अंग्रेज़ी की कई ध्वनियाँ हैं जो पहली नज़र में हिंदी की ध्वनियों के समान लगती हैं लेकिन उनके उच्चारण में कई बार महीन और कई बार भारी अंतर रहता है। ऐसी ही एक ध्वनि है F की जिसे दर्शाने के लिए हिंदी में फ के नीचे नुक़्ता लगा दिया जाता है – फ़। हिंदी के फ और अंग्रेज़ी के फ़ में क्या अंतर है और कैसे हमें हिंदी का फूल और अंग्रेज़ी का फ़ूल (Fool) बोलते समय होंठों और दाँतों का इस्तेमाल करना चाहिए, यह जानने के लिए आगे पढ़ें।
हिंदी के फ और अंग्रेज़ी के फ़ में अंतर पर चर्चा करने से पहले एक छोटी-सी क्लास ध्वनियों और उनके बोलने के तरीक़ों पर। हम जब भी किसी ध्वनि का उच्चारण करते हैं तो हमारे मुँह से और कभी-कभी नाक से हवा निकलती है। इस उच्चारण में हमारी जीभ, होंठ, तालू, कंठ आदि की भी भूमिका रहती है और इसी कारण अलग-अलग आवाज़ निकलती है। हिन्दी वर्णमाला में वर्णों को इसी आधार पर सजाया गया है ताकि एक तरह से बोले जाने वाले वर्ण एकसाथ रखा जाए। मसलन क-ख-ग-घ-ङ गले (कंठ) से निकलने वाली ध्वनियाँ हैं तो प-फ-ब-भ-म की ध्वनियाँ दोनों होंठों के आपस में छूने से निकलती हैं। अब इस प-फ-ब-भ-म में भी और अंतर हैं जैसे प बोलते समय हमारी स्वर तंत्रियों (Vocal Cord) की कोई भूमिका नहीं होती, जबकि ब में वह काँपती है। इसी तरह प बोलते समय दोनों होंठों के बीच से थोड़ी हवा निकलती है लेकिन फ बोलते समय ज़्यादा हवा निकलती है।
आप मुँह के सामने हथेली रखकर प और फ बोलिए — दोनों ही मामलों में दोनों होंठ मिलेंगे मगर फ के मामले में आप अपनी हथेली पर ज़्यादा हवा महसूस करेंगे। शरमाइए नहीं, बोलकर देखिए। आपको कोई नहीं देख रहा। और देख भी रहा है तो उसको भी बताइए कि आप ध्वनि विज्ञान का प्रैक्टिकल कर रहे हैं।
अब यह तो था हिन्दी का फ जिससे फल-फूल आदि शब्द बनते हैं। मगर इंग्लिश का फ़ जो F और Ph वाले शब्दों में बोला जाता है और जिसे हिंदी में नुक़्ता यानी नीचे वाली बिंदी लगाकर लिखा जाता है, इससे अलग है। उसमें होंठ पूरी तरह से नहीं मिलते और उनके बीच के हिस्से में गैप रहता है। इसके बदले हमारे ऊपर के दाँत नीचे के होंठ को हल्का-सा छूते हैं। इसीलिए इंग्लिश के इस फ़ को La.bi.o.den.tal (La.bia=होंठ, Den.tal=दाँत) यानी दंतोष्ठ्य ध्वनि कहते हैं जबकि हमारे फ को Bi.la.bi.al ( Bi=दो, La.bi.al= होंठ) यानी ओष्ठ्य ध्वनि कहा जाता है। आप दोनों होंठों को मिलाकर फ बोलने की कोशिश कीजिए। यह हिंदी के फ की ध्वनि है। फूल ऐसे ही बोला जाएगा। अब नीचे के दाँतों को ऊपर के होंठ से छुआकर फ बोलने की कोशिश कीजिए — आपके मुँह से फ़ यानी F और Ph वाले फ़ की ध्वनि अपने-आप निकल आएगी।
हिंदी के फ और अंग्रेज़ी के फ़ के उच्चारण और बोलने में अंतर को समझने के लिए इस व़िडियो में होंठों का मूव़मंट देखें। उससे नीचे वाले व़िडियो में आप फूल और फ़ूल (Fool) का अंतर सुन सकते हैं।
कुछ लोग समझते हैं कि अंग्रेज़ी में जिन शब्दों में Ph होता है, वहाँ फ यानी हिंदी वाले फ की ध्वनि है जबकि F में फ़ वाली ध्वनि है। लेकिन यह ग़लत धारणा है। अंग्रेज़ी के जितने भी शब्द हैं, चाहे उनमें F हो या Ph, उनका उच्चारण फ़ ही होगा। यानी Phone वाले फ़ और Flow.er वाले फ़ में कोई अंतर नहीं है।
इस क्लास का सबक़
इंग्लिश के F और Ph की ध्वनि हिंदी के फ से अलग है। यानी फूल वाला फ Fool (फ़ूल) वाले फ़ से अलग है। फ़र्क़ यह है कि इंग्लिश का फ़ नीचे के दाँतों के ऊपर के होंठ से मिलने पर निकलती है जबकि हिंदी के फ की ध्वनि दोनों होंठों के आपस में स्पर्श करने से बनती है। इंग्लिश का फ़ दंतोष्ठ्य ( La.bi.o.den.tal ) है, हिंदी का फ ओष्ठ्य (Bi.la.bi.al) है।
अभ्यास
फ और फ़ का अंतर आप जितनी जल्दी सीख लेंगे, उतनी ही जल्दी आप दोनों भाषाओं में इन ध्वनियों को सही तरीके से बोलना शुरू कर पाएँगे। किसी भी ऑनलाइन डिक्श्नरी पर जाएँ और वहाँ से F वाले शब्द खोजकर उनका उच्चारण ऊपर बताए गए तरीक़े से करें।
चलते-चलते
La.bi.o.den.tal पर फिर से जाएँ। यह La.bio शब्द उर्दू के लब (होंठ) से और Den.tal शब्द संस्कृत के दंत और हिंदी के दाँत से कितना मिलता-जुलता है? कभी फ़ुर्सत हो तो शब्दों के जन्म के बारे में सोचें और नेट से जानें, आपको पता चलेगा कि भाषाएँ ऊपर से भले ही कितनी अलग-अलग दिखती हों, सभी ने एक-दूसरे को काफ़ी-कुछ दिया है। जहाँ तक अंग्रेज़ी शब्दों के जन्म का मामला है तो इस साइट – https://www.etymonline.com पर जाकर आप कई शब्दों का ऑरिजिन जान सकते हैं।