शुद्ध-अशुद्ध के तहत हमारी पहली चर्चा है पवन के लिंग के बारे में। पवन चल रही है या पवन चल रहा है? इस विषय पर किए गए एक फ़ेसबुक पोल में 51% ने कहा – पवन स्त्रीलिंग है, 49% ने कहा – पवन पुल्लिंग है। सही क्या है, जानने के लिए आगे पढ़ें।
शब्दकोश के मुताबिक़ पवन पुल्लिंग है और इस हिसाब से पुल्लिंग पर वोट करने वाले सही रहे। बधाई! लेकिन पवन को पुल्लिंग बताने वाले सभी साथियों से मैं जानना चाहूँगा कि आपको पता कैसे चला कि पवन पुल्लिंग है।
वजह यह कि हम किसी हिंदी शब्द का लिंग इसी आधार पर जान सकते हैं कि हम उसे वैसा लिखते हैं, पढ़ते हैं या सुनते हैं। चाय स्त्रीलिंग है, यह हम इसीलिए जानते हैं कि रोज़मर्रा के वार्तालाप या लिखने-पढ़ने में यह शब्द स्त्रीलिंग के रूप में ही इस्तेमाल होता है। चाय ‘अच्छी’ है, मुझे ‘कड़ी’ चाय पसंद है, चाय बन ‘गई’, चाय पी ‘ली’ आदि। लेकिन पवन का इस्तेमाल तो हम कभी नहीं करते। कभी पवनपुत्र हनुमान लिखने-बोलने के क्रम में पवन का ज़िक्र हो गया तो कभी पवन चक्की के रूप में। लेकिन अलग से पवन का इस्तेमाल मैंने अपनी 58 साल की ज़िंदगी में एक बार भी नहीं किया, न किसी और को इस्तेमाल करते देखा कि पवन बह रहा है या बह रही है।
नहीं, यह ग़लत कह गया। पवन का इस्तेमाल तो देखा है। कहाँ… तो फ़िल्मी गानों में। जी हाँ, पवन का इस्तेमाल केवल गीतों में होता आया है और जिन साथियों ने उसे स्त्रीलिंग बताया है, उन्होंने भी संभवतः उन गानों के आधार पर ही उसे स्त्रीलिंग बताया है। जैसे –
- मेरे पी को पवन किस गली ले ‘चली’ (ग़ुलामी)
- क्यों ‘चलती’ है पवन, क्यों झूमे है गगन (कहो ना… प्यार है)
- ‘ठंडी-ठंडी’ पवन चले, तन-मन में हाय आग लगे (प्यार कोई खेल नहीं)
- पवन ‘दीवानी’, न माने (डॉ. विद्या)
- सुन ‘री’ पवन, पवन पुरवैया (अनुराग)
- रुत ऐसी, हाय कैसी, ये पवन ‘चली’ गली-गली (आराधना)
- ‘ठंडी’ पवन है दीवानी, छीने दुपट्टा मेरा (अनाड़ी)
कुछ और मशहूर गाने याद आते हैं पवन से जुड़े हुए लेकिन उनसे पवन के लिंग का पता नहीं चलता। जैसे –
- सावन का महीना, पवन करे सोर (मिलन)
- ओ बसंती पवन पागल (जिस देश में गंगा बहती है)
- ओ पवन वेग से उड़ने वाले घोड़े (जय चित्तोड़)
बहुत खोजा मगर एक भी गाना नहीं मिला जिसमें पवन का इस्तेमाल पुल्लिंग के तौर पर किया गया हो।
ऊपर के गीतों की लिस्ट मैंने इसलिए दी कि सभी प्रामाणिक शब्दकोश तो पवन को पुल्लिंग बता रहे हैं (शायद इसलिए कि संस्कृत में वह पुल्लिंग है) मगर हमारे गीतकार पवन को सदा से स्त्रीलिंग ही मानकर गीत रचना कर रहे हैं। वे ऐसा क्यों कर रहे हैं, इसके दो कारण हो सकते हैं। एक, उनको भी पुराने गीत याद रहे हों जिनमें पवन का स्त्रीलिंग के तौर पर इस्तेमाल हुआ है और इसीलिए उन्होंने भी उसे स्त्रीलिंग मान लिया। दो, हम बातचीत में तो हवा ही बोलते हैं – तेज़ हवा चल रही है, हवा बहुत ठंडी है – जो कि स्त्रीलिंग है, सो पवन जो कि हवा का ही पर्याय है, उसको भी स्त्रीलिंग ही मान लिया गया।
पवन को स्त्रीलिंग बताने वालों ने जहाँ फ़िल्मी गीतों का सहारा लिया है, वहीं पवन को पुल्लिंग बताने वालों ने शायद यह सोचा हो कि पवन तो लड़के का नाम होता है और पवन देवता भी पुरुष हैं। लेकिन यह कोई आधार नहीं। पवन देव को वायु देव भी कहा जाता है और वायु स्त्रीलिंग है। इसी तरह अग्नि देवता भी पुरुष हैं मगर अग्नि स्त्रीलिंग है।
अब आई फ़ैसले की घड़ी। पवन को पुल्लिंग माना जाए या स्त्रीलिंग? कोश के हिसाब से चलें या (फ़िल्मी) चलन के हिसाब से? निर्णय मुश्किल है। लेकिन हमें इसको लेकर बहुत परेशान नहीं होना चाहिए क्योंकि यह तो तय है कि आप (यदि कवि नहीं हैं तो) कभी भी पवन शब्द का इस्तेमाल अपनी बातचीत और लेखन में नहीं करेंगे सो आपके सामने कभी यह पुल्लिंग-स्त्रीलिंग की समस्या आएगी ही नहीं। बाक़ी फ़िल्मी गीतकार या कवि यदि स्त्रीलिंग के तौर पर उसका इस्तेमाल कर रहे हैं तो करने दीजिए। हमें तो बस गीतों का आनंद लेने से मतलब है।