इस क्लास में हम ‘ने, पर, को’ आदि के बारे में बात करेंगे जिन्हें व्याकरण की भाषा में विभक्तियाँ या परसर्ग कहते हैं। कई स्थानों पर इनको कारक चिह्न भी लिखा गया है। आज चर्चा का मुद्दा यह है कि कहाँ इन विभक्तियों या परसर्गों को पिछले शब्द से मिलाकर लिखा जाएगा और कहाँ अलग।
विभक्तियाँ या कारक चिह्न कौन-कौनसे हैं, यह हम फिर से देख लेते हैं। इन्हें अपने दिमाग़ में बिठा लें।
- कर्ता – ने
- कर्म – को
- करण – से
- संप्रदान – को, के लिए
- अपादान – से
- अधिकरण – में, पर
- संबंध – का, के, की
- संबोधन – ऐ, अरे, ओजी आदि
ये जो विभक्तियाँ, परसर्ग या कारक चिह्न आपने ऊपर देखे जैसे ने, को, में आदि इनको इनके पूर्व आनेवाले शब्दों के साथ मिलाकर लिखें या अलग-अलग, इसका एक सीधा-सा नियम है – यदि संज्ञा हो तो अलग लिखें, सर्वनाम हो तो साथ-साथ।
संज्ञा और सर्वनाम तो समझते हैं न आप? नहीं भी समझते तो नीचे उदाहरणों से समझ जाएँगे। नीचे उदाहरण देखिए।
- रूठे हुए पिंटू ने कहा कि मैं आज नहीं खाऊँगा।
- उसके ऐसा कहते ही उसकी माँ ने कहा, ‘ठीक है। फिर आज भूखे ही सोना।‘
ऊपर के वाक्य में ‘पिंटू’ के बाद ‘ने’ विभक्ति आई है लेकिन चूँकि ‘पिंटू’ संज्ञा (नाम) है इसलिए ‘ने’ को अलग लिखा गया है। दूसरे वाक्य में ‘पिंटू’ का नाम दोबारा नहीं लिखा गया है। उसकी जगह ‘उस’ सर्वनाम का उपयोग किया गया है और ‘के’ और ‘की’ विभक्तियों को ‘उस’ के साथ मिलाकर लिखा गया है। उसी वाक्य में ‘माँ’ और ‘ने’ को अलग-अलग लिखा गया है क्योंकि ‘माँ’ भी संज्ञा है।
उम्मीद है, समझ में आ गया होगा। इस समझ को और पुख़्ता करने के लिए कुछ और उदाहरण दे देता हूँ।
- विजय के घर में हमेशा टीवी बहुत ज़ोर से बजता रहता है। पता नहीं, उसके पड़ोस में रहनेवाले बच्चे कैसे पढ़ाई करते होंगे।
- तरुण ने यदि हेल्मेट पहना होता तो दुर्घटना में उसकी जान न चली जाती।
- उसने मुझे खींच न लिया होता तो मैं गाड़ी के नीचे आ जाता।
जब कहीं सर्वनाम के साथ ‘के लिए’ विभक्ति का इस्तेमाल होगा तो ‘के’ मिलाकर लिखा जाएगा और ‘लिए’ अलग। उदाहरण देखिए – मैं उसके लिए मैगी ख़रीदकर लाया।
ऊपर के उदाहरण में एक जगह ज़ोर से आया है। यहाँ ‘ज़ोर’ संज्ञा नहीं है, न ही ‘से’ विभक्ति है। ऐसे में क्या करेंगे? मिलाकर लिखेंगे या अलग-अलग? तो इनका वही नियम है जो संज्ञा के मामले में है। अलग-अलग लिखेंगे।
यानी नियम यह बना कि ने, को, पर, में, से आदि का जब भी इस्तेमाल करना हो तो सर्वनाम के अलावा हर जगह अलग-अलग लिखें।
पहले ये विभक्तियाँ संज्ञा के मामले में भी साथ ही लिखी जाती थीं। लेकिन अब हिंदी में कुछ अपवादों को छोड़ सभी जगह यही नियम अपनाया जाता है कि संज्ञा शब्दों के मामले में अलग और सर्वनाम शब्दों के मामले में साथ। एक ‘दैनिक आज’ है जो सभी विभक्तियों को संज्ञा के साथ मिलाकर लिखता था (अब वाराणसी संस्करण में शीर्षक में विभक्तियाँ साथ लिखी जा रही हैं, मैटर में नहीं) और दूसरा गीता प्रेस जिसकी किताबों में आज भी विभक्तियाँ हर मामले में साथ लिखी जाती हैं जैसे सीताजीको, गौतमजीकी आदि। नीचे तस्वीरें देखें।