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71. आरोपी – जो आरोप लगाए या जिसपर आरोप लगे?

हिंदी में एक शब्द है आरोपी जिसका बहुत ग़लत प्रयोग होता है। इस शब्द पर हुए फ़ेसबुक पोल में 86% के विशाल बहुमत ने कहा, आरोपी का अर्थ है – वह जिसपर आरोप लगा हो। 14% के मामूली अल्पमत ने इसके उलट कहा कि आरोपी उसको कहते हैं जिसने आरोप लगाया हो। सही क्या है और क्यों है, यह हम आगे जानेंगे।

पहले शब्दकोशों से पूछते हैं। हिंदी शब्दसागर में आरोपी शब्द नहीं है, आरोपक है और उसका अर्थ दिया हुआ है – दोष लगाने वाला (देखें चित्र)। संस्कृत शब्दों में देखें तो उनमें ‘क’ से अंत होने वाले शब्दों से किसी काम को करने वाले का अर्थ निकलता है जैसे दर्शक (देखने वाला), निंदक (निंदा करने वाला), चिंतक (चिंतन करने वाला) आदि। इसलिए आरोप+क=आरोपक से ‘आरोप करने या लगाने वाले’ का अर्थ निकलता है। संस्कृत के शब्दकोशों में भी आरोपक शब्द है हालाँकि उनमें उसका वह अर्थ नहीं है जो शब्दसागर में दिया हुआ है। आरोपी (आरोपिन्) शब्द उनमें भी नहीं है।

शब्दसागर में आरोपक है, आरोपी नहीं है।

आरोपक का अर्थ तो हम जान गए लेकिन हमें तो आरोपी का अर्थ जानना है जिसमें आरोप के बाद ‘ई’ प्रत्यय लगा है (आरोप+ई=आरोपी)। इसके लिए हमें यह पता करना होगा कि किसी शब्द में ‘ई’ प्रत्यय लगाने से उसका क्या अर्थ निकलता है – वही जो ‘क’ प्रत्यय लगाने से निकलता है (यानी आरोप लगाने वाला) या उसका उलटा निकलता है (यानी जिसपर आरोप लगा हो)?

अभियुक्त के बदले आरोपी

शब्दसागर में आरोपी क्यों नहीं है, इसका कारण हम समझ सकते हैं। शब्दसागर का नवीनतम संस्करण 1985 के आसपास का है और तब तक यह शब्द प्रचलन में नहीं आया था। मैंने 1984 में पत्रकारिता शुरू की और मुझे याद है कि हम accused के लिए तब अभियुक्त शब्द का प्रयोग करते थे। लेकिन उसी दौर में भाषा को आसान बनाने का प्रयास शुरू हुआ और शायद उसी क्रम में किसी अख़बार ने अभियुक्त की जगह आरोपी लिखना शुरू कर दिया। उसका असर यह हुआ कि आज हिंदी मीडिया का बड़ा हिस्सा accused के अर्थ में आरोपी शब्द का ही इस्तेमाल कर रहा है (देखें चित्र)।

मेनस्ट्रीन मीडिया में अभियुक्त के लिए आरोपी शब्द का इस्तेमाल।

अख़बारों की देखादेखी पाठक भी आरोपी का यही अर्थ ग्रहण कर रहे हैं। हमारे पोल का नतीजा भी यही बताता है। और तो और, वर्धा का हिंदी शब्दकोश भी आरोपी का यही अर्थ बता रहा है – जिसपर दोष लगाया गया हो (देखें चित्र)।

वर्धा के शब्दकोश में आरोपी का ग़लत अर्थ।

लेकिन मेरा प्रश्न यह है कि जब अपराधी (अपराध+ई) का मतलब अपराध करने वाला होता है, न कि वह जिसके साथ अपराध हुआ हो; बलात्कारी (बलात्कार+ई) का अर्थ बलात्कार करने वाला होता है, न कि वह जिसके साथ बलात्कार हुआ हो तो आरोपी (आरोप+ई) का मतलब भी आरोप लगाने वाला होना चाहिए, न कि वह जिसपर आरोप लगाया गया हो। जिसपर आरोप लगा हो, उसे तो आरोपित कहेंगे या अभियुक्त जैसा कि हमारे समय में लिखा जाता था और कहीं-कहीं आज भी लिखा जाता है।

गड़बड़ी कहाँ हुई?

