कुछ दिन पहले किसी ने मुझसे पूछा कि गधा लिखना सही है या गदहा। सवाल दिलचस्प था हालाँकि जवाब बहुत ही आसान था। आम तौर पर हम गधा का ही प्रयोग देखते हैं लेकिन तब गदहा का प्रयोग भी कहीं-कहीं दिखता है। तो फिर सही क्या है, जानने के लिए आगे पढ़ें।
गधा और गदहा में से कौनसा शब्द ज़्यादा लोकप्रिय है, यह जानने के लिए जब मैंने फ़ेसबुक पर पोल किया तो एक अतिरिक्त विकल्प भी दिया कि दोनों सही हैं। इसी विकल्प पर सबसे ज़्यादा वोट पड़े – 48%। 37% ने गधा को सही बताया, 15% ने गदहा को। इससे स्पष्ट हुआ कि गधा ही ज़्यादा प्रचलित है हालाँकि गदहा भी ग़लत नहीं है। दरअसल गदहा से ही गधा बना है। कैसे यह नीचे जानते-समझते हैं।
हिंदी शब्दसागर के अनुसार संस्कृत के गर्दभ से प्राकृत में गद्दह बना और उससे हिंदी में गदहा बना और गदहा से ही गधा बना (देखें चित्र)।
‘भ’ ‘ह’ में क्यों बदला?
आप अगर सोच रहे हैं कि गर्दभ का ‘भ’ हिंदी में ‘ह’ कैसे हो गया तो इसका कारण यह है कि हिंदी की महाप्राण ध्वनियाँ (जिनमें हकार होता है) जैसे ख, घ, भ, ध आदि कभी-कभी ‘ह’ में बदल जाती हैं। इसका सबसे प्रचलित उदाहरण है मुँह जो मुख से बना है (‘ख’ की ध्वनि ‘ह’ में बदल गई)। इसी तरह कुंभकार से कुम्हार, गृभ से गृह, शोभन से सुहाना आदि कुछ ऐसे उदाहरण है जहाँ ‘भ’ की ध्वनि ‘ह’ में बदलती दिखती है। कई बार उलटा भी होता है जहाँ ‘ह’ किसी अन्य महाप्राण ध्वनि में बदल जाता है जैसे गुहा का गुफा।
अब केवल दो प्रश्न बचते हैं। एक, गर्दभ गदहा में कैसे बदला यानी अंत में ‘अ’ की जगह ‘आ’ कहाँ से आया और दो, गदहा गधा में कैसे बदला।
पहले सवाल का जवाब – हिंदी दीर्घ स्वरांत पसंद करती है यानी अंत में अगर कोई स्वर हो तो वह दीर्घ हो। इसी कारण संस्कृत का लौह हिंदी में लोहा हो जाता है, दंड डंडा हो जाता है, स्तंभ खंभा हो जाता है। इसी तरह गर्दभ से बना गद्दह समय के साथ गद्दहा और गदहा हो गया होगा।
दूसरे सवाल का जवाब – गदहा में ‘द’ अल्पप्राण ध्वनि है (यानी उसमें हकार नहीं है)। जब उसके बाद मौजूद ‘ह’ इस ‘द’ से मिलता है तो दोनों मिलकर ‘ध’ बना देते हैं (द्+ह=ध)। इस ध्वनि परिवर्तन को आप ख़ुद महसूस कर सकते हैं। आप सावधानी से गदहा बोलें, बोल पाएँगे। अब ज़रा जल्दी बोलकर देखिए, मुँह से गधा निकलेगा।
मैंने जो ऊपर बात कही, उसे तकनीकी भाषा में मेरे भाषामित्र योगेंद्रनाथ मिश्र ने इस तरह समझाया है –
- गर्दभ (गर्दभक*) >गद्दहअ>गदहा>गधा
- गर्दभ का पहला विकास गदहा हुआ।
- इसमें ‘द’ सघोष अल्पप्राण ध्वनि है। उसके साथ पूर्ण प्राण ध्वनि ‘ह’ है।
- ‘ह’ का प्राणत्व ‘द’ के साथ मिल जाने से वह सघोष महाप्राण यानी ‘ध’ बन गया।
- (*गर्दभक – यह एक कल्पित शब्द है। अकारांत शब्दों के लिए हम स्वार्थे ‘क’ प्रत्यय की कल्पना करते हैं। जैसे बाल और बालक – दोनों का एक ही अर्थ है। वैसे ही गर्दभ और (कल्पित) गर्दभक।)
जाते-जाते एक रोचक जानकारी जो मुझे कल मालूम हुई जब पोल के क्रम में एक साथी भरत लाल ने कॉमेंट में लिखा कि गदहा का अर्थ है – चिकित्सक। शब्दकोश में देखा – सही है (देखें चित्र में गदहा वाली पहली एंट्री)।
आज हमने एक जानवर के नाम के बारे में चर्चा की कि उसे कैसे लिखना चाहिए। इससे पहले मैं एक पक्षी के नाम पर चर्चा कर चुका हूँ कि उसका नाम कैसे लिखा जाए – कौआ या कौवा। रुचि हो तो नीचे दिए गए लिंक पर जाकर पढ़ें –