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एकला चलो

पलटना वादे से अपने कब है धोखा, कब धोखा नहीं है?

बलात्कारी कई तरह के होते हैं। कुछ साफ़ नज़र आते हैं, कुछ भेस बदलकर आते हैं। जो साफ़ नज़र आते हैं, उनके लिए क़ानून में सज़ा का प्रावधान है। मगर जो भेस बदलकर आते हैं, उनके मामले में क़ानूनी स्थिति और अदालतों का नज़रिया अस्पष्ट है। जैसे उन लोगों के साथ क्या सलूक हो जो दूल्हे का चोला साथ लेकर आते हैं, शादी से पहले ही सुहागरात मनाते हैं और फिर वह चोला फेंककर कहीं चले जाते हैं। क्या वे भी बलात्कारी हैं? अगर हाँ तो कब और नहीं तो कब? आज इसी विषय पर चर्चा करेंगे। रुचि हो तो पढ़ें।

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कुछ बलात्कारी दूल्हे के लिबास में आते हैं

शादी का झूठा वादा करके जो पुरुष किसी स्त्री से संबंध बनाता है, उसकी मानसिकता और एक बलात्कारी की मानसिकता में कोई अंतर नहीं है। दोनों में ही स्त्त्री के शरीर से खेलने की मंशा होती है। फ़र्क़ बस इतना है कि एक में शारीरिक बल का इस्तेमाल करते हुए किसी के शरीर से खेला जाता है, तो दूसरे में शादी के मीठे वादे की सेज सजाकर वही काम किया जाता है। इसी कारण एक में लड़की पूरी ताक़त से विरोध करती है, दूसरे में ख़ुशी-ख़ुशी सहयोग करती है। लेकिन दोनों में समानता यही है कि अगर ताक़त का ज़ोर नहीं होता तो बलात्कार नहीं होता और शादी का भरोसा न होता तो सहवास भी नहीं होता।

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