बंगाल के विश्वविख्यात फ़िल्म निर्देशक का नाम सत्यजित रे है या सत्यजित राय? जब यह सवाल मैंने फ़ेसबुक पर पूछा तो 61% ने कहा – रे। 39% की राय थी कि उनका सरनेम ‘राय’ है। सही जवाब है – राय। इस ‘राय’ का का ‘रे’ कैसे हुआ, यह जानने के लिए आगे पढ़ें।
सत्यजित राय बंगाल से थे और बांग्ला फ़िल्म जगत में उनका सरनेम ‘राय’ लिखा और बोला जाता है। उनके विकिपीडिया पेज पर भी सत्यजित राय ही लिखा हुआ है (देखें चित्र)।
अब राय का रे कैसे हुआ, यह समझना बहुत आसान है। राय की अंग्रेज़ी स्पेलिंग RAY है। अंग्रेज़ी में किरण के लिए जो शब्द इस्तेमाल होता है, उसकी भी यही स्पेलिंग है और उसका उच्चारण ‘रे’ है। इसलिए अंग्रेज़ी मीडिया और अंग्रेज़ीभाषी उन्हें सत्यजित ‘रे’ बुलाने लगे। जब कुछ हिंदीभाषियों ने अंग्रेज़ी मीडिया या टीवी पर उनका नाम सत्यजित ‘रे’ सुना तो बिना यह जाँच किए कि उनके सरनेम का असल उच्चारण क्या है, ‘रे’ ही लिखना शुरू कर दिया (देखें चित्र)।
उसी का असर है कि हमारे पोल में भी 61% लोगों ने ‘रे’ को सही बताया है।
सत्यजित ‘रे’ नाम का इतना असर हुआ कि बंगाल के एक पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धार्थ शंकर राय को भी कई लोग सिद्धार्थ शंकर ‘रे’ बोलने और लिखने लगे।
मूल मसले का हल तो निकल गया लेकिन एक बड़ा मसला अभी बाक़ी है, बल्कि दो मसले।
सत्यजित का अर्थ क्या है?
पहला मसला सत्यजित के अर्थ से जुड़ा है। जब मैं इस पोल पर विचार कर रहा था तो मुझे यकायक ख़्याल आया कि सत्यजित का अर्थ क्या है। हिंदी शब्दसागर में इसके अर्थ दिए हुए थे – वासुदेव का एक भतीजा, एक दानव, एक यक्ष और तीसरे मन्वंतर के इंद्र का नाम। लेकिन व्युत्पत्ति के हिसाब से इसका क्या अर्थ बैठता है, यह उसमें नहीं दिया हुआ था।
संस्कृत मैं नहीं जानता लेकिन पहली नज़र में मेरे हिसाब से इसके दो अर्थ हो सकते थे – 1. वह जिसने सत्य को जीत लिया है या 2. वह जिसको सत्य ने जीत लिया है।
मुझे लगा, पहला अर्थ तो बिल्कुल ही नहीं हो सकता (जिसने सत्य को जीत लिया हो) क्योंकि (भले ही दुनिया में सत्य की प्रतिदिन हार होती हो) लेकिन घोषित तौर पर सत्य को हराने की घोषणा कौन कर सकता है कि मैं हूँ सत्यजित – सत्य को हराने वाला!
दूसरा अर्थ भी सही प्रतीत नहीं होता (जिसको सत्य ने जीत लिया हो) क्योंकि यदि किसी को सत्य ने हरा दिया है तो वह झूठ के अलावा और क्या हो सकता है क्योंकि सत्य से कौन हारता है? असत्य! अब यह घोषणा भी कोई नहीं कर सकता कि मैं हूँ सत्यजित – सत्य से हारने वाला यानी असत्य।
चूँकि शब्दकोश में सत्यजित का वह अर्थ नहीं मिला जो मैं खोज रहा था इसलिए मैंने उसी की तरह के और शब्दों की लिस्ट तलाशी। चूँकि सत्यजित का संस्कृत रूप सत्यजित् है, इसलिए जित् से अंत होने वाले सभी शब्द और उनके अर्थ खोजे। मुझे बहुत सारे शब्द मिले और उन सबमें जित् का अर्थ ‘जीतने वाला’ ही निकलता था। विश्वजित् और शत्रुजित् तो स्वतःस्पष्ट थे – विश्व और शत्रु को जीतने वाला लेकिन इनके अलावा भी जो शब्द मिले जैसे इंद्रजित्, शक्रजित् (मेघनाद), कर्णजित् (अर्जुन), कंसजित्, कालियजित् (कृष्ण), बकजित्, हिडिंबजित् (भीम) आदि, उन सबमें उस विजेता का अर्थ निकलता था जिसने शब्द के आरंभिक नामधारी व्यक्ति को हराया है।
अब इस हिसाब से तो सत्यजित् का एक ही अर्थ निकलता है – जिसने सत्य को हराया हो। यह अर्थ, जैसा कि ऊपर लिखा, बहुत ही विचित्र है।
सत्यजित् यानी सत्य के द्वारा विजयी?
