जब किसी शब्द के बाद ‘इक’ प्रत्यय लगता है तो शुरुआती ‘अ’ का ‘आ’ हो जाता है (धर्म का धार्मिक), ‘इ’ या ‘ई’ का ‘ऐ’ हो जाता है (इतिहास का ऐतिहासिक), ‘उ’ या ‘ऊ’ को ‘औ’ हो जाता है (भूगोल का भौगोलिक)। यदि इस नियम को अणु पर लगाएँगे तो उससे क्या बनेगा – आणिक, आणविक या आण्विक? आज की चर्चा इसी पर है। रुचि हो तो पढ़ें।
अणु शब्द मुझे अपने अख़बारी जीवन से ही परेशान करता रहा था। परेशानी के कारण दो थे।
पहला कारण – इसका Atom के अर्थ में इस्तेमाल। स्कूल के ज़माने में हम Molecule के लिए अणु और Atom के लिए परमाणु शब्द का प्रयोग करते थे। Atom Bomb को भी परमाणु बम ही कहा जाता था। ऐसे में Atom के लिए अणु और Atomic के लिए अणु से निर्मित कोई शब्द कैसे लिखा जा सकता है? यदि लिखना भी हो तो वह शब्द परमाणु से बनना चाहिए, ऐसा मेरा सोचना था।
चलिए, Atomic के लिए अणु से बना शब्द लिख भी दिया तो वह आणविक कैसे बनेगा? इक प्रत्यय के नियमों के आधार पर धर्म से धार्मिक और नीति से नैतिक शब्दों का बनना तो समझ में आता था मगर अणु से आणविक बनना समझ में नहीं आता था। चूँकि शब्दकोशों में यही था (देखें चित्र) इसलिए यही लिखते भी थे।
मगर हाल के दिनों में मैंने देखा कि कई स्थानों पर आणविक की जगह आण्विक चल रहा है (देखें चित्र)। हैरत की बात तो यह है कि जब मैंने इन दो शब्दों पर एक फ़ेसबुक पोल किया तो उसमें दो-तिहाई से अधिक यानी 69% लोगों ने आण्विक को सही बताया।
सही क्या है, यह जानने के दो तरीक़े हैं। एक, शब्दकोश के आधार पर। दूसरा, शब्दरचना के आधार पर। शब्दकोश में आणविक है, यह तो हमने पहले ही देख लिया। अब शब्दरचना के आधार पर जानेंगे कि आणविक और आण्विक में कौनसा सही है।
पहले आण्विक की बात करते हैं क्योंकि मेरे पोल में अधिकतर लोगों ने इसे सही बताया था। क्यों बताया, इसका कारण तो मैं नहीं जानता लेकिन अंदाज़ा लगा सकता हूँ कि लोगों ने अणु और इक में यण संधि का नियम लगा दिया और उसे आण्विक बना दिया। जिन्हें न मालूम हो, उन्हें बता दूँ कि यण संधि में ‘उ’ किसी अन्य स्वर से मिलने पर ‘व्’ में बदल जाता है। सो उन्होंने सोचा – अणु+इक=अण्+उ+इक=अण्+व्+इक=आण्विक। लेकिन एक बात की ओर उनका ध्यान नहीं गया। यदि अणु और इक में संधि होती है तो अण्विक बनना चाहिए था, आण्विक कैसे बन सकता है? जैसे तनु+अंगी में संधि होती है तो तन्वंगी बनता है, तान्वंगी तो नहीं बनता।
दरअसल इक प्रत्यय में संधि का मामला है ही नहीं। अगर होता तो धर्म+इक धार्मिक नहीं होता, धर्मेक होता (गुण संधि में अ+इ=ए होता है) जैसे धर्म+ईश=धर्मेश। इसी तरह राजनीति+इक राजनीतिक नहीं होता, राजनीतीक होता (दीर्घ संधि में इ+इ=ई होता है)।
अब प्रश्न यह उठता है कि जब इक प्रत्यय में संधि ज़रूरी नहीं होती तो ये शब्द आख़िर किस आधार पर बनते हैं। इसका नियम आपमें से कई लोगों का मालूम होगा। इसका नियम मैंने ऊपर इंट्रो में बताया है। यहाँ फिर से दोहरा देता हूँ।
नियम यह है कि जब किसी शब्द के बाद इक प्रत्यय लगता है तो शुरुआती वर्ण में परिवर्तन हो जाता है जैसे ‘अ’-‘आ’ का ‘आ’, ‘इ’-‘ई’ का ‘ऐ’, ‘उ’-‘ऊ’ को ‘औ’ आदि। साथ ही अंतिम स्वर चाहे जो हो, वह ‘इ’ में बदल जाता है। इसके कुछ अपवाद हैं मगर हम यहाँ उसकी बात नहीं करेंगे।
इस नियम के आधार पर हम मर्म के मार्मिक (अ>आ), इच्छा के ऐच्छिक (इ>ऐ) और भूगोल के भौगोलिक (ऊ>औ) में परिवर्तन को समझ सकते हैं। लेकिन मुश्किल यह है कि इक प्रत्यय के संदर्भ में हमें जो उदाहरण स्कूल में पढ़ाए जाते हैं, वे सब अकारांत (धर्म, समाज), आकारांत (शिक्षा, इच्छा)) या इकारांत (नीति, राजनीति) ही थे। उनमें अणु जैसा उकारांत शब्द नहीं था।
इसलिए जब हमारे सामने अणु जैसा उकारांत शब्द आता है तो हमें समझ में नहीं आता कि इसमें इक प्रत्यय लगेगा तो क्या बनेगा। मैंने हिंदी व्याकरण की कई किताबों में इसका जवाब खोजा लेकिन नहीं मिला। कारण, इसका जवाब हिंदी में है ही नहीं। इसका जवाब हमें संस्कृत में मिलेगा।
मैंने संस्कृत के विद्वानों से बात की और उन्होंने जो बताया (देखें चित्र), उसके अनुसार हम अणु से आणविक बनने की प्रक्रिया को इस तरह समझ सकते हैं।
- अणु में ठक् (इक) प्रत्यय लग रहा है जिससे आदिवृद्धि होगा यानी ‘अ’ का ‘आ’ हो जाएगा।
- अणु में गुण आदेश होगा जिससे णु का ‘उ’ अव् में बदल जाएगा।
- फलत: अ+ण्+उ+इक=आ(आदिवृद्धि)+ण्+अव् (गुणादेश)+इक=आणविक बनेगा।
- इसे एक और आसान तरीक़े से समझ सकते हैं कि संस्कृत के किसी नियम से अणु का आणव हो जाता है और उसमें इक प्रत्यय लगने से (आणव+इक) आणविक बन जाता है।
यदि अभी भी कोई भ्रम है तो इन तीन शब्दों पर ग़ौर करें – पाशविक, स्नायविक और वास्तविक। ये तीनों शब्द क्रमशः पशु, स्नायु और वस्तु जैसे शब्दों से बने हैं जो अणु की ही तरह उकारांत है। इसलिए इसमें भी वही प्रक्रिया चली। पशु से पाशव, स्नायु से स्नायव और वस्तु से वास्तव जिनके बाद इक प्रत्यय लगा। इसलिए इन तीन शब्दों की वर्तनी को देखकर भी आप कह सकते हैं कि अणु से आणविक ही बनेगा, आण्विक नहीं।