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एकला चलो

उसने पूछा था – क्या मुझे सचमुच मरना ही पड़ेगा?

उन दिनों मैं संपादकीय पेज की चिट्ठियाँ छाँटा करता था जब मुझ वह चिट्ठी मिली। चिट्ठी लिखने वाली थी 22 साल की एक लड़की जिसके माता-पिता उसकी जबरन शादी किए दे रहे थे। वह इस शादी के ख़िलाफ़ थी क्योंकि वह शादी करके अपने बच्चे पैदा करने के बजाय अनाथ बच्चों की माँ बनना चाहती थी। उसने नवभारत टाइम्स के संपादक से मदद माँगते हुए अंत में लिखा था – आप ही बताइए, क्या इस लड़की को सचमुच मरना ही पड़ेगा क्योंकि आप इस पत्र को इतना महत्वपूर्ण नहीं समझते।

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जाते-जाते वो उन्हें अपनी कहानी दे गया…

कोई व्यक्ति जब रिटायर होता है तो एक छोटा-सा फ़ेयरवेल मेल लिखता है जिसमें कुछ पुरानी बातें याद करता है और सबको धन्यवाद देता है। मैं जब 2018 में नवभारत टाइम्स वेबसाइट के संपादक के पद से रिटायर हुआ तो वही किया जो वहाँ रहते हुए किया था। अपने 34 साल के करियर में जो सीखा था, वह उस एक मेल में रख दिया। यदि आप पत्रकार हैं और नहीं भी हैं और जानना चाहते हैं कि मेरी समझ से एक अच्छे पत्रकार को क्या करना चाहिए और कैसा होना चाहिए तो यह फ़ेयरवेल मेल पढ़ सकते हैं।

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अपना भारत : प्रेमियों की हत्या, रेपिस्टों का स्वागत!

यदि कोई लड़का या लड़की अपनी जाति या धर्म से बाहर शादी कर ले तो परिवार और समाज उसके ख़िलाफ़ लट्ठ लेकर खड़े हो जाते हैं, उसकी हत्या तक कर देते हैं। लेकिन यदि कोई लड़का किसी लड़की के साथ बलात्कार करता है तो कोई पिता, कोई परिवार, कोई समाज उसे बुरा-भला नहीं कहता, उसकी जान नहीं लेता। बल्कि उसे बचाने में जुट जाता है। यह कैसा समाज है जो प्यार का विरोध करता है, लेकिन बलात्कारियों का साथ देता है।

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चमत्कार! मेरी बेटी के पिगी ने भी दूध पिया

पिछले संडे अचानक एक प्लान सूझा। सोचा, मूर्तियों के दूध पीने का एक्सपेरिमेंट घर में क्यों नही ट्राइ किया जाए। अब घर में कोई मूर्ति तो थी नहीं, सो बेटी का एक खिलौना ले लिया। उसे अच्छे से धो-पोंछकर साफ किया। फिर दूध का एक कटोरा लिया और बैठ गए उसे दूध पिलाने। पत्नी से कहा, विडियो कैमरा ऑन करो। उसके बाद क्या हुआ, जानकर आप भी चौंक जाएँगे।

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सत्य साईं था जादूगर, यह विडियो हमें बताता है

कुछ लोग शौक़िया जादूगर होते हैं जैसे मेरे मित्र प्रदीप जायसवाल और अनुराग अन्वेषी हैं। कुछ पेशेवर जादूगर होते हैं जैसे पी. सी. सरकार और ओ. पी. शर्मा। और कुछ धूर्त जादूगर होते हैं जैसे सत्य साईं बाबा और उनके जैसे ढेरों अन्य। पहले के ज़माने में पता नहीं चल पाता था इन धूर्त बाबाओं की बेईमानियों का। लेकिन आज विडियो और स्लोमोशन के ज़माने में साफ़ पता चल जाता है कि बाबा कैसे पब्लिक को उल्लू बना रहा है।

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