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266. साज़िशी गठजोड़ को साँठगाँठ कहेंगे या साठगाँठ?

साँठगाँठ सही है या साठगाँठ? इसके बारे में कई लोगों को उलझन हो जाती है। कारण, यदि साँठगाँठ सही है तो इसमें साँठ का क्या मतलब है? और यदि साठगाँठ सही है तो यहाँ साठ का अर्थ क्या 60 की संख्या है? यदि है तो 60 गाँठों का ‘दो या अधिक लोगों के बीच के साज़िशी संबंध’ का अर्थ कैसे निकलता है? आज की चर्चा इसी पर है।

जब फ़ेसबुक पर पूछा गया कि साँठगाँठ और साठगाँठ में से आप किसे सही मानते हैं तो क़रीब तीन-चौथाई ने साँठगाँठ को सही बताया। शेष 25% ने साठगाँठ को सही कहा।

शब्दकोश साँठगाँठ को सही बताते हैं (देखें चित्र) और उसका मतलब बताते हैं – मेलमिलाप, छुपा व दूषित संबंध, साज़िशी संबंध आदि।

साँठगाँठ का मतलब हिंदी शब्दसागर में

साँठगाँठ के अर्थ को देखते हुए गाँठ शब्द तो समझ में आता है क्योंकि जब गाँठ लगती है तभी दो हिस्से एक-दूसरे से जुड़ते हैं। लेकिन इसमें साँठ का भी कोई मतलब है या इसे गाँठ से ध्वनिसाम्य के कारण जोड़ दिया गया है, इसपर मतभेद है।

कुछ शब्दकोशों में साँठ का मतलब दिया हुआ है – मेलजोल, मेल-मिलाप। वे इसे सटना या साँट से निकला बताते हैं (देखें चित्र)।

साँठ का मतलब हिंदी शब्दसागर में Meaning of Saanth

लेकिन साँठ का इस अर्थ में प्रयोग कभी सुना नहीं कि फलाँ-फलाँ में अच्छी साँठ है जबकि गाँठ का प्रयोग होता है – उसने फलाँ से दोस्ती गाँठ ली। शब्दसागर साँठ का मेल-मिलाप वाला अर्थ देते हुए भी (देखें ऊपर का चित्र) साँठगाँठ की एंट्री में (देखें नीचे का चित्र) साँठ के बारे में कहता है कि गाँठ से मिलती-जुलती ध्वनि के कारण साँठ और गाँठ के मिलने से साँठगाँठ बना।

यानी साँठगाँठ का मूल अर्थतत्व गाँठ के कारण ही है।

इसके बारे में व्याकरण के जानकार और भाषावैज्ञानिक योगेंद्रनाथ मिश्र कहते हैं कि साँठगाँठ उस श्रेणी का शब्द है जिसमें किसी शब्द का अर्थ उसके घटक शब्दों के अर्थों से बिल्कुल भिन्न हो सकता है। इस सिलसिले में वे अस्त-व्यस्त का उदाहरण देते हैं। अस्त और व्यस्त के दो अलग-अलग अर्थ हैं – अस्त का अर्थ है डूबना या समाप्त होना और व्यस्त का अर्थ है किसी काम में पूरी तरह जुड़े रहना। लेकिन अस्त-व्यस्त का इन दोनों अर्थों से कोई लेना-देना ही नहीं है। उसका अर्थ है – तितर-बितर किया हुआ।

मिश्र जी के कहने का आशय यह है कि साँठगाँठ के अर्थ पर विचार करते समय हमें उसके घटक शब्द साँठ का मिलता-जुलता अर्थ खोजने की आवश्यकता नहीं है। उसका कुछ अर्थ हो भी सकता है और नहीं भी।

इस तरह के शब्दों को वे युग्मशब्द का नाम देते हैं और उदाहरण के तौर पर कई सारे शब्द गिनाते हैं जैसे –

धोखाधड़ी, आनन-फानन, दवा-दारू, देखभाल, आमने-सामने, अस्त-व्यस्त, आधा-अधूरा, अनाप-शनाप, आगा-पीछा, अलग-थलग, किस्सा-कहानी, ओर-छोर, ऊल-जुलूल (जलूल), ऐसी-तैसी, उल्टा-सुल्टा, धरम-करम, साधन-सामग्री, कहा-सुनी, आसपास, अंटसंट, तन-बदन, आकार-प्रकार, उछल-कूद, अगल-बगल, आनन-फानन, करनी-धरनी, उथल-पुथल, उठा-पटक, रोजी-रोजगार, कपड़ा-लत्ता, हाल-चाल, कुशल-क्षेम, खेल-कूद, कागज-पत्तर, देर-सबेर, काम-काज, हल्ला-गुल्ला, हट्टा-कट्टा, झगड़ा-टंटा, आपा-धापी, टोका-टाकी, गड़बड़-सड़बड़, खाना-पीना, भाग-दौड़, रोना-धोना, मिलना-जुलना, मेल-मिलाप, मेल-जोल, घाल-मेल, शोर-शराबा, भीड़-भाड़, गाड़ी-घोड़ा, रात-बिरात।

साँठगाँठ का एक मूल तत्व है साज़िश। इस साज़िश के लिए हिंदी में एक शब्द है। वह षडयंत्र है, षड्यंत्र है या षड़यंत्र है? इसपर पहले चर्चा हो चुकी है। रुचि हो तो पढ़ें। लिंक नीचे दिया हुआ है।

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