जब मैं ख़ुद से किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुँच पाया तो मैंने अपने भाषामित्र योगेंद्रनाथ मिश्र को यह काम सौंपा। उनके लिए भी यह एक पहेली थी। लेकिन अगले एक-दो दिनों में उन्होंने पुस्तकों और जानकारों से परामर्श करके जो निष्कर्ष दिया, उससे प्रतीत होता है कि सत्यजित् एक अपवाद है। जित् से अंत होने वाले बाक़ी शब्दों की तरह सत्यजित् का अर्थ ‘सत्य पर विजय प्राप्त करने वाला’ नहीं निकाला जा सकता। उनके अनुसार इसका अर्थ होगा – जिसने सत्य के द्वारा जीत हासिल की है यानी सत्य के सहारे विजय प्राप्त करने वाला।
इंद्रजित् और सत्यजित् की तुलना करते हुए योगेंद्र जी लिखते हैं –
इन्द्रजित् का विग्रह सत्यजित् के समान नहीं हो सकता।
- इन्द्रजित् का विग्रह होगा – इन्द्रं जयति – इंद्र को जीतने वाला।
- सत्यजित् का समास विग्रह होगा – सत्येन जयति – सत्य के द्वारा जीतने वाला।
इन्द्रजित् के समान सत्यजित् का विग्रह ‘सत्य को जीतने वाला’ नहीं हो सकता क्योंकि इसमें अर्थ की संगति नहीं बनती।
सत्यजित्, सत्यजित या सत्यजीत?
अब रहा दूसरा मसला – सत्यजित्, सत्यजित या सत्यजीत? इंद्रजित्, इंद्रजित या इंद्रजीत? विश्वजित्, विश्वजित या विश्वजीत? और इसी तरह बाक़ी के शब्द।
जैसा कि हमने ऊपर जाना, संस्कृत में जित् है। इसलिए तत्सम रूप तो सत्यजित्, इंद्रजित् और विश्वजित् ही हैं। लेकिन चूँकि हिंदी में शब्द के अंत में आने वाले हल् चिह्न धीरे-धीरे हट रहे हैं इसलिए सत्यजित्, इंद्रजित् और विश्वजित् आदि भी प्रचलन से हट रहे हैं।
बचे ‘जित’ और ‘जीत’ वाले विकल्प। इनमें भी ‘जित’ के बजाय ‘जीत’ का चलन ज़्यादा है। कारण शायद यह कि हिंदी में जो क्रिया है, वह ‘जीत’ना है, ‘जित’ना नहीं जैसे उसने जंग जीत ली। मेरे हिसाब से जीत से ज़्यादा घनिष्ठता होने के कारण ही सत्यजीत, इंद्रजीत और विश्वजीत जैसे रूप ज़्यादा चल गए हैं और अब मान्य भी हो गए हैं।
और हाँ, जाते-जाते एक और जानकारी। सत्यजित राय की मशहूर फ़िल्म है ‘पथेर पाँचाली’। इसे भी कई लोग अंग्रेज़ी स्पेलिंग PATHER PANCHALI के चलते और फ़िल्म के नाम का अर्थ न जानने के कारण ‘पाथेर पाँचाली’ लिख देते हैं। ‘पथेर पाँचाली’ का अंग्रेज़ी में नाम है – SONG OF THE LITTLE ROAD जिसके आधार पर इसका अनुवाद होगा – पंथगीत।
सत्यजित राय की तरह एक और प्रसिद्ध बंगाली शख़्सियत है जिसके नाम पर भ्रम की स्थिति है। उसका नाम क्या है – सौरव या सौरभ, जानने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक या टैप करें।