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आलिम सर की हिंदी क्लास शुद्ध-अशुद्ध

195. बड़ों से क्या मिलता है – आशीर्वाद या आर्शीवाद?

यह प्रश्न मुझे स्कूल के ज़माने से ही परेशान किया करता था। मेरे पिताजी आशिर्वाद लिखते थे और माँ आर्शीवाद। कुछ बुजुर्गों की चिट्ठियों में आर्शिवाद भी मिलता था और कहीं-कहीं आशीर्वाद भी। ऐसे में यह समझना मुश्किल हो जाता था कि सही क्या है। तब हिंदी के शब्दकोश भी नहीं होते थे घर में। लेकिन आज यह जानना आसान है कि कौनसा शब्द सही है और क्यों। आज की चर्चा इसी शब्द पर। 

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194. जान जाती है… मगर प्राण? जाता है या जाते हैं?

कुछ दिन पहले मैंने एक मशहूर कवि के फ़ेसबुक पेज पर यह लिखा देखा – तुम्हें जाना हो तो/ उस तरह जाना/ जैसे गहरी नींद में/ देह से प्राण जाता है (देखें चित्र)। मुझे पढ़कर कुछ खटका। प्राण जाता है या प्राण जाते हैं? बाद में इसके बारे में फ़ेसबुक पर पोल भी किया जिसमें 95% ने कहा – प्राण जाते हैं। क्या वे सही हैं? अगर हाँ तो प्राण का इस्तेमाल बहुवचन जैसा क्यों किया जाता है? आज की चर्चा इसी पर।

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193. ख़ुद की जान लेना ख़ुदकुशी है या ख़ुदकशी?

ख़ुदकुशी या ख़ुदकशी? यह सवाल थोड़ा मुश्किल है। मुश्किल इसलिए कि उसके दोनों रूप चलते हैं और एकाएक यह तय करना कठिन है कि कौनसा सही है और कौनसा ग़लत। मुश्किल इसलिए और बढ़ जाती है कि ख़ुद के बाद जो शब्द लगा है – कुशी या कशी – इसका अर्थ अधिकतर लोगों को नहीं मालूम होता। अगर मालूम हो तो यह बताना बहुत आसान है कि कौनसा शब्द सही है। आज की इस चर्चा में हम जानेंगे कशी और कुशी का अर्थ और पता लगाएँगे कि कौनसा शब्द सही है।

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192. शाम का वक़्त यानी सायंकाल या सांयकाल?

कुछ शब्द ऐसे होते हैं जो बोलचाल में कम इस्तेमाल होते हैं मगर लिखने में उनका प्रयोग होता है। आज की चर्चा एक ऐसे ही एक शब्द के बारे में है जो संस्कृत से आया है और जिसका अर्थ है शाम का वक़्त। कुछ लोग इसे सायंकाल लिखते हैं और कुछ लोग सांयकाल। यानी कुछ लोग ‘सा’ पर बिंदी लगाते हैं तो कुछ लोग ‘य’ पर। आख़िर सही क्या है, इसी पर है आज की चर्चा। साथ ही इसके उच्चारण पर भी की गई है बात की गई है। रुचि हो तो आगे पढ़ें।

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191. ‘नरो वा कुंजरो’ का ज़िक्र महाभारत में नहीं तो कहाँ है?

‘नरो वा कुंजरो’ – यह वाक्य कभी सुना है? याद कीजिए। चलिए, कुछ क्लू दे देता हूँ। युधिष्ठिर, अश्वत्थामा, हाथी, द्रोणाचार्य? कुछ याद आया? चलिए, बता देता हूँ – महाभारत में जब युधिष्ठिर द्रोणाचार्य को उनके बेटे अश्वत्थामा के मारे जाने की झूठी सूचना देते हैं और कहते हैं – अश्वत्थामा हत इति (अश्वत्थामा मारा गया) तो उसके ठीक बाद कहते हैं – नरो वा कुंजरो। सही? या ग़लत? इस विषय में एक चौंकाने वाली जानकारी के लिए आगे पढ़ें।

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