आज की क्लास एक ऐसी ख़ूबी पर है जो हर इंसान दूसरे में तलाशता है लेकिन जब अपना मौक़ा आता है तो उससे परहेज़ करता दिखता है। यह ख़ूबी है सच के प्रति अपनी निष्ठा की। सवाल बस यह है कि इसे कैसे लिखेंगे या बोलेंगे – सचाई या सच्चाई?
आज की क्लास एक ऐसी ख़ूबी पर है जो हर इंसान दूसरे में तलाशता है लेकिन जब अपना मौक़ा आता है तो उससे परहेज़ करता दिखता है। यह ख़ूबी है सच के प्रति अपनी निष्ठा की। सवाल बस यह है कि इसे कैसे लिखेंगे या बोलेंगे – सचाई या सच्चाई?