड्डू
  • चाकू (पु.) दो चाकू

अब स्त्रीलिंग शब्द। देखिए, इ-ईकारांत शब्दों के अलावा सभी के अंत में ‘एँ’ की मात्रा है। फ़र्क़ केवल इतना है कि अकारांत शब्दों में आख़िर की मात्रा ही ‘एँ’ में बदल जाती है जबकि और मात्राओं में एक अतिरिक्त ‘एँ’ आकर जुड़ जाता है और पहले की बड़ी मात्रा छोटी में बदल जाती है। इ-ईकारांत शब्दों में एक अतिरिक्त ‘याँ’ आ जाता है और अंत की बड़ी ई छोटी इ में बदल जाती है।

जब कारक चिह्न न हों – स्त्रीलिंग शब्द

  • जड़ (स्त्री) कई जड़ें
  • ननद (स्त्री) चार ननदें
  • सड़क (स्त्री) तीन सड़कें
  • दिशा (स्त्री) दस दिशाएँ
  • कथा (स्त्री) तीन कथाएँ
  • छवि (स्त्री) दो छवियाँ
  • रुचि (स्त्री.) कई रुचियाँ
  • कली (स्त्री) दो कलियाँ
  • भाभी (स्त्री.) तीन भाभियाँ
  • वस्तु (स्त्री) तीन वस्तुएँ
  • धातु (स्त्री.) छह धातुएँ
  • बहू (स्त्री) तीन बहुएँ
  • आरज़ू (स्त्री.) हज़ारों आरज़ुएँ

अब हम जानेंगे कि जब कोई कारक चिह्न साथ होता है कि शब्दों के बहुवचन कैसे बनते हैं। अच्छा है कि इसमें स्त्रीलिंग-पुल्लिंग का ज़्यादा लफड़ा नहीं है। सभी में एक ही नियम लागू है। नियम यह कि सभी में आख़िर में ‘ओं’ आ जाएगा या उसकी मात्रा आ जाएगी। हाँ, यह अंतर है कि कुछ में अंतिम अक्षर ही ओंकारांत हो जाता है और कुछ में एक अतिरिक्त ‘ओं’ या ‘यों’ जुड़ जाता है। नीचे कुछ उदाहरण देखते हैं, उससे आपको ख़ुद ही स्पष्ट हो जाएगा।

जब बाद में कारक चिह्न हों – स्त्रीलिंग-पुल्लिंग दोनों

  • घर (पु.) घरों से दूरी।
  • बस (स्त्री.) बसों में भीड़।
  • रास्ता (पु.) रास्तों पर भागमभाग।
  • लता (स्त्री.) लताओं का झुरमुट।
  • कवि (पु.) कवियों को आमंत्रण।
  • छवि (स्त्री.) छवियों की मोहकता।
  • सिपाही (पु.) सिपाहियों का लिबास।
  • लड़ाई (स्त्री.) लड़ाइयों से दूर रहो।
  • दस्यु (पु.) दस्युओं का हमला।
  • ऋतु (स्त्री.) ऋतुओं के अनुसार भोजन।

आपने देखा, आकारांत शब्दों के अलावा बाक़ी सभी मामलों में स्त्रीलिंग-पुल्लिंग में एक जैसा परिवर्तन होता है। अकारांत शब्दों में (घर, बस) आख़िरी मात्रा ‘ओं’ में बदल जाती है (घरों, बसों) जबकि इ-ईकारांत शब्दों में अतिरिक्त ‘यों’ लग जाता है और बड़ी ई की मात्रा छोटी इ में बदल जाती है (कवियों, छवियों, लड़ाइयों, सिपाहियों)। उ-ऊकारांत शब्दों में बड़े ऊ की मात्रा छोटे उ में बदल जाती है और अंत में ‘यों’ नहीं, बल्कि ‘ओं’ जुड़ जाता है (दस्युओं, ऋतुओं)।

आकारांत शब्दों में होनेवाला परिवर्तन स्त्रीलिंग-पुल्लिंग शब्दों में अलग-अलग है। पुल्लिंग शब्दों में जहाँ अंतिम अक्षर ‘आ’ से ‘ओं’ (रास्ता का रास्तों) में बदल जाता है वहीं स्त्रीलिंग शब्दों में अंतिम आ की मात्रा वैसी ही रहती है और एक अतिरिक्त ‘ओं’ जुड़ जाता है (लता का लताओं)।

हाँ, एक बात यहाँ कहनी ज़रूरी है कि संस्कृत से हिंदी में आए तत्सम (तत् यानी उसके, सम यानी समान) शब्दों में आख़िरी अक्षर की आ की मात्रा पुल्लिंग होने के बावजूद ‘ओं’ में नहीं बदलती बल्कि स्त्रीलिंग शब्दों की ही तरह उसमें एक अतिरिक्त ‘ओं’ लग जाता है। इसी तरह रिश्तावाचक शब्दों में भी अतिरिक्त ‘ओं’ लगता है। जैसे देवता का देवतों नहीं, देवताओं; राजा का राजों नहीं, राजाओं; चाचा को चाचों नहीं, चाचाओं; मामा को मामों नहीं, मामाओं आदि।

