आपने कई लोगों को किसी के बारे में कहते सुना होगा – ‘वह भाड़ में जाए’। हो सकता है, आप स्वयं भी इस मुहावरे का प्रयोग करते हों। इसी तरह ‘भाड़ झोंकना’ भी चलता है। मगर इन मुहावरों में आए ‘भाड़’ का अर्थ क्या आप जानते हैं? नहीं जानते तो पढ़ें यह शब्दचर्चा जिसमें भाड़ का मतलब बताया गया है। साथ ही यह भी कि भाड़ की जगह भाँड़ का प्रयोग करने से कैसे अर्थ का अनर्थ हो सकता है।
आइए, पहले ‘भाड़’ का मतलब समझते हैं।
‘भाड़’ का मतलब है एक तरह की भट्ठी जिसमें अनाज भूनने के लिए बालू को गरम किया जाता है। हिंदी शब्दसागर में ‘भाड़’ के बारे में यह विस्तृत जानकारी दी गई है।
‘यह एक छोटी कोठी के आकार का होता है जिसमें एक द्वार होता है और जिसकी छत पर बहुत से मिट्टी के बर्तन ऊपर को मुँह करके जड़े होते हैं। इसकी दीवार हाथ-सवा हाथ ऊँची होती है। इसके द्वार से ईंधन डाला जाता है जिससे आग जलती है। आग की गर्मी से बालू लाल होता है जिसे अलग निकालकर दूसरे बर्तन में दानों के साथ रखकर भूनते हैं। दो-तीन बार इस प्रकार गरम बालू डालने ओर चलाने से दाने खिल जाते हैं।‘
भाड़ की इसी एंट्री में आगे भाड़ झोंकना और उसका अर्थ भी दिया हुआ है।
आपने देखा, ‘भाड़ झोंकने’ का अर्थ निकलता है – ‘भाड़’ में ईंधन डालना। लेकिन मुहावरे के तौर पर इसका मतलब हुआ – व्यर्थ समय गँवाना। मसलन – इतने साल दिल्ली में केवल भाड़ झोंकते रहे?
‘भाड़ झोंकना’ से मिलता-जुलता एक और प्रयोग चलता है – ‘भाड़ में झोंकना’। उसका मतलब थोड़ा भिन्न है। शाब्दिक तौर पर उसका अर्थ हुआ – आग में डालना, जलाना, फेंकना, नष्ट करना मगर मुहावरे के तौर पर उसका अर्थ हुआ – जाने देना, त्यागना। मसलन – अब तुम्हें जो हिस्सा दस साल से नहीं मिला, उसे भाड़ में झोंको और आगे की ज़िंदगी शुरू करो।
‘भाड़’ से ही एक और मुहावरा बना है – ‘भाड़ में जाओ’। यह आम तौर पर झल्लाहट में कहा जाता है जब किसी का दूसरे पर ज़ोर नहीं चलता और इसका आशय होता है कि अब तुम जानो और तुम्हारा काम जाने, मेरी बला से।
‘भाड़’ से ही मिलता-जुलता एक और शब्द है ‘भाँड़’ और अकसर लोग उससे भ्रमित हो जाते हैं। हाल ही में देखा, किसी ने फ़ेसबुक पर अपने बायो में यह वाक्य डाला है – भाँड़ में जाए दुनिया, हम बजाएँ हरमुनिया (देखें चित्र)। यहाँ भाँड़ नहीं, भाड़ होना चाहिए।
भाँड़ के मुख्यतः दो मतलब होते हैं। एक, बर्तन आदि। दूसरा, मसख़रा। दोनों ही शब्द संस्कृत शब्दों से उपजे हैं। बर्तन वाला अर्थ भाण्ड से जबकि मसख़रे वाला अर्थ भंड से (देखें चित्र)।
इसलिए ‘भाड़ झोंकना’ को यदि ‘भाँड़ झोंकना’ कहेंगे तो कोई अर्थ ही नहीं निकलेगा क्योंकि किसी बर्तन या मसख़रे को आप कैसे झोंक सकते हैं?
बर्तन की बात आई तो सही शब्द कड़ाही है या कढ़ाही? इसपर पहले चर्चा हो चुकी है। यदि आपकी जानने में रुचि है कि सही शब्द क्या है तो नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक या टैप करके पढ़ सकते हैं।