Categories
आलिम सर की हिंदी क्लास शुद्ध-अशुद्ध

160. बिजली दस ‘घंटे’ से ग़ायब है या दस ‘घंटों’ से?

इन दोनों में से कौनसा प्रयोग सही है – दस ‘घंटे’ से बिजली ग़ायब है या दस ‘घंटों’ से बिजली ग़ायब है? या फिर दोनों प्रयोग सही हैं? जब मैंने फ़ेसबुक पर यह सवाल पूछा तो 60% से ज़्यादा लोगों ने पहले विकल्प को सही बताया यानी दस ‘घंटे’ से बिजली ग़ायब है। लेकिन क्या व्याकरण के हिसाब से यह सही है? जानने के लिए आगे पढ़ें।

हमारे आज के सवाल का जवाब शब्दकोशों में नहीं खोजा जा सकता क्योंकि प्रश्न किसी शब्द की स्पेलिंग, अर्थ या लिंग पर नहीं है जिसकी जानकारी हमें शब्दकोशों से मिलती है। इसके लिए हमें व्याकरण का सहारा लेना होगा। आइए, देखें कि व्याकरण इसके बारे में क्या कहता है।

आप सब जानते होंगे कि ‘घंटा’ एक पुल्लिंग संज्ञा शब्द है जिसके अंत में ‘आ’ की मात्रा है। ऐसे शब्दों के बारे में नियम यह है कि इन शब्दों को जब किसी परसर्ग/कारक चिह्न से पहले इस्तेमाल करेंगे तो एकवचन में एकारांत और बहुवचन में ओंकारांत हो जाएँगे। तत्सम शब्द जैसे देवता या संबंधबोधक शब्द जैसे चाचा, मामा आदि अपवाद हैं। 

परसर्ग/कारक चिह्न तो आप जानते ही होंगे –  ने, का, को, से, में, पर आदि।

चलिए, इस नियम को कुछ उदाहरणों से समझते हैं। लड़का भी घंटा की तरह एक आकारांत पुल्लिंग संज्ञा शब्द है। जब उनकी संख्या एक से अधिक हो तो वाक्य में लड़का का रूप-परिवर्तन कैसे होगा, यह नीचे देखें।

कल दो लड़के मेरे घर पर आए। इन लड़कों ‘ने’ कहा कि बाहर कोई आदमी गर्मी के मारे बेहोश हो गया है। मैं उन लड़कों ‘के साथ’ बाहर निकला और लड़कों ‘से’ कहा कि वे अंदर से ठंडे पानी की बोतल ले आएँ। लड़के फ्रिज से पानी की बोतल लेकर आ गए।

ऊपर आप देखेंगे कि लड़का का बहुवचन लड़के (एकारांत) भी हुआ है और लड़कों (ओंकारांत) भी। लड़के वहाँ लिखा गया है जहाँ बाद में कोई परसर्ग नहीं है। लड़कों वहाँ लिखा गया है जहाँ बाद में ‘ने’, ‘के साथ’ या ‘से’ है।

इसी तरह ‘कुत्तों ने’ रातभर बहुत शोर मचाया (कुत्ता का कुत्तों), ‘गधों के ऊपर’ बोरे लाद दिए गए (गधा का गधों), वह अपने ‘घोड़ों का’ बहुत ख़्याल रखता था (घोड़ा का घोड़ों) आदि।

अब घंटा पर आते हैं जो लड़का, कुत्ता, गधा और घोड़ा की तरह संज्ञा, पुल्लिंग और आकारांत है। हमारे वाक्य में घंटा के बाद ‘से’ परसर्ग है (बिजली दस …. से ग़ायब है) इसलिए व्याकरण की दृष्टि से यहाँ ‘घंटों’ होगा – बिजली दस घंटों से ग़ायब है। हाँ, अगर वाक्य को इस तरह बदल दें कि शब्द के बाद ‘से’ या कोई और परसर्ग नहीं आए तो आप घंटे लिख सकते हैं। जैसे – बिजली को गए दस घंटे हो गए।