अब हम अपने शुरुआती सवाल पर आते हैं – निर्दलियों सही है या निर्दलीयों।

ऊपर के नियम से तो निर्दलियों तभी होगा जब मूल शब्द निर्दली हो। निर्दली ईकारांत है और बहुवचन बनाने पर उसकी बड़ी ई की मात्रा छोटी इ में बदल जाएगी और साथ में एक अतिरिक्त यों लग जाएगा। बनेगा निर्दलियों।

लेकिन हम अख़बारों और वेबसाइटों में जो शब्द पढ़ते-देखते आए हैं, वह तो है निर्दलीय – चार निर्दलीय भी चुने गए। अगर शब्द निर्दलीय है तो वह अकारांत है जिसका नियम यह है कि उसके आख़िरी अक्षर में ‘अ’ की मात्रा ‘ओं’ की मात्रा में बदल जाएगी। यानी ‘य’ बदल जाएगा ‘यों’ में। फिर शब्द बनेगा निर्दलीयों। इसी तरह भारतीय का बहुवचन होगा भारतीयों न कि भारतियों। यदि एकवचन में भारती शब्द हो तो उसका बहुवचन होगा भारतियों। इसी तरह शब्द यदि निर्दली हो तभी उसका बहुवचन निर्दलियों होगा।

लेक्चर अभी बाक़ी है ‘भाइयो’ और ‘बहनो’

आपने ऊपर ‘भाइयो’ और ‘बहनो’ देखा? चूँकि संबोधन में हैं, इसलिए उनमें बिंदी नहीं लगी (इसपर हम क्लास #3 में बात कर चुके हैं)। मैं यहाँ दूसरी बात करने जा रहा हूँ। आख़िर क्यों इ-ई की मात्रावाले शब्दों में ‘याँ’ या ‘यों’ लगता है (लड़की से लड़कियाँ या लड़कियों) जबकि बाक़ी मामलों में या तो आख़िरी अक्षर ‘ओं’ में बदल जाता है या शब्द में अतिरिक्त ‘ओं’ लग जाता है (बस का बसों, राजा का राजाओं)। इ-ई की मात्रावाले शब्दों में भी इन्हीं की तरह ‘ओं’ क्यों नहीं लगता, ‘यों’ क्यों लगता है? दूसरे शब्दों में बाक़ी मात्रावाले शब्दों की तरह लड़किआँ या लड़किओं क्यों नहीं होता?

इसका राज़ ध्वनियों के स्वभाव में छुपा है और संधि के नियमों से हम इसे समझ सकते हैं। पहले जान लें कि संधि क्या है। जब कोई दो वर्ण (स्वर-स्वर,स्वर-व्यंजन या व्यंजन-व्यंजन) साथ आते हैं तो उनमें परिवर्तन आता है। इस परिवर्तन को कहते हैं संधि। इसके कुछ नियम होते हैं। जैसे एक नियम यह है कि यदि इ-ई के बाद कोई दूसरा स्वर आए (अ, आ, उ, ऊ आदि) तो इ-ई य में बदल जाती हैं। जैसे अति+अंत=अत्यंत, अति+अधिक=अत्यधिक।

यहाँ बहुवचन बनाने पर इ या ई की मात्रा तो ग़ायब तो नहीं होती लेकिन बाद में जुड़नेवाला ‘आँ’ या ‘ओं’, ‘याँ’ और ‘यों’ में बदल जाता है। इसकी वजह संभवतः यह है कि इ, ई और य ये सभी तालु से बोले जाते हैं सो जीभ को ‘इ-ई’ की मात्रा के बाद ‘य’ बोलना आसान लगता है, ‘आँ या ‘ओं’ बोलने के मुक़ाबले (आ कंठ से बोला जाता है जबकि ओ कंठ और होंठों से)। इसीलिए बाक़ी मात्राओं में जहाँ ‘ओं’ का उच्चारण होता है, वहीं इ-ई के मामले में ‘याँ’ और ‘यों’ का। आप ख़ुद लड़कियाँ और लड़किआँ बोलकर देखें। लड़कियाँ बोलने में आसानी लगेगी।

अंग्रेज़ी में भी इ और दूसरे स्वरों के संगम का यही परिणाम देखने को मिलता है। शब्द में i के बाद कोई और वावल (a, e, o, u) आता है, तो अकसर उच्चारण ‘य’ का ही होता है। जैसे Indian=इंडियन, Onion=अन्यन आदि। अन्यन देखकर चौंक गए ना? आप अब तक ओनियन तो नहीं बोलते थे? यदि बोलते थे तो अब उसे अन्यन बोलना शुरू कर दीजिए क्योकि यही उसका सही उच्चारण है।

पसंद आया हो तो हमें फ़ॉलो और शेयर करें

अपनी टिप्पणी लिखें

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Social media & sharing icons powered by UltimatelySocial