हव्वा, हौवा और हौआ – ये तीन शब्द हैं जिनपर आम तौर पर बहुत कन्फ़्यूश्ज़न होता है। कन्फ़्यूश्ज़न इस कारण कि ये दो तरह के अर्थों के लिए इस्तेमाल होते हैं। पहला, आदम की सहचरी के नाम के तौर पर, दूसरा, डराने के लिए प्रयुक्त एक काल्पनिक वस्तु के तौर पर। अब पहले अर्थ में क्या लिखा जाएगा और दूसरे अर्थ में क्या – यहीं पर भ्रम होता है और इसी भ्रम का निवारण हम इस चर्चा में करेंगे।
जब मैंने इस विषय पर अपनी खोजबीन शुरू की तो पता चला कि जो ‘हव्वा’, ‘हौवा’ और ‘हौआ’ को लेकर जो भ्रम है, वह केवल हम हिंदीभाषियों तक सीमित नहीं है, वह कोशकारों में भी है। मैंने पाया कि उर्दू के शब्दकोश जहाँ आदम की स्त्री और आदिमाता के नाम के तौर पर हव्वा (حوَّا) को सही बता रहे हैं, वहीं हिंदी के प्रामाणिक शब्दकोशों में ‘हव्वा’ मूल एंट्री के तौर पर है ही नहीं। हिंदी शब्दसागर और ज्ञानकोश दोनों में आदि-स्त्री के रूप में ‘हौवा’ दिया हुआ है, ‘हव्वा’ नहीं। यहाँ तक कि राजपाल का शब्दकोश जो ज़्यादा हालिया है, उसमें भी ‘हौवा’ ही है (देखें नीचे के चित्र)।
तो क्या इसका अर्थ यह निकाला जाए आदम की सहचरी के लिए कि उर्दू में ‘हव्वा’ का इस्तेमाल होता है और हिंदी में ‘हौवा’ का? जैसे अंग्रेज़ी का पलीस (Police) हिंदी में पुलिस हो गया, क्या वैसे ही उर्दू का ‘हव्वा’ हिंदी में ‘हौवा’ हो गया? क्या पुलिस तथा ऐसे ही अन्य शब्दों जैसे अस्पताल (जो Hospital से बना है) और लालटेन (जो Lantern से बना है) की तरह हमें हिंदी में ‘हौवा’ लिखना चाहिए, ‘हव्वा’ नहीं?
मैं भी इससे सहमत नहीं हूँ। मुझे लगता है कि 20वीं शताब्दी के शुरू में जब हिंदी शब्दसागर पर काम शुरू हुआ, तब या उससे पहले भी हिंदी में ‘हौवा’ चलता रहा होगा लेकिन बाद के सालों में जब मूल शब्द और उसके उच्चारण का लोगों को ज्ञान हुआ तो ‘हौवा’ प्रचलन से हट गया और ‘हव्वा’ चलने लगा। मैंने इस विषय पर फ़ेसबुक पर जो पोल किया था, उसमें भी 90% ने ’हव्वा’ के पक्ष में मतदान किया जो यही इंगित करता है कि आज अधिकतर लोग ‘आदम’ और ‘हव्वा’ ही बोलते हैं, ‘आदम’ और ‘हौवा’ नहीं।
कुछ साथी शायद मेरी इस राय से सहमत नहीं हों कि आज से सौ साल पहले के हिंदी के विद्वान इतने अल्पज्ञ थे कि वे अरबी-फ़ारसी परिवार के किसी शब्द का सही उच्चारण नहीं पता लगा सके। मान लिया, नहीं थे। तो फिर यह सवाल तो अनुत्तरित रह गया कि उर्दू में लिखे ‘हव्वा’ को तत्कालीन विद्वानों ने ‘हौवा’ क्यों समझ लिया?
