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आलिम सर की हिंदी क्लास शुद्ध-अशुद्ध

134. ६ के अंक के लिए क्या लिखें – छह, छः या छ?

हिंदी के १ से १० तक के सारे अंकों के नाम एक ही तरह से बोले और लिखे जाते हैं, बस ६ को छोड़कर जिसे कोई ‘छह’ लिखता है तो कोई ‘छः’। जब मैंने पत्रकारिता शुरू की थी तो संपादक जी ने मुझे ‘छह’ लिखने का निर्देश दिया था। कारण न मैंने पूछा, न उन्होंने बताया। आज की इस क्लास में हम इसी विषय की पड़ताल करेंगे कि ६ के लिए क्या लिखना सही है और जानेंगे कि न ‘छह’ पूरी तरह सही है, न ही ‘छः’। मूल शब्द तो कुछ और है। क्या है, जानने के लिए आगे पढ़ें।

जब मैंने इस विषय पर फ़ेसबुक पोल किया ‘छह’ और ‘छः’ के साथ-साथ एक तीसरा विकल्प भी दिया – ‘छ’ का। उम्मीद के मुताबिक़ मुक़ाबला ‘छह’ और ‘छः’ के बीच ही रहा। वैसे मैं ‘छह’ के पक्ष में ज़्यादा समर्थन की आशा कर रहा था (क्योंकि मैं भी सालों से यही लिखता आ रहा हूँ) लेकिन उसको केवल 32% लोगों का समर्थन मिला जबकि ‘छः’ के पक्षधर आधे से भी ज़्यादा रहे – 55%। 8% ने दोनों को सही बताया जिनमें से एक सज्जन का अनुमान था कि हिंदी में ‘छह’ और संस्कृत में ‘छः’ सही है।

ऊपर के आँकड़े से आप समझ ही गए होंगे कि तीसरे विकल्प ‘छ’ के पक्षधर बहुत ही कम रहे। केवल 5%। बिल्कुल हमारी राजनीति की तरह जहाँ ‘सही बात’ कहने वाले को बहुत कम लोगों का समर्थन मिलता है।

जी हाँ, सबसे सही है ‘छ’। वही है जिससे ‘छह’ और ‘छः’ निकले हैं।

सबसे पहले शब्दकोश का प्रमाण। हिंदी शब्दसागर जो एक प्रामाणिक शब्दकोश है, उसमें ‘छह’ की एंट्री में लिखा है – वि. देखें ”छ”।

फिर जब हम ‘छ’ की एंट्री में जाते हैं तो वहाँ यह लिखा पाते हैं – गिनती में पाँच से एक अधिक। जो संख्या में पाँच और एक हो। छः। छह। (देखें चित्र)।

चित्र में आपने देखा होगा कि ‘छ’ के अर्थ में ‘छः’ और ‘छह’ भी लिखा हुआ है। यही नहीं, कोश में अन्यत्र शब्दों के अर्थ के तौर पर भी ‘छः’ का इस्तेमाल हुआ है (देखें चित्र)।

इसका मतलब यह हुआ कि कोशकार ‘छह’ और ‘छः’ को पूरी तरह ग़लत नहीं मानता। लेकिन वह ‘छ’ को ही मूल शब्द मानता है जिससे आगे चलकर ‘छः’ और ‘छह’ बने। कैसे बने, क्यों बने, इसके बारे में हम आगे चर्चा करेंगे। पहले यह जान लें कि कोशकार किस आधार पर इस निष्कर्ष पर पहुँचा होगा कि मूल शब्द ‘छ’ है।

हम जानते हैं कि हिंदी की सारी संख्याएँ संस्कृत से आई हैं। जिस संख्या की बात हम कर रहे हैं, वह भी निश्चित रूप से वहीं से आई होगी और उसका नाम भी। संस्कृत में 6 के लिए जो शब्द है, वह है षष् जो बहुवचन में षट् और षड् के रूप में बदल जाता है। इसी से छह चेहरे वाले को षडानन (षट्+आनन) कहते हैं।

अब इस षष् या षट् से क्या बना होगा? हिंदी शब्दसागर के अनुसार षट् से प्राकृत में बना छ (देखें चित्र)।

मूल शब्द ‘छ’ रहा होगा, इस धारणा को इस बात से भी बल मिलता है कि जितनी भी संख्याएँ हैं, उनमें कहीं भी ‘छह’ या ‘छः’ नहीं है। सभी में ‘छ’ है। मसलन छठा में ‘छ’ है, छब्बीस में ‘छ’ है, छत्तीस में ‘छ’ है, छिहत्तर में ‘छि’ है, छियासी में ‘छि’ है – ‘छह’ या ‘छः’ तो कहीं नहीं है।

अगर मूल शब्द ‘छह’ होता तो 26 के लिए छहबीस और 36 के लिए  छहतीस बोला या लिखा जाता, छब्बीस या छत्तीस नहीं।

इसपर प्रतिप्रश्न यह हो सकता है कि कहीं छहबीस और छहतीस ही मुखसुख के कारण (‘ह’ की ध्वनि के अगली ध्वनि में परिवर्तन के चलते) छब्बीस और छत्तीस में तो नहीं बदल गए!  छिहत्तर और छियासी के मामलों में भी हो सकता है कि ‘छह’ पहले ‘छे’ में बदला हो और फिर ‘छि’ में।

