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ये चुटकुले क्यों किसी को उदास करते है?

कुछ चुटकुले बहुत ही मासूम होते हैं जैसे कोई टीचर कहे कि आज हम लव की बात करेंगे तो क्लास के किशोर छात्र-छात्राएँ समझें कि प्यार-मुहब्बत की बात होगी और पता चले कि राम और सीता के बेटे लव के बारे में पढ़ाया जाएगा। लेकिन अधिकतर चुटकुले इतने मासूम नहीं होते। वे हमेशा किसी के ख़िलाफ़ होते हैं – कभी किसी समुदाय के ख़िलाफ़, कभी किसी व्यक्ति की शारीरिक बनावट या कमियों के ख़िलाफ़। आज का ब्ल़ॉग चुटकुलों में छुपे इसी भेदभाव पर है। रुचि हो तो पढ़ें।

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पलटना वादे से अपने कब है धोखा, कब धोखा नहीं है?

बलात्कारी कई तरह के होते हैं। कुछ साफ़ नज़र आते हैं, कुछ भेस बदलकर आते हैं। जो साफ़ नज़र आते हैं, उनके लिए क़ानून में सज़ा का प्रावधान है। मगर जो भेस बदलकर आते हैं, उनके मामले में क़ानूनी स्थिति और अदालतों का नज़रिया अस्पष्ट है। जैसे उन लोगों के साथ क्या सलूक हो जो दूल्हे का चोला साथ लेकर आते हैं, शादी से पहले ही सुहागरात मनाते हैं और फिर वह चोला फेंककर कहीं चले जाते हैं। क्या वे भी बलात्कारी हैं? अगर हाँ तो कब और नहीं तो कब? आज इसी विषय पर चर्चा करेंगे। रुचि हो तो पढ़ें।

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कुछ बलात्कारी दूल्हे के लिबास में आते हैं

शादी का झूठा वादा करके जो पुरुष किसी स्त्री से संबंध बनाता है, उसकी मानसिकता और एक बलात्कारी की मानसिकता में कोई अंतर नहीं है। दोनों में ही स्त्त्री के शरीर से खेलने की मंशा होती है। फ़र्क़ बस इतना है कि एक में शारीरिक बल का इस्तेमाल करते हुए किसी के शरीर से खेला जाता है, तो दूसरे में शादी के मीठे वादे की सेज सजाकर वही काम किया जाता है। इसी कारण एक में लड़की पूरी ताक़त से विरोध करती है, दूसरे में ख़ुशी-ख़ुशी सहयोग करती है। लेकिन दोनों में समानता यही है कि अगर ताक़त का ज़ोर नहीं होता तो बलात्कार नहीं होता और शादी का भरोसा न होता तो सहवास भी नहीं होता।

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बिन बुलाया मेहमान जो जाने का दिन नहीं बताता

गौतम बुद्ध ने कहा था – दुख है। दुख का कारण है। दुख का कारण इच्छा है। तो क्या इसका मतलब यह है कि जब तक इच्छाएँ रहेंगी, तब तक दुख रहेगा? अगर हाँ तब तो दुख को समाप्त करने का या दुखों से मुक्ति का एक ही मार्ग दिखता है – इच्छाओं का नाश। मगर क्या इच्छाओं के नाश के बाद ज़िंदगी का कोई मक़सद बचता है? आख़िर इच्छाओं की पूर्ति ही तो हमें सुख भी देती है…

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ख़ुद को कैसे माफ़ करूँ?

हाल ही में एक किताब पढ़ी – Tuesdays with Morrie. मॉरी एक बुज़ुर्ग टीचर हैं जिन्हें ऐसी बीमारी हुई है कि उनकी मौत निश्चित है। ऐसे में उनका एक पुराना छात्र हर मंगलवार को उनके पास आता है और ज़िदगी के उनके अनुभवों के बारे में ज्ञान लेता है। हर हफ़्ते एक नया टॉपिक होता है। एक हफ़्ते मोरी उससे क्षमा के बारे में बात करते हैं और कहते हैं, मरने से पहले ख़ुद को माफ़ करो और फिर बाक़ी सबको।

लेकिन क्या ख़ुद को माफ़ करना इतना आसान है?

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