एक छोटा-सा कीटाणु जिसे हम अपनी आँखों से देख भी नहीं सकते, किस तरह दुनिया में तबाही मचा सकता है, यह हमें करोनावाइरस ने बता दिया। क्या कहा, करोनावाइरस ग़लत है? सही शब्द कोरोना है? चलिए, पता लगाते हैं।
एक छोटा-सा कीटाणु जिसे हम अपनी आँखों से देख भी नहीं सकते, किस तरह दुनिया में तबाही मचा सकता है, यह हमें करोनावाइरस ने बता दिया। क्या कहा, करोनावाइरस ग़लत है? सही शब्द कोरोना है? चलिए, पता लगाते हैं।
एक ख़ास इलाक़े की होली बहुत मशहूर है। उस इलाक़े का सही नाम क्या है – व्रज/ब्रज या वृज/बृज? इन शब्दों के दो-दो रूप चलते हैं – व वाला रूप संस्कृत का है, ब वाला हिंदी का। इसलिए वह कोई मुद्दा नहीं है। मुद्दा यह है कि व या ब के नीचे र की टेढ़ी लकीर लगेगी या ऋ की मात्रा। जवाब के लिए आगे पढ़ें।
वॉट्सऐप और ईमेल के ज़माने में आपमें से कई पाठकों को मालूम नहीं होगा कि जिस डाक सामग्री पर पर्याप्त मूल्य के टिकट न लगे हों, उसे क्या कहते हैं। उसे कहते हैं बैरंग हालाँकि कुछ लोग बेरंग भी कहते हैं। बैरंग क्यों सही है और उसका क्या मतलब है, जानने की इच्छा हो तो आगे पढ़ें।
अध्यात्म को कई लोग आध्यात्म बोलते हैं, यह मुझे मालूम है लेकिन उनकी संख्या इतनी ज़्यादा है, यह मुझे इन शब्दों पर किए गए फ़ेसबुक पोल से पता चला। उस पोल में क़रीब 40% ने आध्यात्म को सही बताया था। यह ग़लत उच्चारण इतना ज़्यादा प्रचलित है कि कुछ धर्मगुरु भी अध्यात्म की जगह आध्यात्म बोलते हैं। वे ऐसा क्यों बोलते हैं, यह जानने के लिए आगे पढ़ें।
निदान एक ऐसा शब्द है जो आज बिल्कुल ही भिन्न अर्थ में इस्तेमाल हो रहा है। कभी इसका अर्थ था कारण और आज इसका मतलब समाधान हो गया है। किसी शब्द का अर्थ अगर समय के साथ बदल जाए तो क्या उसके बदले हुए अर्थ को स्वीकार कर लेना चाहिए या मूल अर्थ को ही सही माना जाना चाहिए? निदान इस बहस के लिए उपयुक्त मिसाल है।