सामान ख़रीदने वाले को ‘ख़रीददार’ कहेंगे या ‘ख़रीदार’? पहली नज़र में ‘ख़रीददार’ ही सही लगता है लेकिन क्या कारण है कि हिंदी-उर्दू-फ़ारसी के सारे शब्दकोश ‘ख़रीदार’ को सही बताते हैं! आख़िर ख़रीद से ख़रीदार कैसे बन सकता है, आज की चर्चा इसी पर है। रुचि हो तो पढ़ें।
ख़रीदार और ख़रीददार में लोग किसे सही मानते हैं, यह जानने के लिए जब फ़ेसबुक पर एक पोल किया गया तो 64% लोगों ने ख़रीददार को सही बताया। ख़रीदार के पक्षधर केवल 36% थे।
लेकिन सही ख़रीदार ही है क्योंकि यह शब्द फ़ारसी से आया है और फ़ारसी में यही है। हिंदी के प्रामाणिक शब्दकोशों में भी यही है। जिन कोशों में ख़रीददार दिया हुआ है, वहाँ भी इशारा ख़रीदार की तरफ़ ही है (देखें चित्र)।
आप पूछ सकते हैं (और यह सवाल मेरे दिमाग़ में भी उठा था) कि जब ईमान से ईमानदार, ज़मीं से ज़मींदार, दुकान से दुकानदार होता है तो ख़रीद से ख़रीददार होना चाहिए, ख़रीदार क्यों होगा।
इसके बारे में दो धारणाएँ हैं। भारत में जो प्रचलित धारणा है, वह यह कि ख़रीद के बाद -दार प्रत्यय लगने से ‘द’ की ध्वनि दो बार आ रही है, इसलिए एक ‘द’ का लोप हो गया है। कामताप्रसाद गुरु ने भी अपनी पुस्तक ‘हिंदी व्याकरण’ में यही धारणा व्यक्त की है।
यह धारणा इतनी बलवती है कि इसी के आधार पर परीक्षा में प्रश्न भी पूछे जाते हैं।
लेकिन फ़ारसी के जानकारों और कोशकारों का नज़रिया कुछ और है। उनके अनुसार ख़रीदार में -दार प्रत्यय नहीं, बल्कि -आर प्रत्यय लगा है (देखें चित्र)।
लंदन यूनिवर्सिटी का फ़ारसी शब्दकोश भी यही कहता है।
यानी ख़रीदार शब्द ख़रीदन (ख़रीदना) से बना है। ख़रीद(न)+आर=ख़रीदार। उसी तरह जिस तरह ग़िरफ़्त(न)+आर=गिरफ़्तार (फ़ारसी में गिरिफ़्तार) और दीद(न)+आर=दीदार होता है।
-दार प्रत्यय से बने शब्द और -आर प्रत्यय से बने शब्द अर्थ के मामले में एक जैसे लगते हैं लेकिन दोनों की निर्माण प्रक्रिया में बड़ा अंतर है। अंतर यह है कि ‘दार’ प्रत्यय संज्ञा के साथ जुड़ता है लेकिन ‘आर’ प्रत्यय क्रिया के साथ जुड़ता है। जैसे दुकानदार का मतलब है दुकान (संज्ञा) वाला जबकि ख़रीदार का अर्थ हुआ ख़रीदने (क्रिया) वाला।
आज हमने -दार प्रत्यय की बात की। -दार प्रत्यय और -वार प्रत्यय को लेकर अक्सर कुछ शब्दों दुविधा होती है। जैसे ज़िम्मेवार सही है या ज़िम्मेदार। इसपर पहले चर्चा की है। रुचि हो तो पढ़ें।