यह हम जानते हैं कि ‘अ’ स्वरयुक्त किसी ध्वनि के बाद ‘ह’ हो तो बोलने के दौरान ‘ह’ उससे पूर्ववर्ती ‘अ’ स्वर को ‘ए’ स्वर में बदल देता है जैसे महबूब को मेहबूब और महफ़िल को मेहफ़िल में। ‘यह’ और ‘वह’ में भी पूर्ववर्ती ‘अ’ स्वर ‘ए’ स्वर में बदल जाता है और ‘ह’ की ध्वनि ग़ायब ही हो जाती है – यह का ये, वह का वे। इसी तरह ‘छह’ का ‘छे’ हो सकता है! पंजाबी में शायद इसे ‘छे’ ही बोलते हैं।

मुझे पंजाबी नहीं आती और गूगल ट्रांसलेट से ही मैंने यह जानकारी हासिल की है। हिंदी के अलावा मैं केवल दो भारतीय भाषाएँ जानता हूँ – गुजराती और बांग्ला। गुजराती में ६ को ‘छ’ लिखते है और बांग्ला में ‘छय’ (बांग्ला उच्चारण छॉय)। गूगल ट्रांसलेट से जाना कि पंजाबी में इसे ‘छे’ और मराठी में ‘सहा’ कहते हैं। यानी इन चार आंचलिक भाषाओं में मराठी ही एकमात्र भाषा है जिसमें ६ के लिए बोले जाने वाले शब्द में ‘ह’ है, बाक़ी किसी में नहीं है।

इन सबसे मुझे यही लगा कि मूल शब्द तो ‘छ’ ही रहा होगा लेकिन किन्हीं कारणों से उसके साथ ‘ह’ की ध्वनि जुड़ गई जिसे कुछ लोग विसर्ग (:) और कुछ लोग ‘ह’ लगाकर लिखने लगे। ऐसा क्यों हुआ होगा, इसका भी कुछ-कुछ अंदाज़ा लग सकता है अगर आप ‘छ’ बोलने की कोशिश करें। ‘छ’ बोलते ही साथ में हलकी-सी ‘ह’ की ध्वनि निकलती है (बोलकर देखें)। ऐसा क्यों हैं, यह तो योगेंद्रनाथ मिश्र जैसे भाषा वैज्ञानिक ही बता सकते हैं। मेरा अनुमान यह है कि महाप्राण ध्वनि होने के कारण इसमें जो हकार छुपा हुआ है, उसके चलते ऐसा हो रहा है।

योगेंद्र जी की चर्चा हुई तो याद आ गया कि ‘छह, छः और छ’ के विषय में सबसे पहले मैंने उन्हीं के पोस्ट में पढ़ा था। उन्होंने भी ‘छ’ का समर्थन किया था। उनके उस पोस्ट के बाद ही मुझे भी लगने लगा कि मूल शब्द ‘छ’ रहा होगा, वरना अब तक मैं भी ‘छह’ ही लिखता आया हूँ। हाँ, ‘छः’ नहीं लिखता था। कारण मुंबई नवभारत टाइम्स में मेरे तत्कालीन संपादक सुरेंद्रप्रताप सिंह ने, जो पत्रकार बनने से पहले हिंदी के लेक्चरर थे, मुझे छः लिखने से मना किया था। कारण न उन्होंने बताया, न हमने पूछा मगर योगेंद्र जी ने अपने पोस्ट में वह कारण भी दिया है कि क्यों ‘छः’ लिखना बिल्कुल ही ग़लत है। नीचे पढ़ें उनके विचार जो हूबहू पेस्ट किए जा रहे हैं।

छ, छः या छह

हिंदी में 6  की संख्या को शब्द में लिखने के लिए इन तीन शब्दों का या एक ही शब्द के तीन रूपों का प्रयोग होता है।

विचारणीय यह है कि इन तीनों में कौन-सा शब्द मानक है? अथवा किसे मानक होना चाहिए?

पहले ‘छः’ को लेते हैं।

हिंदी की प्रकृति के अनुसार हिंदी के लिए ‘छः’ सही शब्द नहीं हो सकता।

मेरे हिसाब से इसका कारण यह है कि हिंदी की अपनी प्रकृति और संरचना में विसर्ग (:) नहीं है। विसर्गयुक्त जो भी शब्द हिंदी में हैं, वे सभी संस्कृत से आए हुए हैं। 

‘छः’ संस्कृत का शब्द नहीं है।

इसके बाद ‘छह’ को लेते हैं।

पहली बात तो यह कि ‘छह’ शब्द ‘छः’ का उच्चरित रूप है। दोनों में और कोई फ़र्क़ नहीं है।

दूसरी बात यह कि ‘छह’ से समास नहीं बन सकता। छमाही या छमासिक शब्द तो प्रयोग में हैं। परंतु छहमाही या छहमासिक शब्द प्रयोग में नहीं हैं। 

ऐसे में ‘छह’ को मानक या हिन्दी का स्वाभाविक शब्द मानने में कठिनाई महसूस होती है।

वैसे भी हम ‘छह’ (छः) के अंत में ‘ह’ ध्वनि होने की वजह से छह का पूरा उच्चारण नहीं करते। 

रही बात ‘छ’ की, तो यह इन सारी आपत्तियों से मुक्त है।

जब छह की चर्चा चली है तो छठ पूजा की बात भी निकलेगी ही। छठ पूजा में सूरज को जो दिया जाता है, वह अर्घ है या अर्घ्य? इसपर पहले चर्चा हो चुकी है, रुचि हो तो पढ़ें।

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