लेकिन जैसा कि हमने देखा, 60% से ज़्यादा साथियों ने ‘दस घंटे से’ के प्रयोग को सही बताया जिससे पता चलता है कि यह प्रयोग बहुत चलता है। इसी तरह महरी कई ‘दिन से’ नहीं आई,  चार ‘महीने से’ उसकी तबीयत ख़राब चल रही है, तीन ‘साल से’ वह लगातार फ़ेल हो रहा है – ऐसे प्रयोग भी ख़ूब चलते हैं जबकि व्याकरण की दृष्टि से होना चाहिए – महरी कई ‘दिनों से’ नहीं आई, चार ‘महीनों से’ उसकी तबीयत ख़राब चल रही है, ‘तीन सालों’ से वह लगातार फ़ेल हो रहा है।

जब मैं इस पहेली को सुलझा नहीं पाया तो मैंने अपने भाषामित्र योगेंद्रनाथ मिश्र से संपर्क किया। उन्होंने बताया कि लड़का, कुत्ता, गधा, घोड़ा जैसे पुल्लिंग आकारांत शब्दों में तो लोग व्याकरण के अनुसार ही प्रयोग करते हैं लेकिन जब समय या कालखंड से जुड़ा कोई शब्द आता है (दिन, घंटा, महीना, साल) तो वे बहुवचन में ओंकारांत (दिनों, घंटों, महीनों, सालों आदि) का प्रयोग नहीं करते। अगर शब्द पुल्लिंग आकारांत हो तो एकारांत का (घंटे से, महीने से) और पुल्लिंग अकारांत हो तो मूल शब्द (दिन से, साल से) का ही अधिकतर प्रयोग किया जाता है।

यानी मामला एक ख़ास तरह के शब्दों का है जो वक़्त का बोध कराते हैं। इन्हीं में यह गड़बड़झाला है। इसका कारण संभवतः यह है कि समय का भान कराने के लिए हम जिस शब्द का रोज़ाना प्रयोग करते हैं, वह अधिकतर एकारांत रूप में ही इस्तेमाल होता है। मसलन – मैं चार ‘बजे’ से इंतज़ार कर रहा हूँ। मुझे दो ‘बजे’ वहाँ जाना है। 

हो सकता है, इसी की देखादेखी समय या कालखंड का भान कराने वाले दूसरे शब्दों घंटा, महीना आदि में भी बहुवचन में एकारांत रूप चलने लगे चाहे उनके बाद परसर्ग लगा हो या न लगा हो।

अब प्रश्न यह कि सही किसे माना जाए – दस घंटे से या दस घंटों से? तीन हफ़्ते से या तीन हफ़्तों से? पाँच महीने से या पाँच महीनों से? प्रश्न पेचीदा है। घटों से, हफ़्तों से और महीनों से लिखना सही हैं, यह कहने में कोई दुविधा नहीं है क्योंकि ये सब व्याकरण-सम्मत हैं मगर घंटे से, हफ़्ते से और महीने से आदि भी इतने प्रचलित हो गए हैं कि उनको ग़लत नहीं ठहराया जा सकता.

इसलिए बेहतर है कि समय से जुड़े शब्दों के मामले में हम इसे नियम का अपवाद मान लें और दोनों तरह के प्रयोगों को मान्यता दें।

संज्ञा शब्दों के रूप कब और कैसे बदलते हैं, इसपर हम अपनी सबसे पहली क्लास में चर्चा कर चुके हैं। इसमें बताया गया है कि क्यों झंडे का झंडे होता है लेकिन नेता का नेते नहीं होता। रुचि हो तो पढ़ सकते हैं।

पसंद आया हो तो हमें फ़ॉलो और शेयर करें

अपनी टिप्पणी लिखें

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Social media & sharing icons powered by UltimatelySocial