‘चंदा मामा दूर के…’ यह बालगीत और उसकी यह पहली लाइन तो हम सब जानते हैं लेकिन ‘पूए पकाए किस चीज़ के’, इसके बारे में अलग-अलग मत हैं। कोई कहता है गूड़ (गुड़) के, कोई कहता है बूर के तो कोई दूध और पूर के भी बताता है और सबके पक्ष में अपने-अपने तर्क हैं। आख़िर सही क्या है, यह जानने के लिए आगे पढ़ें।
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हँसता ‘हुआ’ लड़का और हँसते ‘हुए’ लड़के। इन दोनों प्रयोगों में आपको क्या अंतर दिख रहा है? यही कि लड़का को लड़के (बहुवचन) करते ही ‘हुआ’ अपने एकारांत और बहुवचन रूप ‘हुए’ में बदल जाता है। अब अगर यही प्रयोग लड़की और लड़कियाँ के मामले में किया जाए तो क्या लिखा जाएगा? हँसती ‘हुई’ लड़की तो ठीक है। मगर बहुवचन में क्या होगा – हँसती ‘हुई ‘लड़कियाँ या हँसती ‘हुईं’ लड़कियाँ? जानने के लिए आगे पढ़ें।
विद्वता सही है या विद्वत्ता? इसपर मैंने दो अलग-अलग समय में अलग-अलग मंचों पर पोल किया और दोनों का नतीजा तक़रीबन एक जैसा निकला। सवाल था कि विद्व के बाद त् की ध्वनि एक बार है (विद्वता) या दो बार (विद्वत्ता)। जुलाई 19 में किए गए पोल में 66% ने विद्वता को सही बताया तो सितंबर 21 में किए गए पोल में 62% ने। इसी तरह पहले पोल में 34% ने विद्वत्ता को सही बताया था तो ताज़ा पोल में 38% ने। सही क्या और क्यों है, यह जानने के लिए आगे पढ़ें।
अगर मैं पूछूँ कि खोपड़ी सही है या खोंपड़ी, तो आपमें से हर कोई कहेगा – खोपड़ी। लेकिन अगर मैं पूछूँ कि झोपड़ी सही है या झोंपड़ी तो आपमें से कुछ कहेंगे झोंपड़ी तो कुछ कहेंगे झोपड़ी। जब मैंने फ़ेसबुक पर यही सवाल पूछा तो 69% ने कहा, झोपड़ी सही है। शेष 31% ने झोंपड़ी को सही ठहराया। अगर जानना चाहते हैं कि सही क्या है, तो आगे पढ़ें।
एक शब्द है ढक्कन (संज्ञा) जिसके बारे में किसी को कोई भी भ्रम नहीं है। लेकिन जब इसके क्रिया रूप की बात होती है तो दिमाग़ पसोपेश में पड़ जाता है कि ढकना लिखें या ढँकना। जैसे खाने-पीने की चीज़ों को हमेशा ‘ढकना’ चाहिए या ‘ढँकना’ चाहिए? यह शब्द संज्ञा के तौर पर भी ढक्कन की जगह इस्तेमाल होता है। उसमें क्या ‘ढकना’ होगा या ‘ढँकना’? इन्हीं सब सवालों का जवाब खोजने के लिए यह क्लास तैयार की है। रुचि हो तो पढ़ें।