गणमान्य सही है या गण्यमान्य? इस विषय में हिंदी समाज में सालों से बहस चल रही है। कुछ लोग कहते हैं गण्यमान्य सही है क्योंकि शब्दकोशों में वही है। कुछ और लोग कहते हैं, गणमान्य सही है क्योंकि हिंदी में यही प्रचलित है। एक तीसरी श्रेणी के लोग दोनों का अलग-अलग अर्थ निकालकर दोनों को सही बताते हैं। आज की चर्चा में हम इसी पर बात करेंगे कि सही क्या है और क्यों है।
गणमान्य और गण्यमान्य में क्या अधिक प्रचलित है, यह जानने के लिए जब फ़ेसबुक पर पोल किया गया तो क़रीब 80% ने गणमान्य को सही बताया जबकि शेष 20% के अनुसार गण्यमान्य सही है।
अगर शब्दकोशों की मानें तो सही है गण्यमान्य। मैंने जितने शब्दकोश देखे, सभी शब्दकोशों में गण्यमान्य ही है (देखें चित्र)।
गणमान्य किसी में भी नहीं है।
गण्यमान्य दो शब्दों से बना है जिनके अलग-अलग अर्थ इस प्रकार हैं। गण्य – गिने हुए या जिनकी गिनती होती हो और मान्य – जिनकी मान्यता हो या जो माननीय हों। गण्य का अर्थ आपने ऊपर के चित्र में देख ही लिया। मान्य का अर्थ नीचे के चित्र में देखें।
हिंदी शब्दसागर में ‘गण्य’ का स्वतंत्र अर्थ प्रतिष्ठित दिया हुआ है। लिखा है – जिसकी पूछ हो, जिसे लोग कुछ समझें (देखें ऊपर का चित्र)।
यानी गण्य का अर्थ हुआ प्रतिष्ठित और मान्य का अर्थ हुआ सम्मान के योग्य। दोनों को मिलाकर हुआ गण्यमान्य जिसका भी अर्थ है प्रतिष्ठित। गण्यमान्य को गण्य-मान्य भी लिखा जाता है बल्कि कुछ लोग गण्य-मान्य को ही सही बताते हैं।
अब आते हैं गणमान्य पर। कुछ लोग लोकप्रिय (लोगों को प्रिय) की तर्ज़ पर गणमान्य का अर्थ गण द्वारा मान्य (लोगों द्वारा मान्य) निकालते हैं। लेकिन मेरी समझ में नहीं आता कि किसी को ‘सम्मानित’ या ‘माननीय’ बताने के लिए यह कहना क्यों ज़रूरी है कि आप लोगों द्वारा सम्मानित हैं। क्या केवल मान्य या माननीय कहना काफ़ी नहीं है?
वैसे भी लोगों द्वारा सम्मानित फ़िल्म अभिनेताओं, खिलाड़ियों आदि को गणमान्य नहीं कहा जाता।
गणमान्य या गण्यमान्य एक ऐसा शब्द है जिसका लोकप्रियता से कोई लेना-देना नहीं है। इसका संबंध किसी कला, ज्ञान या विद्या में विशिष्टता रखने वालों से है।
जैसे ‘तीसरी क़सम’ एक लोकप्रिय फ़िल्म नहीं थी, न ही ‘काग़ज के फूल’ कोई बहुत चलने वाली फ़िल्म थी लेकिन हिंदी फ़िल्म के इतिहास में इन दोनों का विशिष्ट स्थान है। इसी तरह अमर्त्य सेन जैसे नोबेल पुरस्कार विजेता भारत में लोकप्रिय हों, यह ज़रूरी नहीं। अतः उनको गणमान्य (लोगों द्वारा मान्य) नहीं कहा जा सकता। लेकिन उन्हें एक बहुत ही प्रतिष्ठित पुरस्कार मिला है, इस कारण उनको किसी भी समाज या सभा में गण्यमान्य (प्रतिष्ठित) माना जाएगा।
यह सही है कि हिंदी में गणमान्य अधिक प्रचलित है (जो कि हमारे पोल से भी साबित हुआ) और उसे सही ठहराने वालों की संख्या भी अधिक है। लेकिन मेरी नज़र में यह शब्द जिस अर्थ और रूप में इस्तेमाल होता है, उस लिहाज़ से गण्यमान्य ही मूल शब्द है। गणमान्य गण्यमान्य का ही बिगड़ा/बदला हुआ रूप है।