कुछ लोगों का शग़ल होता है कि हर महापुरुष की जयंती या पुण्यतिथि पर उनको याद करें, भले ही उन्हें उनके बारे में या उनके विचारों के बारे में रत्तीभर भी पता न हो। इस दौरान वे जिस वाक्य का इस्तेमाल करते हैं, वह है ‘शत-शत नमन’ लेकिन अधिकतर लिखते हैं ‘शत्-शत् नमन’ जो कि ग़लत है। क्यों ग़लत है, यह जानने के लिए आगे पढ़ें।