कायापलट दो शब्दों से बना है – काया और पलट। काया स्त्रीलिंग है और पलट पुल्लिंग। ऐसे में कायापलट का लिंग क्या होगा? दूसरे शब्दों में अगर हमें इसका वाक्य में इस्तेमाल करना हो तो क्या लिखेंगे? बहू ने आते ही घर ‘की’ कायापलट कर ‘दी’ या घर ‘का’ कायापलट कर ‘दिया’? आज की चर्चा इसी विषय पर। रुचि हो तो पढ़ें।
जब मैंने कायापलट के लिंग के बारे में फ़ेसबुक पर पोल किया तो सवाल को आसान बनाने के लिए दो विकल्पों के साथ यह वाक्य भी दिया था – बहू ने आते ही… 1. घर की कायापलट कर दी या 2. घर का कायापलट कर दिया। क़रीब 70% ने बहू ने आते ही… ‘घर की कायापलट कर दी’ के पक्ष में मतदान किया। शेष ने ‘घर का कायापलट कर दिया’ को सही बताया।
मुझे मालूम है कि ‘कायापलट’ में मौजूद ‘काया’ के स्त्रीलिंग होने की वजह से ही अधिकतर लोगों ने कायापलट को स्त्रीलिंग बताया था। लेकिन वे ग़लत थे।
कायापलट पुल्लिंग है (देखें चित्र)।
कायापलट की तरह तख़्तापलट और उलट-पलट भी पुल्लिंग है। क्यों यह हम नीचे समझेंगे।
कायापलट, तख़्तापलट, उलट-पुलट – इन तीनों में मौजूद ‘पलट’ शब्द का मतलब है ‘बहुत बड़ा परिवर्तन’ (देखें ऊपर का चित्र)। एक ऐसा परिवर्तन जिसमें स्थिति बिल्कुल बदल जाए – 180 डिग्री तक। मसलन कोई दुबला हो तो मोटा हो जाए, ग़रीब हो तो अमीर हो जाए, ईमानदार हो तो बेईमान हो जाए, सामिष हो तो निरामिष हो जाए, सत्ता में हो, वह विपक्ष में चला जाए।
‘पलट’ शब्द का स्वतंत्र रूप में इस्तेमाल केवल क्रिया के तौर पर होता है (बाज़ी पलट गई), संज्ञा के रूप में नहीं। इसीलिए किसी भी शब्दकोश में पलट शब्द नहीं मिलता जिससे पता चले कि इसका लिंग क्या है। लेकिन व्यवहार में यह पुल्लिंग है, यह ‘सबकुछ उलट-पलट हो गया (न कि हो गई)’ जैसे उदाहरण से ज़ाहिर होता है।
अब आते हैं कायापलट पर। काया है स्त्रीलिंग और पलट है पुल्लिंग। यानी पहला भाग स्त्रीलिंग और और दूसरा भाग पुल्लिंग। ऐसे में हमें पता लगाना है कि इस पूरे शब्द का लिंग क्या होगा।
इसका जवाब खोजने के लिए मैं हम एक और शब्द पर विचार करते हैं – सत्ता-परिवर्तन। यह भी कायापलट जैसा ही शब्द है। काया की तरह ‘सत्ता’ है स्त्रीलिंग और पलट की तरह ‘परिवर्तन’ है पुल्लिंग। अब सत्ता-परिवर्तन को वाक्य में इस्तेमाल करना हो तो कैसे करेंगे?
- देश में सत्ता-परिवर्तन हो गई।
- देश में सत्ता-परिवर्तन हो गया।
आप समझ ही रहे होंगे कि दूसरा वाक्य ही सही है – सत्ता-परिवर्तन हो गया।
अब हम आते हैं इस सवाल पर कि फ़ेसबुक पोल में भाग लेने वालों में से अधिकतर को कायापलट स्त्रीलिंग क्यों लगा। मेरे हिसाब से इसका कारण यह है कि उन्होंने कायापलट को एक शब्द न समझकर दो शब्द मान लिया – पहले (काया) को संज्ञा और दूसरे (पलट) को क्रिया। कुछ-कुछ इस तरह – बहू ने आते ही घर की काया पलट कर दी। लेकिन यह वाक्य अशुद्ध है। अगर पलट को क्रिया के तौर पर इस्तेमाल करना है तो लिखना होगा – बहू ने आते ही घर की काया (संज्ञा) पलट (क्रिया) दी, न कि काया पलट ‘कर’ दी। जैसे ‘देश में सत्ता-परिवर्तन हो गया’ को हम ऐसे भी लिख सकते हैं – देश में सत्ता परिवर्तित हो गई या देश में सत्ता बदल गई। तब वाक्य में क्रिया आदि का लिंग सत्ता के हिसाब से तय होगा।
कायापलट (काया का पलटना) जैसे सामासिक शब्दों का लिंग आम तौर पर उन शब्दों का विग्रह करके ही जाना जा सकता है जैसे लोगों के इच्छानुसार (इच्छा ‘के’ अनुसार), मेरे दादा-दादी (दादा और दादी), देश की जनसंख्या (जन ‘की’ संख्या), उसकी कामचोरी (काम ‘की’ चोरी) आदि।
वैसे मैंने देखा है कि आम तौर पर सामासिक शब्दों का लिंग वही होता है जो दूसरे हिस्से का लिंग होता है जैसा कि आपने ऊपर के उदाहरणों में देखा होगा। मैं जानता हूँ, आपमें से कुछ कहेंगे – दादा-दादी में तो ऐसा नहीं हो रहा है। उसमें दूसरा हिस्सा दादी है जो स्त्रीलिंग है लेकिन सर्वनाम में ‘मेरे’ लिख रहे हैं, ‘मेरी’ नहीं। तो उसका कारण क्या है, उसकी बात हम फिर कभी किसी पोलचर्चा में करेंगे और जानेंगे कि जब एक ही वाक्य में कई संज्ञाएँ हों और उनमें वचन और लिंग का घालमेल हो तो क्रिया, विशेषण या सर्वनाम का रूप कैसे तय होगा।
ऊपर मैंने सत्ता का उल्लेख किया है। सत्ता से मिलता-जुलता एक और शब्द है पत्ता। पत्ता के साथ जब हम परसर्ग (या कारक चिह्न) यानी का, में, पर आदि लगाते हैं तो पत्ता का पत्ते हो जाता है जैसे पत्ते का रंग, पत्ते का आकार। लेकिन सत्ता के साथ जब हम ऐसे ही चिह्न लगाते हैं तो सत्ता का सत्ते नहीं होता। हम लिखते हैं – सत्ता की चाहत या सत्ता के लिए, न कि सत्ते की चाहत या सत्ते के लिए। ऐसा क्यों?
इसपर हम बहुत पहले चर्चा कर चुके हैं। जानने में रुचि हो तो नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक/टैप करें।