Categories
आलिम सर की हिंदी क्लास शुद्ध-अशुद्ध

115. हाट में ताला=हटताल बदलकर कैसे बना हड़ताल?

हड़ताल शब्द तो आपने सुना ही होगा और इसका मतलब क्या है, यह भी आप जानते होंगे। लेकिन यह शब्द बना कैसे? हड़ का क्या मतलब है और ताल का क्या अर्थ है? क्या इसका हड़काने से कोई संबंध है? क्या इसका हड़कंप से कुछ लेना-देना है? या किसी और ही शब्द का बिगड़ा या बदला हुआ रूप है हड़ताल? जानने के लिए आगे पढ़ें।

Categories
आलिम सर की हिंदी क्लास शुद्ध-अशुद्ध

114. गुलाब की पंखुड़ी-सा है, वह होंठ है या होठ है?

होंठ लिखना सही है या होठ? या ये दोनों ग़लत हैं और सही शब्द हैं होंट या होट! जब मैंने इसपर फ़ेसबुक पोल किया तो 56% ने होंठ को सही बताया। होठ के समर्थक 38% थे। होंट को सही मानने वाले बहुत कम थे – 6% जबकि होट के पक्ष में एक भी वोट नहीं पड़ा। सही क्या है, यह जानने के लिए आगे पढ़ें।

Categories
आलिम सर की हिंदी क्लास शुद्ध-अशुद्ध

113. शेर जहाँ हों ज़्यादा, है शेर-बाहुल्य या शेर-बहुल?

किसी जगह पर कोई जाति, कोई प्रजाति या कोई समुदाय अधिक संख्या में हो तो उसे बताने के लिए एक शब्द है। क्या है वह – बहुल या बाहुल्य? यही सवाल मैंने पिछले दिनों फ़ेसबुक पर पूछा। जवाब में 60% ने कहा – बहुल, 40% ने कहा – बाहुल्य। सही क्या है, जानने के लिए आगे पढ़ें।

Categories
आलिम सर की हिंदी क्लास शुद्ध-अशुद्ध

112. मेरे ‘महबूब’ क़यामत होगी, आज तेरे नाम पे चर्चा होगी

जिससे आप प्यार करते हैं, उसे महबूब कहेंगे या मेहबूब? जब मैंने इसके बारे में फ़ेसबुक पोल किया तो तीन-चौथाई ने महबूब को सही बताया। उनका जवाब सही है। लेकिन क्या वे बोलते समय भी महबूब ही बोलते हैं या उनके मुँह से मेहबूब निकलता है? आप हिंदी फ़िल्मों के वे गाने सुन लीजिए जिसमें महबूब या महबूबा का इस्तेमाल हुआ है, सबमें गायकों के मुँह से मेहबूब और मेहबूबा ही निकला है। और महबूब ही नहीं, ऐसे ढेर सारे शब्द हैं जिनमें शुरू का ‘अ’ बदल जाता है ‘ए’ में। कौनसे हैं वे शब्द और कब ऐसा होता है, जानने के लिए आगे पढ़ें।

Categories
आलिम सर की हिंदी क्लास शुद्ध-अशुद्ध

111. संगठन और संघटन, क्या सही, क्या ग़लत?

आप जानते होंगे कि हिंदी में कई शब्द ऐसे हैं जो संस्कृत से आए हैं। कुछ अपने शुद्ध रूप में तो कुछ अपना रूप बदलकर। जैसे ग्राम और गाँव, पत्र और पत्ता, दुग्ध और दूध। हिंदी में ये दोनों ही तरह के शब्द चलते हैं – शुद्ध यानी तत्सम और परिवर्तित यानी तद्भव। लेकिन एक शब्द ऐसा है जो देखने-पढ़ने से लगता है बिल्कुल संस्कृत शब्द जैसा मगर है नहीं। वह है संगठन। संगठन जैसा कोई शब्द संस्कृत में नहीं है और जो है या जिससे यह शब्द बना है, उसके बारे में 90% को मालूम ही नहीं। क्या है वह शब्द, जानने के लिए आगे पढ़ें।

Social media & sharing icons powered by UltimatelySocial