यह प्रश्न मुझे स्कूल के ज़माने से ही परेशान किया करता था। मेरे पिताजी आशिर्वाद लिखते थे और माँ आर्शीवाद। कुछ बुजुर्गों की चिट्ठियों में आर्शिवाद भी मिलता था और कहीं-कहीं आशीर्वाद भी। ऐसे में यह समझना मुश्किल हो जाता था कि सही क्या है। तब हिंदी के शब्दकोश भी नहीं होते थे घर में। लेकिन आज यह जानना आसान है कि कौनसा शब्द सही है और क्यों। आज की चर्चा इसी शब्द पर।