अगर कोई कहे कि मैं आपको ‘अनर्गल’ अंग्रेज़ी बोलना सिखाऊँगा तो आप इसका क्या मतलब निकालेंगे? यही कि बंदे के दिमाग़ में कोई लोचा है वरना कोई अनर्गल यानी अनाप-शनाप अंग्रेज़ी बोलना क्यों सीखना या सिखाना चाहेगा! मैं भी एक यूट्यूब व़िडियो का यह शीर्षक देखकर चौंक गया था लेकिन जब शब्दकोश में अनर्गल का अर्थ देखा तो पता चला कि अनर्गल का एक और मतलब भी है… बल्कि मूल मतलब वही है। क्या है वह, जानने के लिए आगे पढ़ें।
हम सब जानते हैं कि अनर्गल का मतलब है – अनाप-शनाप, निरर्थक, अंडबंड आदि। इसीलिए जब मैंने फ़ेसबुक पर अनर्गल का अर्थ पूछा तो क़रीब 80% ने यही विकल्प चुना। दूसरा विकल्प था – अबाध, लगातार। मैंने एक तीसरा विकल्प भी दिया था उन लोगों के लिए जो मानते हैं कि दोनों सही हैं। मगर 80% लोग अपने चयन के बारे में इतने सुनिश्चित थे कि उनको लगा ही नहीं कि अनर्गल का कोई और मतलब भी हो सकता है।
निष्कर्ष यह कि हर पाँच में से चार लोग अनर्गल का एक ही अर्थ समझते हैं – वही जो प्रचलित है। सच तो यह है कि अगर यूट्यूब व़िडियो पर लगे उस शीर्षक (देखें चित्र) को देखने से पहले मुझसे भी किसी ने यही सवाल पूछा होता तो मैंने भी पहले विकल्प यानी ‘व्यर्थ, अंडबंड’ के पक्ष में वोट दिया होता।
व़िडियो के उस शीर्षक ने मुझे चौंका दिया कि यह कौन है जो अनर्गल (यानी अंडबंड) अंग्रेज़ी बोलना सिखा रहा है। तब मैंने शब्दकोश में अनर्गल का अर्थ खोजा। पता चला कि अनर्गल का मूल अर्थ व्यर्थ की बकबक नहीं है। इसका अर्थ है बिना बाधा के। देखें चित्र 1 में संस्कृत शब्दकोश में अनर्गल का अर्थ ।
दरअसल अनर्गल बना है अन्+अर्गल से और संस्कृत और हिंदी कोशों के अनुसार अर्गल का पहला अर्थ है – वह लकड़ी जिसे किवाड़ बंद करके पीछे से आड़ी लगा देते है जिससे किवाड़ बाहर से न खुले। अर्गल शब्द के और भी अर्थ हैं और अधिकांश में मूल अर्थ बाधा ही है (देखें चित्र 2)। जैसे दुर्गा सप्तशती के स्तोत्र जिसे रक्षा कवच माना जाता है, उसे अर्गला कहते हैं (देखें चित्र 3।
यानी अर्गल का मतलब बाधा है तो अनर्गल (अन्+अर्गल) का अर्थ हुआ बिना बाधा के। संस्कृत में अनर्गल इन्हीं अर्थों तक सीमित रहा (देखें चित्र 2 और 3)। लेकिन हिंदी में अनर्गल के अर्थ का विस्तार हो गया और उसमें ‘व्यर्थ की बकबक’ भी शामिल हो गया…(देखें चित्र 4) और ऐसा शामिल हुआ कि अनर्गल के बाक़ी अर्थ विलुप्त से हो गए। उनके विलुप्त होने का एक कारण यह भी था कि उनके लिए हिंदी के और भी शब्द उपलब्ध थे मसलन लगातार।
ऊपर आपने अर्गल का अर्थ पढ़ा – वह लकड़ी जिसे किवाड़ बंद करके पीछे से आड़ी लगा देते है जिससे किवाड़ बाहर से न खुले। हमारे घर में भी ऐसी लकड़ी का इस्तेमाल होता था लेकिन हम उसे अर्गल नहीं, हुड़को कहते थे। दोस्तों से पता किया तो मालूम हुआ कि कहीं-कहीं इसके लिए हड़कन, किल्ली, बल्ली, ढोका जैसे शब्द भी चलते हैं। मेरे फ़ेसबुक मित्र दिलबाग सिंह ने बताया कि उन्होंने एक दुकान में किसी को चिटकनी के लिए आगल शब्द का इस्तेमाल करते सुना था। यह आगल अर्गल से ही बना है (देखें चित्र 5)।
ऊपर मैंने दुर्गा सप्तशती का ज़िक्र किया। दुर्गा से ही जुड़ा हुआ है एक पर्व जिसे कुछ लोग विजयादशमी और कुछ विजयदशमी कहते हैं। सही क्या है, इसपर पहले चर्चा की है। अगर आपने उसे न पढ़ा हो और सही शब्द के बारे में जानने में रुचि हो तो इस लिंक पर जा सकते हैं।
One reply on “146. अनर्गल माने क्या – बकबक या लगातार?”
Hmare yha(punjab me) hm bolte hai अर्ल lga do ग ke bina