इस विषय पर मैंने सोचा और कुछ जानकारों से सलाह-मशविरा करने के बाद मुझे तीन संभावनाएँ दिखीं।
- पहली, ‘हव्वा’ और ‘हौवा’ के उच्चारण में बहुत अधिक समानता है और अगर कोई ‘हव्वा’ बोल रहा हो तो बहुत आसानी से उसे ‘हौवा’ (हउवा) समझा जा सकता है।
- दूसरी, उर्दू में भले ही ‘हव्वा’ लिखा जाता हो मगर वे भी उसका उच्चारण ‘हउवा’ करते हों जिसको सुनकर हिंदीभाषियों ने ‘हौवा’ की वर्तनी अपना ली।
- तीसरी, उर्दू के बेसिक समझाने वाली एक साइट पर मैंने पढ़ा कि उर्दू में ‘व’ लिखने के लिए जिस चिह्न (و) का उपयोग किया जा सकता है, उसी से ‘ऊ’, ‘ओ’ और ‘औ’ का उच्चारण भी हो सकता है। नीचे मैं उस साइट से संबद्ध हिस्से को हलके-से संपादन के साथ उद्धृत कर रहा हूँ –
”उर्दू के तीन हर्फ़ दिलचस्प हैं। पहला हर्फ़ है و जिसका सिरा रूप नहीं होता और जिससे चार आवाज़ें निकल सकतीं हैं – व, ऊ, ओ और औ। سونا सोना भी हो सकता है और सूना भी। बिहार में एक सवना नाम का गाँव है, उसे भी سونا ही लिखा जाएगा। बिहार में ही मुंगेर के इलाके में सौना नाम का एक अलग गाँव है, जी हाँ, उसे भी سونا ही लिखा जाएगा। आपको इर्द-गिर्द का संदर्भ देखकर अंदाज़ा लगाना होगा कि ‘و’ की कौनसी आवाज़ इस्तेमाल की जाए।”
आपने पढ़ा कि उर्दू में ‘و ‘ के व, उ, औ और औ – ये चारों उच्चारण संभव हैं। ऐसे में हो सकता है कि लिखा हो ‘हव्वा’, समझ लिया गया ‘हौवा’। लेकिन यहाँ एक पेच है। उर्दू में w जैसा एक चिह्न होता है जिसे तशदीद कहते हैं। तशदीद जब किसी व्यंजन के ऊपर लगा हो तो उसे डबल यानी दो बार बोला जाता है। हव्वा (حوَّا) में भी हम ‘व’ (و) के ऊपर तशदीद देख पा रहे हैं (وّ ) इसलिए स्पष्ट है कि ‘व’ की ध्वनि को दो बार बोलना है।
अंग्रेज़ी में हव्वा को Eve कहते हैं। यह Eve Eva से बना है जो हीब्रू के हवा (חַוָּה) का ही परिवर्तित रूप है।
अब आते हैं दूसरे अर्थ पर – यानी कोई काल्पनिक डरावनी वस्तु। शब्दकोशों के अनुसार वह शब्द है हौआ जो ‘हौ’ या ‘हाउ’ से बना है। छोटे बच्चों को डराने के लिए ताकि वे बाहर न जाएँ या जल्दी से सो जाएँ, माताएँ अक्सर कहती थीं, बाहर मत जाओ वरना हौ/हाउ आ जाएगा। इसी से हौआ बना है (देखें चित्र)।
निष्कर्ष यह निकला कि आदम की सहचरी के नाम के तौर पर ‘हव्वा’ लिखना ही ठीक है हालाँकि अतीत में इसके लिए हिंदी में ‘हौवा’ शब्द लिखा जाता था। उधर काल्पनिक डरावनी वस्तु के लिए ‘हौआ’ लिखना ही उचित है।
हव्वा, हौआ और हौवा की तरह कव्वा, कौआ और कौवा पर भी अक्सर संदेह होता है कि क्या सही है और क्यों। इसपर हम पहले चर्चा कर चुके हैं। रुचि हो तो पढ़ें।