उम्मीद है कि स्ट्रेस का पहला नियम आपने जाँच लिया होगा और आपको कुछ ऐसे शब्द मिले होंगे जिनमें स्ट्रेस पहले सिल्अबल पर नहीं था। आज मैं आपको स्ट्रेस का दूसरा नियम बताऊँगा और यह बहुत ही रोचक और आसान है। ध्यान दीजिए कि यह नियम केवल दो सिल्अबल वाले शब्दों में लागू होता है यानी उन शब्दों में जिनमें दो स्वर या स्वर समूह हैं जैसे Pro.test या Con.tent।
स्ट्रेस का दूसरा नियम यह है कि यदि दो सिल्अबल वाला शब्द नाउन या ऐजिक्टिव़ है तो पहले सिल्अबल पर स्ट्रेस होगा और व़र्ब है तो दूसरे सिल्अबल पर। यह जानने के बाद आपको इसका क्या फ़ायदा होगा, यह मैं बताता हूँ। अब से जब भी आप दो सिल्अबल वाला शब्द देखें, पहले तो यह पता करें कि वह नाउन के तौर पर इस्तेमाल हो रहा है या ऐजिक्टिव़ के तौर पर या फिर व़र्ब के तौर पर। इसके बाद आप इस नियम के मुताबिक़ स्ट्रेस पहले या दूसरे सिल्अबल पर डालें। जिस सिल्अबल पर स्ट्रेस होगा, उसका अगला या पिछला सिल्अबल कमज़ोर होगा।
अब जैसे एक शब्द लें Protest। इसे हमने दो सिल्अबल में बाँटा। हुआ Pro और test। अब यदि यह नाउन के तौर पर इस्तेमाल हो रहा है जैसे The farmers’ protest is not going to end soon (किसानों का प्रतिवाद जल्दी ख़त्म होता नहीं दिखता) तो इसमें पहले सिल्अबल Pro पर स्ट्रेस पड़ना चाहिए। सो वह हो जाएगा प्रो और टेस्ट तो टेस्ट ही रहेगा। शब्द हुआ प्रोटेस्ट।
लेकिन यदि यह व़र्ब के तौर पर कहीं इस्तेमाल हुआ जैसे The farmers will continue to protest till their demands are met (किसान तब तक प्रतिवाद करते रहेंगे जब तक उनकी माँगें नहीं मान ली जातीं) तो यहाँ दूसरे सिल्अबल यानी test पर स्ट्रेस होना चाहिए। जब दूसरे सिल्अबल पर स्ट्रेस है तो पहला हल्का होना चाहिए। वह है भी और शब्द बनता है प्रटेस्ट।
यानी नाउन हुआ तो प्रोटेस्ट और व़र्ब हुआ तो प्रटेस्ट।
यही बात Pres.ent में भी है। नाउन हुआ तो प्रेज़ंट और व़र्ब हुआ तो प्रिज़ेंट।
आइए, नीचे और भी शब्दों के उच्चारण देख लें कि कैसे नाउन या ऐजिक्टिव़ में स्ट्रेस पहले सिल्अबल पर पड़ता है। पहले noun के उदाहरण देखते हैं। आप पाएँगे कि इन पाँचों में पहले सिल्अबल का उच्चारण CVC के नियमों के तहत हो रहा है – Pres (प्रेज़), Con (कॉन्), Ta (टे), Min (मिन) और Bot (बॉट)। चूँकि स्ट्रेस पहले सिल्अबल पर है तो दूसरा सिल्अबल हलका होना ही है। इसी कारण दूसरे सिल्अबल में मौजूद स्वर का उच्चारण छोटा अ, इ या ए हो रहा है।
NOUN (संज्ञा)
शब्द | उच्चारण | अर्थ |
Pres.ent | प्रेज़ंट | उपहार |
Con.test | कॉन्टेस्ट | मुक़ाबला |
Ta.ble | टेबल | मेज़ |
Min.ute | मिनिट | मिनट |
Bot.tle | बॉटल | बोतल |
यही बात विशेषण में भी है। यहाँ भी पहले सिल्अबल पर स्ट्रेस है और इन पाँच शब्दों में पहला अक्षर ए (क्ले), ऐ (है), (लंबा) अ (फ़), ऊ (ब्यू) और ऑ (नॉ) हैं।
ADJECTIVE (विशेषण)
शब्द | उच्चारण | अर्थ |
Clev.er | क्लेव़र | चालाक |
Hap.py | हैपी | ख़ुश |
Bru.tal | ब्रूटल | क्रूर, पाशविक |
Child.ish | चाइल्डिश | बचकाना |
Use.less | यूसलिस | बेकार |
ऊपर हैपी में आख़िर में जो ‘ई’ की मात्रा आपको दिख रही है, वह भारी लग रही होगी लेकिन ऐसा है नहीं। क्लास EC6 के ‘चलते-चलते’ में मैंने बताया था कि इंग्लिश में तीन इ होती हैं। शब्द के आख़िर में जो ई आती है, वह बीचवाली इॅ है लेकिन हिंदी में उसे ई ही लिखा जाता है। आख़िर में आने वाली ‘ई’ को हलका ही माना जाना चाहिए।
VERB (क्रिया)
अब क्रियाएँ देखें। इनमें स्ट्रेस दूसरे सिल्अबल पर है और पहला सिल्अबल हलका है। इसी कारण Pre, Con, De, Be और Pro का उच्चारण प्रे, कॉन्, डी, बी और प्रो के बजाय प्रि, कन्, डि, बि और प्र हो रहा है। आप देख ही पा रहे होंगे कि ये सारे हलके उच्चारण हैं।
शब्द | उच्चारण | अर्थ |
Pre.sent | प्रिज़ेंट | पेश करना |
Con.test | कन्टेस्ट | मुक़ाबला करना |
De.cide | डिसाइड | फ़ैसला करना |
Be.gin | बिगिन | शुरू करना |
Pro.test | प्रटेस्ट | प्रतिवाद करना |
स्ट्रेस का दूसरा नियम जानने से आपको फ़ायदा यह होगा कि A, Pro, Com, Con, Re, De आदि से शुरू होनेवाले शब्दों में आप आसानी से तय कर पाएँगे कि कहाँ उनका उच्चारण ए/ऐ, प्रो/प्रॉ, कॉम, कॉन, री/रे, डी/डे होगा और कहाँ ॲ, प्र, कम्, कन्, रि, डि होगा।
इस क्लास का सबक़
दो सिल्अबल वाले शब्दों में – नियम 1 : नाउन (संज्ञा) और ऐजिक्टिव़ (विशेषण) के मामले में स्ट्रेस पहले सिल्अबल पर होगा। नतीजतन दूसरा सिल्अबल हलका होगा। नियम 2 : व़र्ब (क्रिया) के मामले में स्ट्रेस दूसरे सिल्अबल पर होगा। नतीजतन पहला सिल्अबल हलका होगा। उदाहरण ऊपर दिए गए हैं।
अभ्यास
किसी मैगज़ीन या अख़बार से दो सिल्अबल वाले 50 शब्द खोजिए, उनकी लिस्ट बनाइए और ऊपर बताए गए नियमों के मुताबिक़ उनके उच्चारण का अंदाज़ा लगाइए। फिर डिक्शनरी से मिलाइए।