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आलिम सर की हिंदी क्लास शुद्ध-अशुद्ध

185. तार पुल्लिंग या स्त्रीलिंग, सितार ‘के’ तार या ‘की’ तारें?

तार पुल्लिंग है या स्त्रीलिंग? कुछ लोगों को यह सवाल बहुत आसान लग सकता है। लेकिन यह उतना आसान नहीं है क्योंकि फ़ेसबुक पर किए गए एक पोल से पता चला कि सौ में से पचीस लोगों को नहीं मालूम नहीं कि इसका सही लिंग क्या है। क्या आप उन 75 लोगों में हैं जिन्हें मालूम है तार का सही लिंग या उन 25 लोगों में जिनको ग़लत जानकारी है? जानने के लिए आगे पढ़ें।

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184. ऊपर कही गई बात = उपर्युक्त या उपरोक्त?

अगर आप ‘ऊपर या पहले कही गई किसी बात’ का बाद में हवाला देना चाहते हैं तो आप क्या लिखते हैं – उपर्युक्त या उपरोक्त? हिंदी में फ़िलहाल ये दोनों शब्द चल रहे हैं। कुछ लोग कहते हैं, उपर्युक्त सही है तो कुछ और लोग उपरोक्त को सही मानते हैं। हो सकता है, आप भी इस समस्या से कभी दो-चार हुए हों कि इन दोनों में से क्या सही है। आज की चर्चा इसी विषय पर है।

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183. संग्रह से संग्रहित, संगृहित, संग्रहीत या संगृहीत?

संकलन से संकलित और एकत्र से एकत्रित तो संग्रह से क्या होगा? अधिकतर लोग झट से कहेंगे – संग्रहित। कुछ लोग जिन्होंने यह शब्द कहीं देखा-पढ़ा होगा, कह सकते हैं कि नहीं, यहाँ ‘ग्र’ का ‘गृ’ हो जाता है यानी संग्रहित नहीं, संगृहित होगा। कुछ और लोगों की राय में ‘ग्र’ का ‘गृ’ नहीं, बल्कि ‘हि’ का ‘ही’ हो जाता है यानी शब्द बनेगा संग्रहीत। और कुछ लोग ‘ग्र’ को ‘गृ’ और ‘हि’ को ‘ही’ में बदलकर कहेंगे – संगृहीत। लेकिन इन चारों में सही क्या है और क्यों है? जानने के लिए आगे पढ़ें।

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182 : अनुमान से अनुमानित तो अनुवाद से अनूदित क्यों?

अनुमान-अनुमानित, अनुत्तर-अनुत्तरित, अनुकूल-अनुकूलित। इन सबमें एक समानता देख पा रहे होंगे आप। समानता यह कि शुरू वाले शब्दों में ‘इत’ लगाकर किसी कार्य के हो चुकने का अर्थ देने वाले शब्द बने हैं। ऐसे शब्दों को भूतकालिक कृदंत कहते हैं। लेकिन जब हम अनुवाद शब्द के साथ ऐसा ही करने का प्रयास करते हैं तो उससे अनुवादित शब्द बनने के बजाय अनूदित शब्द बनता है। यानी अनुवाद का ‘वा’ ग़ायब हो जाता है और अनु का ‘अनू‘ हो जाता है। ऐसा क्यों, इसी के बारे में चर्चा करेंगे इस क्लास में। रुचि हो तो आगे पढ़ें।

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181. लब्बेलुबाब, लब्बोलुआब, लब्बोलुबाब या लुब्बेलुबाब?

किसी बहस या स्पीच के मूल तत्व को कहते हैं सार-संक्षेप। उर्दू में इसके लिए एक प्यारा-सा शब्द है मगर उसकी स्पेलिंग के बारे में एक राय नहीं है। कुछ लोग इसे लब्बोलुबाब कहते हैं तो कुछ लब्बोलुआब। कुछ और लोगों का मानना है कि सही शब्द न लब्बोलुबाब है न लब्बोलुआब, बल्कि लब्बेलुबाब है। चंद लोग इसमें भी सुधार करके बोलते हैं – लुब्बेलुबाब। ऐसे में किसी का भी सर चकराना स्वाभाविक है। लेकिन सही शब्द की तलाश करना ही हमारा काम है। तो क्या है सही शब्द, जानने में रुचि हो तो आगे पढ़ें।

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