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आलिम सर की हिंदी क्लास शुद्ध-अशुद्ध

20. सामर्थ्य का लिंग तय करना न ‘आपकी’ सामर्थ्य में है, न ‘मेरे’

हिंदी में सामर्थ्य शब्द लंबे समय से पुल्लिंग और स्त्रीलिंग दोनों ही रूपों में चल रहा है। कोई लिखता है ‘अपने’ सामर्थ्य तो दूसरा लिखता है ‘अपनी’ सामर्थ्य। इस क्लास के शीर्षक में भी मैंने सामर्थ्य का स्त्रीलिंग और पुल्लिंग दोनों रूपों में इस्तेमाल किया है – आपकी और मेरे। क्यों, यह जानने के लिए आगे पढ़ें।

जब मैंने सामर्थ्य शब्द पर फ़ेसबुक पोल किया तो मुझे लग रहा था कि मुक़ाबला बराबरी पर छूटेगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं। 70% ने पुल्लिंग को सही बताया, 30% ने स्त्रीलिंग को। सही क्या है, यह कोशकार भी तय नहीं कर पा रहे। इसी कारण उन्होंने शब्दकोश में उसे पुल्लिंग और स्त्रीलिंग दोनों यानी उभयलिंग बता दिया है (देखें चित्र)।

राजपाल वाले शब्दकोश में तो भ्रम की यह स्थिति है कि एंट्री में इसे पुल्लिंग बताया गया है लेकिन उदाहरण में स्त्रीलिंग।

मेरी नज़र में यह पहला शब्द है जो किसी शब्दकोश में स्रीलिंग और पुल्लिंग दोनों रूपों में दिखाया गया था। कुछ और शब्द हैं जो संस्कृत और उर्दू में पुल्लिंग हैं जैसे आत्मा और चर्चा लेकिन हिंदी में दोनों स्त्रीलिंग हैं। लेकिन एक ही भाषा में कोई शब्द स्त्रीलिंग और पुल्लिंग दोनों रूपों में स्वीकार्य हो, यह मैंने पहली बार देखा।

कामताप्रसाद गुरु इन शब्दों को भी उभयलिंग बताते हैं – आत्मा, क़लम, गड़बड़, गेंद, घास, चलन, चाल-चलन, तमाखू, दरार, पुस्तक, पवन, बर्फ़, विनय, श्वास, समाज, सहाय इत्यादि (देखें चित्र)।

वैसे मेरे हिसाब से सामर्थ्य पुल्लिंग होना चाहिए और इसीलिए पुल्लिंग के तौर पर ही उसे लिखता हूँ। कारण यह कि सामर्थ्य की तरह के जितने भी शब्द हैं, वे सब-के-सब पुल्लिंग हैं। मैंने नीचे कुछ शब्दों की लिस्ट दी है जिनमें एक ही नियम से विशेषण से भाववाचक संज्ञाएँ बनी हैं। इन सबमें शब्द के पहले वर्ण की मात्रा बदल गई है, अंतिम वर्ण आधा हो गया है और आख़िर में ‘य’ आ गया है। देखें लिस्ट।

अ या आ से शुरू होने वाले शब्दों में बदलाव

  • चतुर से चातुर्य
  • मधुर से माधुर्य
  • सरल से सारल्य
  • सफल से साफल्य
  • समर्थ से सामर्थ्य
  • वत्सल से वात्सल्य
  • बहुल से बाहुल्य
  • स्वस्थ से स्वास्थ्य

इ या ई से शुरू होने वाले शब्दों में बदलाव

  • निपुण से नैपुण्य
  • शिथिल से शैथिल्य
  • धीर से धैर्य

उ या ऊ से शुरू होने वाले शब्दों में बदलाव

  • सुंदर से सौंदर्य
  • दुर्बल से दौर्बल्य
  • उदार से औदार्य
  • उचित से औचित्य
  • कुमार से कौमार्य
  • कुशल से कौशल्य
  • शूर से शौर्य

ए या ऐ से शुरू होने वाले शब्द में बदलाव

  • एक से ऐक्य

ऊपर जितने भी शब्द हैं, उनमें से एक भी स्त्रीलिंग नहीं है। फिर भला सामर्थ्य कुछ लोगों के लिए स्त्रीलिंग कैसे हो गया? ऐसा भी नहीं कि यह अपवाद हो क्योंकि जैसा कि पोल से स्पष्ट हुआ, पुल्लिंग के तौर पर इस्तेमाल कर रहे लोगों का अनुपात स्रीलिंग के तौर पर इस्तेमाल करने वालों के मुक़ाबले दुगने से ज़्यादा है।

मेरी समझ से इसका कारण यह है कि सामर्थ्य के जितने भी पर्याय हैं जैसे योग्यता, क्षमता, शक्ति, वे सारे-के-सारे स्त्रीलिंग हैं। इसी कारण कुछ लोगों ने सामर्थ्य को भी स्त्रीलिंग कर दिया – मेरी योग्यता, मेरी क्षमता, मेरी शक्ति, सो मेरी सामर्थ्य। मुश्किल यह भी हुई कि सामर्थ्य के साथ-साथ समर्थता शब्द हिंदी में नहीं चला जैसे कि सुंदर, दुर्बल, बहुल आदि के मामलों में सौंदर्य, दौर्बल्य, बाहुल्य के साथ-साथ सुंदरता, दुर्बलता, बहुलता आदि भी चले। यदि चलता तो सामर्थ्य पुल्लिंग रहता और समर्थता स्त्रीलिंग जैसा हम सौंदर्य (पु) व सुंदरता (स्त्री), दौर्बल्य (पु) व दुर्बलता (स्त्री) और बाहुल्य (पु) व बहुलता (स्त्री) में पाते हैं।

आज के पोस्ट में आपने देखा कि कुछ भाववाचक संज्ञाओं के दोनों ही रूप हिंदी में चल रहे हैं – आख़िर में -य वाले और आख़िर में -ता वाले लेकिन कुछ का केवल एक ही रूप चल रहा है।

पहले के उदाहरण हैं – सौंदर्य/सुंदरता, दौर्बल्य/दुर्बलता, बाहुल्य/बहुलता, शैथिल्य/शिथिलता, औदार्य/उदारता। दूसरे के उदाहरण हैं – कौमार्य, सामर्थ्य, औचित्य आदि। कुमारता, उचितता या समर्थता नहीं लिखा जाएगा। वैसे रोचक बात यह भी है कि समर्थता भले प्रचलित न हो, असमर्थता प्रचलन में है। उदाहरण – स्वास्थ्य मंत्री ब्रह्म मोहिंद्रा ने प्रदर्शनकारी नर्सो को तुरंत पक्का करने में असमर्थता जताई है।

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