‘मिस्टर इंडिया’ मूवी आपने देखी होगी जिसमें हीरो अनिल कपूर एक वैज्ञानिक उपकरण का इस्तेमाल करके ग़ायब हो जाता है। इस ग़ायब होने के लिए संस्कृत में एक शब्द है। क्या है वह – अंतर्धान या अंतर्ध्यान? यही सवाल जब मैंने फ़ेसबुक पोल में पूछा तो 63% ने ‘अंतर्ध्यान’ को सही बताया और 37% ने अंतर्धान को। सही क्या है, जानने के लिए आगे पढ़ें।
सही शब्द है ‘अंतर्धान’। अचानक नज़रों से ग़ायब हो जाने के अर्थ में यही शब्द है जो हिंदी में संस्कृत शब्द ‘अंतर्धानम्’ से आया है। संस्कृत के शब्दकोश में अंतर्धानम् का अर्थ है ग़ायब या विलुप्त हो जाना (देखें चित्र)।
अंतर्धान/अंतर्धानम् में ग़ायब होने का भाव कैसे आया, यह मुझे नहीं मालूम। जैसे अभयारण्य (अभय+अरण्य), अंतरराष्ट्रीय (अंतर+राष्ट्रीय), धराशायी (धरा+शायी) में शब्दों को तोड़ने से आप अर्थ तक पहुँच जाते हैं, वैसे अंतर्धान में मैं नहीं पहुँच पाया।
अब आते हैं ‘अंतर्ध्यान’ पर। अंतर्ध्यान भी संस्कृत का एक शब्द है जिसका अर्थ है – आंतरिक एवं गंभीर समाधि (देखें चित्र)। मगर किसी के समाधि लगाने से वह लोगों की नज़रों से ओझल नहीं हो जाता। इसलिए ग़ायब होने के अर्थ में अंतर्ध्यान शब्द का इस्तेमाल नहीं हो सकता।
ग़ायब होने के अर्थ में अंतर्धान की जगह अंतर्ध्यान शब्द कैसे चल निकला, इसपर मेरी समझ यह कहती है कि अंतर्धान शब्द से ऐसा नहीं लगता कि इसमें ग़ायब होने जैसा कोई अर्थ है जबकि अंतर्ध्यान से लगता है मानो कोई आध्यात्मिक मामला हो क्योंकि ध्यान तो ऋषि-मुनि ही लगाते थे। फिर जब कोई ध्यान लगाता है तो आँखें बंद करके बैठ जाता है और उसको सामने कुछ नहीं दिखता। हमारे पोल में भी, हो सकता है, कई लोगों ने इसीलिए अंतर्ध्यान के पक्ष में वोट दिया हो। कुछ साथियों ने इसलिए भी अंतर्ध्यान पर वोट किया हो कि उन्होंने अख़बारों और वेबसाइटों पर यही देखा हो और इसी को सही मानते हों।
लेकिन अब तो आप सब जान गए कि सही शब्द अंतर्धान है, अंतर्ध्यान नहीं।
इसी तरह का एक और शब्द है जिसे लोग ग़लत लिखते हैं। वह शब्द है – आभिजात्य। यह क्यों ग़लत है, यह जानने में रुचि हो तो पढ़ें यह चर्चा।