रोटी बनाने से पहले आटे में पानी मिलाकर जो क्रिया की जाती है, उसे क्या कहते हैं? गूँथना, गूँधना, गूथना या गूधना? जब इसपर एक फ़ेसबुक पोल किया गया तो आधे से अधिक लोगों ने गूँथना को सही बताया? क्या बहुमत की राय सही है, जानने के लिए आगे पढ़ें।
फ़ेसबुक पोल के अनुसार 57% लोगों का मानना था कि आटा ‘गूँथा’ जाता है। बाक़ी बचे 38% लोगों ने गूँधना को सही बताया। यानी उनके अनुसार आटा ‘गूँधा’ जाता है। शेष बचे 5% वोट गूथना और गूधना के बीच बँट गए।
सही क्या है, इसका फ़ैसला शब्दकोशों के आधार पर ही करना होगा। मैंने तीन शब्दकोश देखे – तीनों में आटे में पानी डालकर उसे मसलने और मिलाने की क्रिया के लिए गूँधना शब्द ही दिया हुआ है (देखें चित्र)।
इसलिए आटे के लिए गूँधना शब्द ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए, गूँथना नहीं।
शब्दकोशों के अनुसार गूँथना/गूथना का अर्थ कुछ और है। गूँथना/गूथना का मतलब है – कई वस्तुओं को तागे आदि के द्वारा एक में बाँधना या फँसना। जैसे माला गूथी/गूँथी जाती है। इस लिहाज़ से आटा गूँथना/गूथना ग़लत प्रयोग है।
एक वाक्य में निष्कर्ष यह कि आटे के लिए सही शब्द है गूँधना और माला या चोटी के लिए सही है गूँथना या गूथना।
दोनों शब्द संस्कृत के अलग-अलग शब्दों से बने हैं। गूँधना बना है गुध् से जिसका मतलब है लपेटना, खेल करना जबकि गूँथना/गूथना बना है ग्रंथन/ग्रंथना से जिसका मतलब है बाँधना, नत्थी करना। इसी कारण दोनों के अलग-अलग अर्थ हैं।
लेकिन यहाँ एक पेच है। पेच यह कि आटे के लिए भले ही गूँथना/गूथना शब्द का प्रयोग नहीं हो सकता लेकिन माला या चोटी बनाने के लिए गूँथना/गूथना के साथ-साथ गूँधना शब्द का प्रयोग भी हो सकता है। यानी गूँथना/गूथना का भले ही एक अर्थ हो (माला गूँथना) लेकिन गूँधना के दो-दो अर्थ हैं (आटा गूँधना, माला गूँधना)। देखें चित्र।
गूँधना के दो अलग-अलग अर्थ क्यों है, इसका ठीक-ठीक जवाब कोशकारों के पास नहीं है। उनके मुताबिक़ दो संभावनाएँ हो सकती हैं।
पहली यह कि संस्कृत में बाँधने और नत्थी करने के अर्थ वाले दो शब्द हैं। एक तो ग्रंथन/ग्रंथना जिससे गूँथना या गूथना बना, दूसरा गुंफना जिससे गूँधना बना। सो जिस तरह संस्कृत में एक ही अर्थ वाले दो शब्द थे, वैसे ही हिंदी में भी बाँधने, पिरोने के अर्थ वाले दो शब्द हो गए – गूँथना और गूँधना।
दूसरी संभावना यह कि ग्रंथन से गूँथना/गूथना ही बना होगा लेकिन यही गूँथना/गूथना आगे चलकर गूँधना में बदल गया। यानी अघोष ‘थ’ सघोष ‘ध’ में बदल गया।
यह कोई अजीब बात नहीं है। हिंदी में इसके कई उदाहरण मिलते हैं मसलन प्रकट का प्रगट, भक्त का भगत, शाक का साग आदि। सो इसी तरह गूँथना का गूँधना हो गया होगा।
यानी हिंदी में दो गूँधना हैं। एक गूँधना गुध् से बना जिसका मतलब पानी से सानकर मसलना है। दूसरा गूँधना गुंफना (संस्कृत) या गूँथना (हिंदी) से बना जिसका अर्थ बाँधना या पिरोना है (देखें चित्र)।
तो आज की चर्चा का निष्कर्ष यह कि गूँधना का प्रयोग दोनों अर्थों में किया जा सकता है – आटा गूँधना, माला गूँधना लेकिन गूँथना/गूथना का प्रयोग केवल पिरोने के अर्थ में किया जा सकता है जैसे माला या चोटी गूँथना/गूथना।