यह क्लास संस्कृत के एक आशीष वाक्य से जुड़ी है। इसमें एक शब्द आता है – वह भव है या भवः, यही है सवाल। अधिकतर लोग इसे भवः लिखते-बोलते हैं जो कि हमारे पोल से भी सामने आया। एक सीरियल के नाम में भी भवः ही था। लेकिन क्या यह सही है, जानने के लिए आगे पढ़ें।
जब आयुष्मान् भव और आयुष्मान् भवः पर एक फ़ेसबुक पोल किया गया तो जैसी कि आशंका थी, बहुमत (67%) ने भवः के पक्ष में वोट डाला जबकि सही है भव। मैंने पहले भी एक और मंच पर यह पोल किया था। वहाँ भी 64% ने भवः को सही बताया था।
मैं संस्कृत का क-ख-ग भी नहीं जानता इसलिए सवाल पूछने से पहले मैंने संस्कृत के जानकारों से चर्चा की थी और उन सभी ने कन्फ़र्म किया कि सही शब्द भव ही है।
यानी आयुष्मान् भव, विजयी भव, सौभाग्यवती भव, मातृ देवो भव – इन सबमें भव ही है, भवः नहीं। देखें चित्र।
अब सवाल यह कि भव का भवः कैसे हुआ होगा। मेरी धारणा के अनुसार हो-न-हो, इसका संबंध भव के उच्चारण से है। भव का उच्चारण द्रव और नव की तरह नहीं होता जो हिंदी में द्रव् और नव् की तरह बोले जाते हैं। भव का उच्चारण भव्अ (भव्+अ) की तरह होता है। यानी भ और व, दोनों के अ स्वरों पर बल दिया जाता है जैसा कि संस्कृत में होता है। अब जब सीरियलों या फ़िल्मों के पात्र आयुष्मान् भव्अ बोलते होंगे तो श्रोता सोचते होंगे कि भव के व पर बल क्यों दिया जा रहा है – ज़रूर व के बाद विसर्ग है।
जो साथी भव का उच्चारण अब भी नहीं समझ पा रहे हैं, वे इसे जय से समझें। ‘शोले’ फ़िल्म के जय का नाम आप जिस तरह बोलते हैं, उसी तरह बोलें (यह हिंदी में जय का उच्चारण है)। इसके बाद हमारे राष्ट्रगान की पंक्ति ‘जय हे, जय हे, जय हे’ – का उसी तरह मन-ही-मन या बोलकर गान करें जैसे कि वह गाया जाता है (यह संस्कृत के जय का उच्चारण है)। आप देखेंगे कि राष्ट्रगान वाले जय में ‘य’ पर भी ज़ोर है जबकि ‘शोले’ वाले जय में नहीं है। इस दूसरे वाले जय (ज+य्+अ) की तरह ही भव (भ+व्+अ) भी बोला जाएगा।
यदि और स्पष्टता चाहिए तो नीचे ‘मणिकर्णिका’ फ़िल्म का गाना ‘विजयी भव’ सुनें। विडियो किसी कारण से न खुले तो इस लिंक पर क्लिक/टैप करें।
भव को भवः के रूप में लोकप्रिय करने में हमारे सीरियलों और वेबसाइटों का भी ‘महान’ योगदान है। कुछ समय पहले ‘आयुष्मान भवः’ नाम का सीरियल आया था जिसमें भव की जगह भवः लिखा हुआ था। सभी छोटी-बड़ी वेबसाइटों पर भी भवः लिखा रहता है (देखें चित्र)।