मेरे ख़्याल से सारी गड़बड़ी इस कारण हुई कि जिस किसी ने आरोपी शब्द गढ़ा, उसे ‘ई’ और ‘इत’ प्रत्यय के इस्तेमाल के बारे में सही समझ नहीं थी। ‘ई’ प्रत्यय ‘कोई काम करने वाले’ और ‘इत’ प्रत्यय ‘उस काम से प्रभावित होने वाले’ के अर्थ में इस्तेमाल होता है। इसे और स्पष्ट करने के लिए मैं कुछ उदाहरण देना चाहता हूँ। लेकिन आप आगे बढ़ें, उससे पहले एक बात का स्पष्टीकरण ज़रूरी है उन लोगों के लिए जो संस्कृत और हिंदी दोनों के जानकार हैं। मैं नीचे जिन शब्दों की बात कर रहा हूँ, वे संस्कृत से भले ही आए हों मगर प्रत्यय मैंने हिंदी के हिसाब से लगाए हैं न कि संस्कृत के हिसाब से।

अब उदाहरण देखें।

  • कर्म+ई=कर्मी यानी कर्म करने वाला।
  • दान+ई=दानी यानी दान करने वाला।
  • अपराध+ई=अपराधी यानी अपराध करने वाला।
  • उत्पात+ई=उत्पाती यानी उत्पात मचाने वाला।
  • भेद+ई=भेदी यानी यानी भेद बताने वाला।
  • ख़ून+ई=ख़ूनी यानी ख़ून करने वाला।

इसी तरह आरोप+ई=आरोपी यानी आरोप लगाने वाला।

अब ‘इत’ प्रत्यय वाले कुछ उदाहरण देखिए।

  • शासित यानी जिसपर शासन किया जाता हो।
  • उत्पीड़ित यानी जिसका उत्पीड़न होता/हुआ हो।
  • दलित यानी जिसका दलन होता हो।
  • कल्पित यानी जिसकी कल्पना की गई हो।
  • मूर्च्छित यानी जिसको मूर्च्छा (बेहोशी) आ गई हो।
  • संशोधित यानी जिसमें संशोधन किया गया हो।

इसी तरह आरोपित यानी जिसपर आरोप लगाया गया हो।

इऩ दो तरह के उदाहरणों के आधार पर जो निष्कर्ष निकलता है, उसे मैंने नीचे दो पैरों में स्पष्ट करने की कोशिश की है।

1. किसी शब्द के साथ ‘ई’ प्रत्यय यह बताने के लिए लगता है कि यह व्यक्ति उस शब्द से जुड़ी क्रिया (काम) करता है। भेद+ई=भेदी भेद बताने का काम करता है। दान+ई=दानी दान करने का काम करता है। अपराध+ई=अपराधी अपराध करने का काम करता है।

2. किसी शब्द के साथ ‘इत’ प्रत्यय यह बताने के लिए लगाया जाता है कि इस व्यक्ति के साथ वह क्रिया अतीत में हुई है या आज भी होती है। पतित वह व्यक्ति है जिसका पतन हुआ है। दलित वह व्यक्ति (या समाज) है जिसका दलन हुआ/होता है। संशोधित वह वस्तु है जिसमें/जिसका संशोधन किया गया है।

जागरण में आरोपित, बाक़ी में आरोपी

आपने ऊपर देखा कि नवभारत टाइम्स, अमर उजाला, हिंदुस्तान आदि अभियुक्त के लिए आरोपी शब्द चला रहे हैं। लेकिन दो अख़बार ऐसे हैं जो आरोपी न लिखकर आरोपित का इस्तेमाल करते हैं। ये हैं – दैनिक जागरण और नई दुनिया जो कुछ सालों से दैनिक जागरण का ही हिस्सा बन गया है।

जागरण और नई दुनिया में अभियुक्त के लिए आरोपित शब्द का इस्तेमाल।

इनके अलावा कोई भी अख़बार आरोपित शब्द का इस्तेमाल नहीं करता।

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