लाडला सही है या लाड़ला? यदि मूल शब्द – लाड़ – को देखें तो लाड़ला ही सही प्रतीत होता है। लेकिन फिर कुछ लोग लाडला क्यों बोलते हैं? जब इस विषय में एक फ़ेसबुक पोल किया गया तो उसमें भी एक-तिहाई लोगों ने लाडला को सही बताया। क्या यह उनकी अज्ञानता है या इसमें हमारी जीभ की भी कोई भूमिका है जो उनसे लाड़ला के बजाय लाडला बुलवाती है?
लाडला और लाड़ला के बीच किए गए फ़ेसबुक पोल में 53% से अधिक वोट लाड़ला (बीच में ड़) के पक्ष में गए जबकि 33% ने लाडला (बीच में ड) को सही बताया। शेष 14% ने दोनों को सही बताने का विकल्प चुना।
लाड़ला के पक्ष में ज़्यादा वोट पड़ना स्वाभाविक है क्योंकि मूल शब्द लाड़ है। सो जिन लोगों को हलका-सा संदेह भी रहा होगा, उन्होंने ‘लाड़’ के आधार पर लाड़ला के पक्ष में वोट दे दिया होगा भले ही वे ख़ुद लाड़ला न बोलते हों या न बोल पाते हों। यदि सभी ने वोट देते समय ‘लाड़’ को आधार बनाया होता तो शत-प्रतिशत वोट लाड़ला के पक्ष में ही पड़े होते।
लेकिन ऐसा हुआ नहीं। क़रीब एक-तिहाई ने लाडला के पक्ष में वोट किया, शायद कई ने यह जानते हुए भी कि यह लाड़ से बना है।
सही क्या है? शब्दकोशों की मानें तो लाड़ला। कारण वही है जो पहले ही बता दिया गया है कि यह ‘लाड़’ से बना है। शब्दकोशों में लाड़ के ठीक नीचे की एंट्री है लाड़ला (देखें चित्र)।
तो फिर यह लाडला शब्द कहाँ से आया? और कैसे इतना प्रचलित भी हो गया?
मेरी समझ से इसका कारण है लाड़ला की शब्दरचना। लाड़ला में पहली और अंतिम ध्वनियाँ ‘ला‘ की हैं और बीच में है ‘ड़‘। यह पूरा शब्द सही-सही बोलने के लिए हमें अपनी जीभ से पहले ऊपरी दाँत के पास भीतरी मसूड़ों को छूना होता है (‘ला’ बोलकर देखें); फिर ‘ड़’ बोलने के लिए जीभ को मोड़ते हुए पीछे ले जाकर कठोर तालु को हलका-सा स्पर्श करते हुए वापस ‘ला’ वाली जगह पर लौटना होता है।
इस दौरान जीभ एक झटका भी देती है क्योंकि ‘ड़’ एक उत्क्षिप्त ध्वनि है और उसके उच्चारण के दौरान जीभ को तालु का स्पर्श करने के बाद एक झटका-सा देना होता है (‘ड़’ बोलकर देखें)।
इस प्रक्रिया को अच्छी तरह से समझने के लिए ‘ला’, ‘ड़’ और ‘ला’ को गैप देकर बोलें। आप बोल पाएँगे। अब ज़रा जल्दी-जल्दी लाड़ला बोलने की कोशिश करें – लाड़ला-लाड़ला-लाड़ला-लाड़ला-लाड़ला-लाड़ला… आप पाएँगे कि जितना तेज़ बोलने की कोशिश आप करेंगे, उतना ही लाड़ला के बजाय लाडला का उच्चारण आपको सुनाई देगा।
कारण क्या है? कारण यह है कि ‘ड़’ के मुक़ाबले ‘ड’ का स्पर्शस्थल ‘ल’ के स्पर्शस्थल के अधिक क़रीब है (‘ल’, ‘ड’ और ‘ड़’ को एक-के-बाद-एक बोलकर देखें)। इसलिए लाड़ला के फटाफट उच्चारण के दौरान जीभ पीछे जाते समय ‘ड़’ के स्पर्शस्थल तक पहुँचने से पहले वैसे ही लौट आती है जैसे कोई बल्लेबाज़ रन लेते समय आधे पिच तक जाने के बाद ही वापस आ जाए। अब जीभ जिस आधे पिच तक पहुँची थी, वहाँ से ‘ड’ का उच्चारण होता है। इसलिए आप भले ही लाड़ला बोलने का प्रयास करें, उच्चारण हो जाता है ‘ड’ का यानी लाडला।
लाड़ के मामले में यह समस्या नहीं है। कारण, लाड़ का ‘ड़’ बोलने के बाद जीभ को वापस कहीं जाने की ज़रूरत नहीं है और अगला शब्द बोलने से पहले उसे थोड़ा गैप मिल जाता है। इसी तरह लड़का-लड़की में भी यह दिक़्क़त नहीं है क्योंकि उसमें जीभ को ‘ड़’ बोलने के बाद कहीं स्पर्श ही नहीं करना है।
यह तो हुई एक संभावना लाड़ला के लाडला में बदलने का। लेकिन इसकी कुछेक और वजहें भी हो सकती हैं। पहली, लाड़ला को रोमन में लिखेंगे तो Ladala/Laadla ही लिखा जाएगा क्योंकि ‘ड़’ के लिए रोमन लिपि में कोई वर्ण नहीं है। इसलिए इस रोमन स्पेलिंग को देखकर कई लोग समझ सकते हैं कि सही शब्द लाडला ही होगा।
दूसरी वजह यह हो सकती है कि मराठी में ‘ड़’ की ध्वनि तो है लेकिन वर्ण नहीं। इसलिए मराठी में लाड़ला लिखना होगा तो लाडला ही लिखा जाएगा। इसी कारण महाराष्ट्र स्थित मुंबई (बॉलिवुड) से इस नाम की जो दो मूवीज़ आ चुकी हैं, उन दोनों के टाइटल्ज़ में रोमन में Laadla और देवनागरी में लाडला लिखा हुआ है (देखें चित्र)।
हमारे समाज पर बॉलिवुड का असर तो हम जानते ही हैं। सो हो सकता है, मूवीज़ के नाम में Laadla और लाडला देखकर कई लोग लाडला बोलने/लिखने लगे हों।
अब आती है घड़ी फ़ैसले की। फ़ैसला यह कि लिखते समय लाड़ला ही लिखना चाहिए भले ही बोलते समय उच्चारण लाडला जैसा हो जाए। जैसे गहना बोलते समय गेहना जैसा उच्चारण होता है मगर हम लिखते तो गहना ही हैं।
लाड़ला और लाडला की तरह एक और शब्द है ढूँढना और ढूँढ़ना। इनमें कौनसा सही है, इसपर पहले चर्चा हो चुकी है। चाहें तो नीचे दिए गए लिंक पर जाकर उसमें भाग ले सकते हैं।