Categories
आलिम सर की हिंदी क्लास शुद्ध-अशुद्ध

259. जिसमें दया नहीं, उसे निर्दय कहेंगे या निर्दयी?

Cruel या बेरहम के अर्थ में निर्दय लिखना सही है या निर्दयी? जब यह सवाल एक फ़ेसबुक पोल के मार्फ़त पूछा गया तो 62% के अच्छे-ख़ासे बहुमत ने कहा – निर्दयी सही है। 17% का मानना था कि निर्दय लिखना उचित है। शेष बचे 21% के अनुसार दोनों शब्दों का प्रयोग किया जा सकता है। यदि आप भी बहुमत की तरफ़ हैं तो चौंकने के लिए तैयार हो जाइए क्योंकि निर्दयी सही नहीं है। क्यों नहीं है, जानने के लिए पढ़ें आज की चर्चा।

सही है निर्दय। जिसमें दया नहीं है, उसे कहा जाएगा निर्दय, न कि निर्दयी।

क्यों, इसका जवाब मैं नहीं, ये कुछ शब्द देंगे जिनसे आप बख़ूबी परिचित होंगे और इनका इस्तेमाल भी करते होंगे। ये शब्द हैं – निर्बल, निर्धन, निश्चल, निश्छल, निष्फल, निर्मम, निर्भय, निर्विकार, निर्दोष आदि।

सबसे पहले निर्बल को लीजिए। जिसके पास बल हो, वह हुआ बलवान या बली। और जिसके पास बल नहीं हो, उसे क्या कहेंगे? निर्बली या निर्बल?

इसी तरह निर्धन। जिसके पास धन हो, वह हुआ धनवान या धनी। अब जिसके पास धन न हो, उसे क्या कहेंगे? निर्धनी या निर्धन?

तो जिस तरह धनहीन और बलहीन व्यक्ति को क्रमशः निर्बल और निर्धन कहते हैं, उसी तरह दयाहीन व्यक्ति को निर्दय कहते हैं। सिंपल। दोषरहित व्यक्ति को भी इसी कारण हम निर्दोष कहते हैं, निर्दोषी नहीं।

लेकिन ऐसा नहीं है कि निर्दयी शब्द का प्रयोग किया ही नहीं जा सकता है। किया जा सकता है मगर विशेषण के तौर पर नहीं, संज्ञा के तौर पर।

जैसे सुंदर और सुंदरी। सुंदर विशेषण है – सुंदर दृश्य, सुंदर युवती आदि। परंतु जब इसे सुंदरी करेंगे तो यह संज्ञा बन जाएगा और उसका इस तरह प्रयोग होगा – राजकुमार ने कहा, ‘हे सुंदरी, तुम कहाँ से आई हो?’।

इसी तरह कोई कह सकता है – ‘अरे निर्दयी, क्या इस बच्ची के आँसू देखकर भी तेरा मन नहीं पिघलता!’ यहाँ ‘निर्दयी’ किसी निर्दय व्यक्ति के लिए आया है। निर्दयी=निर्दय व्यक्ति। आप देख रहे होंगे कि उदाहरण वाक्य में निर्दयी के बाद कोई संज्ञा नहीं है।

वैसे यहाँ एक सवाल यह उठ सकता है कि निर्दय ही क्यों, निर्दया क्यों नहीं? सवाल वाजिब है। आख़िर नि:+दया से तो निर्दया होना चाहिए।

लेकिन जैसा कि कामताप्रसाद गुरु ‘हिंदी व्याकरण’ में लिखते हैं, ‘यदि किसी समास के अंत में ‘आ’(स्त्री प्रत्यय) हो और समास का अर्थ उसके अवयवों से भिन्न हो, तो उस प्रत्यय को हृस्व कर देते हैं।’ उन्होंने इस संदर्भ में निर्लज्ज (लज्जा का लज्ज) का उदाहरण दिया है (देखें चित्र)।

निर्दय भी निर्लज्ज की तरह का ही शब्द है। उसमें भी ‘दया’ का ‘दय’ उसी तरह हुआ है जिस तरह निर्लज्ज में लज्जा का लज्ज हो गया है।

निर्दय और निर्दयी की ही तरह रहस्यमय और रहस्यमयी पर भी कई लोग कन्फ़्यूज़ हो जाते हैं। रहस्यमय गुफा को रहस्यमयी गुफा लिख देते हैं। इसपर पहले चर्चा हो चुकी है। रुचि हो तो नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक या टैप करके पढ़ें।

पसंद आया हो तो हमें फ़ॉलो और शेयर करें

अपनी टिप्पणी लिखें

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Social media & sharing icons powered by UltimatelySocial